
चंडीगढ़, 28 मार्च शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (एसजीपीसी) द्वारा तीन जत्थेदारों को हटाए जाने का मुद्दा शुक्रवार को पंजाब विधानसभा में उठाया गया और सत्तारूढ़ व विपक्षी विधायकों ने एकजुट होकर इस कदम की निंदा की, जिससे "हर सिख को ठेस पहुंची है।"
पंजाब विधानसभा के बजट सत्र के अंतिम दिन शून्यकाल के दौरान राज्य के कैबिनेट मंत्री हरजोत सिंह बैंस ने कहा कि जत्थेदारों को हटाना एक गंभीर मुद्दा है और उन्होंने इस पर चर्चा की मांग की।
सात मार्च को एसजीपीसी ने अमृतसर स्थित अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह को हटा दिया और कहा कि बढ़ती चुनौतियों के सामने उनका नेतृत्व "पंथ (सिख समुदाय) का मार्गदर्शन करने में अपर्याप्त" माना गया और उनके "असंगत दृष्टिकोण ने पंथिक एकता को कमजोर किया।"
ज्ञानी सुल्तान सिंह को रूपनगर जिले के आनंदपुर साहिब में तख्त केसगढ़ साहिब के जत्थेदार के पद से भी हटा दिया गया।
इन दोनों जत्थेदारों से पहले फरवरी में ज्ञानी हरप्रीत सिंह को बठिंडा जिले के तलवंडी साबो में तख्त श्री दमदम साहिब के जत्थेदार के पद से मुक्त कर दिया गया था।
चर्चा के दौरान शिअद विधायक मनप्रीत सिंह अयाली ने कहा कि दुनिया भर में हर सिख अकाल तख्त के आदेश को स्वीकार करता है और पांच सिंह साहिबानों में शामिल तीन जत्थेदारों ने पिछले साल दो दिसंबर को एक आदेश सुनाया था।
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