देश की खबरें | निजी अस्पतालों में बिस्तर आरक्षित रखने का फैसला संक्रमण के मामलों में कमी लाने के लिए लिया गया : जैन
एनडीआरएफ/प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: ANI)

नयी दिल्ली, 17 अक्टूबर दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने शनिवार को कहा कि यहां कई निजी अस्पतालों में कोविड-19 के मरीजों के लिए बिस्तर आरक्षित करने का कदम संक्रमण के मामलों में कमी लाने के लिए उठाया गया था और सरकार पर आरोप लगाने वाले लोग जनकल्याण के लिए किए जा रहे ‘‘प्रयासों को बाधित करने’’ की कोशिश कर रहे हैं।

दिल्ली उच्च न्यायालय में दायर एक याचिका में दिल्ली सरकार के 13 सितंबर के उस आदेश को चुनौती दी गई है, जिसमें 33 निजी अस्पतालों को निर्देश दिया गया था कि वे अपने कम से कम 80 प्रतिशत आईसीयू बिस्तर कोविड-19 के मरीजों के लिए आरक्षित रखें।

यह भी पढ़े | Bihar Assembly Election 2020: बीजेपी के लिए प्रचार करेंगे ये 30 स्टार प्रचारक, पार्टी ने जारी की ताजा सूची, PM मोदी, सीएम योगी का नाम शामिल, देखें पूरी लिस्ट.

जैन ने फेसबुक पोस्ट में कहा, ‘‘कोविड-19 के मरीजों के लिए बिस्तर आरक्षित रखने का फैसला केवल वायरस के संक्रमण के मामलों में कमी लाने के लिए किया गया था। दिल्ली सरकार पर आरोप लगाने वाले लोग नागरिकों के कल्याण के लिए किए जा रहे हमारे प्रयासों को बाधित करने की कोशिश कर रहे हैं।’’

उन्होंने इस संबंध में एक लेख भी साझा किया।

यह भी पढ़े | दिल्ली: उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने किया स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी के प्रस्तावित स्थल का निरीक्षण, कहा- दुनिया में भारत का नाम रौशन करेगी ये यूनिवर्सिटी.

प्राधिकारियों ने बताया कि राष्ट्रीय राजधानी में शुक्रवार को कोविड-19 के कारण 22 लोगों की मौत हो गयी, जिससे यहां मृतकों की संख्या बढ़कर 5,946 हो गयी है। वहीं, कोरोना वायरस संक्रमण के 3,428 नए मामले सामने आए, जिससे अब तक संक्रमित हुए लोगों की कुल संख्या 3.24 लाख से अधिक हो गयी है।

शहर की आम आदमी पार्टी (आप) नीत सरकार ने शुक्रवार को दिल्ली उच्च न्यायालय से कहा कि 33 बड़े निजी अस्पतालों को 80 प्रतिशत आईसीयू बिस्तर कोविड-19 के मरीजों के लिये आरक्षित रखने का निर्देश देने वाला नीतिगत फैसला एक अस्थायी उपाय के तौर पर लिया गया था। इसका मकसद राष्ट्रीय राजधानी में कोरोना वायरस संक्रमण के बढ़ते मामलों में कमी लाना था।

न्यायमूर्ति नवीन चावला के समक्ष दाखिल किये गये अपने हलफनामे में आप सरकार ने इस बात से इनकार किया कि उसका यह फैसला दिल्ली के नागरिकों के मूल अधिकारों का किसी तरह से हनन करता है और उसने एसोसिएशन ऑफ हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स की याचिका को पूरी तरह से गलत एवं बेबुनियाद करार दिया।

उच्च न्यायालय ने याचिकाकर्ता एसोसिएशन को आप सरकार के हलफनामे पर प्रत्युत्तर दाखिल करने के लिये एक हफ्ते का वक्त दिया है। याचिकाकर्ता ने दावा किया है कि 33 प्रतिशत निजी अस्पताल, जिनके खिलाफ आदेश जारी किया गया, इसके सदस्य हैं और उसने दिल्ली सरकार का उपरोक्त फैसला रद्द करने का अनुरोध किया है। अदालत ने इस विषय की अगली सुनवाई 18 नवंबर के लिये सूचीबद्ध कर दी है।

सरकार की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल संजय जैन ने दलील दी कि यह अनुमान है कि आगामी त्योहारी मौसम में कोविड-19 के मामले बढ़ सकते हैं।

(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)