देश की खबरें | बारिश के बाद से राज्य में सड़कों की हालत बेहद खस्ता : केरल उच्च न्यायालय

कोच्चि, 25 नवंबर केरल उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि यह ‘बहुत दुखदायी’ और ‘वास्तविक त्रासदी’ है कि राज्य में हर साल बारिश के बाद सड़कों की हालत खराब हो जाती है और प्रशासन उसकी मरम्मत के लिए तब आगे आता है जब वह चलने लायक नहीं बचती।

न्यायमूर्ति देवान रामचन्द्रन ने टिप्पणी की कि मरम्मत ऐसी होती है कि अगली बारिश के बाद सड़कों पर फिर से पैचवर्क की जरूरत पड़ती है।

अदालत ने कहा, ‘‘गड्ढों की मरम्मत करने के स्थान पर आपको पूरी सड़क की मरम्मत करनी पड़ रही है। अगर इंजीनियर मानसून की बारिश का सामना करने के लायक सड़कें नहीं बना सकते या उनकी मरम्मत ऐसी नहीं कर सकते हैं तो उनसे इस्तीफा देकर घर बैठने को कहें। उनकी जगह लेने के लिए तमाम इंजीनियर उपलब्ध हैं।’’

अदालत ने कहा, ‘‘हर साल मानसून के बाद राज्य में खराब सड़कों की शिकायत आनी शुरू हो जाती है। यह वास्तविक त्रासदी है। सबसे दुख की बात तो यह है कि मरम्मत के बाद भी वह सड़क कुछ समय में फिर खराब हो जाती है।’’

आगे अदालत ने कहा कि प्रशासन को सड़कों का निर्माण या मरम्मत इस तरह से करना चाहिए कि वे लंबे समय तक उपयोग के लायक रहें। उसने कहा, ‘‘समय पर उठाया गया कदम कई लोगों की जान बचा सकता है।’’

अदालत ने कहा, ‘‘देश के लोग हर छह महीने या एक साल में मरम्मत का बोझ नहीं उठा सकते हैं, जैसा कि आजकल होता दिख रहा है। सड़कों की सिर्फ मरम्मत ना करें, उन्हें खराब होने से भी बचाएं।’’

यह भी अदालत ने कहा कि सड़कों के रखरखाव के लिए जिम्मेदार इंजीनियर तथा प्राधिकारियों को समय समय पर उनका निरीक्षण करना चाहिए और जरूरत के अनुसार, तत्काल मरम्मत करना चाहिए। ‘‘हकीकत तो यह है कि वे तब यह कदम उठाते हैं जब सड़क पूरी तरह खराब हो चुकी रहती है जिसके कारण दो-चार लोग समय से पहले मौत के मुंह में भी चले जाते हैं।’’

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