देश की खबरें | विधानसभाध्यक्ष का फैसला सत्य की जीत और निरंकुशता, तानाशाही की हार है : मुख्यमंत्री शिंदे

ठाणे, 11 जनवरी महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर के एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले गुट को “असली शिवसेना राजनीतिक दल” बताए जाने के एक दिन बाद मुख्यमंत्री ने फैसले को सच्चाई और लोकतंत्र की जीत तथा निरंकुशता, तानाशाही और वंशवाद की राजनीति की हार करार दिया।

पार्टी के प्रतिद्वंद्वी गुट के प्रमुख उद्धव ठाकरे का नाम लिए बिना उन्होंने कहा कि यह आदेश उन लोगों के चेहरे पर एक “करारा तमाचा” है जो पार्टी को ऐसे चलाते थे जैसे कि यह उनकी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी हो।

वह अपने गृह नगर में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।

मुख्यमंत्री शिंदे ने बुधवार को एक बड़ी राजनीतिक जीत हासिल की, जब विधानसभा अध्यक्ष नार्वेकर ने कहा कि जून 2022 में प्रतिद्वंद्वी समूहों के उभरने पर उनके नेतृत्व वाला शिवसेना गुट ही “असली राजनीतिक दल” था।

पार्टी में टूट के बाद दोनों धड़ों ने प्रतिद्वंद्वी धड़ों के विधायकों को अयोग्य घोषित किए जाने को लेकर याचिका दी थी। नार्वेकर ने दोनों गुटों के किसी विधायक को अयोग्य नहीं करार दिया।

उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले पार्टी के गुट ने बाद में कहा कि वह विधानसभा अध्यक्ष के आदेश के खिलाफ उच्च न्यायालय का रुख करेगी।

मुख्यमंत्री शिंदे ने कहा, “सत्यमेव जयते...शिवसेना पर विधानसभा अध्यक्ष का आदेश सच्चाई और लोकतंत्र की जीत है। यह निरंकुशता, तानाशाही और वंशवाद की राजनीति की हार है। इससे यह भी साबित हुआ कि किसी भी राजनीतिक दल, संगठन को प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की तरह नहीं चलाया जा सकता और कोई भी अपनी इच्छानुसार निर्णय नहीं ले सकता।”

मुख्यमंत्री ने कहा, “यह आदेश उन लोगों के चेहरे पर करारा तमाचा है जो पार्टी को ऐसे चला रहे थे जैसे कि यह उनकी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी हो...यह शिवसैनिकों, बालासाहेब ठाकरे और आनंद दिघे के विचारों और सिद्धांतों की जीत है।”

दिघे शिंदे के राजनीतिक गुरु थे।

उन्होंने कहा, “यह जीत उन लोगों के लिए निर्णायक प्रतिक्रिया का प्रतीक है जिन्होंने पार्टी को अपना निजी उद्यम माना। यह पार्टी मामलों के प्रबंधन को लेकर उनके लिए कड़ी फटकार है।”

उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में बहुमत की राय महत्व रखती है और आरोपों को वैध फैसले की जगह नहीं लेनी चाहिए।

उद्धव ठाकरे को निशाना बनाते हुए उन्होंने कहा “राजनीतिक पार्टी चलाना किसी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को प्रबंधित करने जैसा नहीं है। असुरक्षा के कारण इस तरह का व्यवहार हुआ और बालासाहेब की शिक्षाओं की घोर उपेक्षा हुई।”

उन्होंने विपक्ष पर विधानसभा अध्यक्ष पर बेबुनियाद आरोप लगाने का भी आरोप लगाया।

वहीं छत्रपति संभाजीनगर में प्रदेश के उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी उद्धव का नाम लिए बगैर उन पर निशाना साधते हुए कहा कि एक व्यक्ति जो मुख्यमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान अपने घर से बाहर नहीं निकला था, वह अब इस बारे में बात कर रहा है कि उसने क्या किया है और अगर वह पद पर बना रहता तो क्या करता।

ठाकरे पर कटाक्ष करते हुए उन्होंने कहा, “कभी-कभी हमें निबंध लिखना पड़ता है कि अगर मैं पक्षी होता तो क्या होता, अगर मैं क्रिकेटर होता तो क्या होता आदि। इस राज्य में एक व्यक्ति है जो कहता है कि मैंने यह किया है, अगर मैं मुख्यमंत्री होता तो यह करता। जब वह ढाई साल तक मुख्यमंत्री थे तो अपने घर से बाहर नहीं निकले।”

उन्होंने एक कार्यक्रम से इतर कहा, “उन्हें बस घर बैठना चाहिए और निबंध लिखना चाहिए। हम लोगों की सेवा करेंगे।”

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