नयी दिल्ली, 10 अक्टूबर : दिल्ली की एक अदालत ने कथित रूप से जबरन गर्भपात की एक महिला की शिकायत पर उसके पति और ससुराल पक्ष के लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने संबंधी पुलिस को निर्देश देने वाले आदेश पर रोक लगा दी. अदालत ने कहा कि कथित घटना के बारे महिला ने कोई दस्तावेज मुहैया नहीं करवाए हैं. महिला की सास ने सात अक्टूबर के मजिस्ट्रेट अदालत के आदेश के खिलाफ सत्र अदालत में पुनर्विचार याचिका दायर की थी, जिस पर अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश किरण गुप्ता ने यह निर्देश दिया.
मजिस्ट्रेट ने दिल्ली के मंगोलपुरी थाने के प्रभारी को 2017 में कथित तौर पर जबरन गर्भपात कराए जाने की शिकायत पर महिला के पति एवं परिवार के अन्य सदस्यों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया था और कहा था कि महिला का आरोप गंभीर प्रकृति का है . हालांकि महिला की सास ने पुनर्विचार याचिका में कहा कि उनकी बहू ने झूठी शिकायत दर्ज करवाई है क्योंकि इसके दो दिन पहले ही उन्होंने उसके खिलाफ कथित तौर पर जहर देने की शिकायत दर्ज करवाई थी. यह भी पढ़ें : उत्तर प्रदेश में भाजपा कार्यकर्ता पर हमले के आरोप में गांव के पूर्व मुखिया, सात अन्य के खिलाफ मामला दर्ज
सास के वकील ने अदालत को बताया कि बहू ने उनकी मुवक्किल को 25 सितंबर 2021 को कथित तौर पर जहर देने की कोशिश की थी और इस बारे में 26 सितंबर को शिकायत दर्ज हुई थी. वकील ने कहा था इसी शिकायत के जवाब में और सास पर दबाव बनाने की खातिर 28 सितंबर को बहू ने भी कथित जबरन गर्भपात की शिकायत दर्ज रकवार्द.अब मामले की सुनवाई 15 नवंबर को होगी.