देश की खबरें | तमिलनाडु विधानसभा ने केंद्र की ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ नीति के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया

चेन्नई, 14 फरवरी तमिलनाडु विधानसभा ने बुधवार को केंद्र की प्रस्तावित ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ नीति के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित किया और इसे अव्यावहारिक तथा अलोकतांत्रिक करार दिया।

विधानसभा ने परिसीमन प्रक्रिया पर भी एक प्रस्ताव पारित किया जिसमें कहा गया है कि अगर इसे अपरिहार्य कारणों से किया भी जाना है तो इस कवायद के लिए 1971 की जनगणना मानदंड होनी चाहिए ।

मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने दोनों प्रस्ताव पेश करते हुए ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ के प्रस्तान को ‘मनमाना’ करार दिया।

उन्होंने जनगणना (जो लोकसभा चुनावों के बाद आयोजित की जा सकती है) के आधार पर परिसीमन प्रक्रिया 2026 के बाद जारी रखने के प्रस्तावित कदम को एक साजिश करार दिया।

स्टालिन ने कहा कि इससे तमिलनाडु और दक्षिणी राज्यों में निर्वाचित प्रतिनिधियों की संख्या में गिरावट आएगी।

मार्च 2023 में तत्कालीन केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री

किरेन रीजीजू ने राज्यसभा में कहा था कि अगली परिसीमन प्रक्रिया 2026 के बाद होने वाली पहली जनगणना के बाद की जा सकती है।

स्टालिन ने कहा, ‘‘ ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ पूरी तरह अव्यावहारिक और संविधान की मौलिक रूपरेखा के खिलाफ है। यह स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव की संविधान में दी गई गारंटी के पूरी तरह खिलाफ है।’’

उन्होंने कहा कि इस प्रस्ताव से राज्य विधानसभाओं को समय से पहले भंग किया जा सकता है जो संविधान के विरुद्ध है।

उन्होंने कहा, ‘‘अगर केंद्र सरकार का कार्यकाल पूरा हो रहा है तो क्या सभी राज्य विधानसभाओं को भंग किया जाएगा? इसी तरह यदि कुछ राज्यों में सरकारों को निर्धारित कार्यकाल से कम समय तक रहना पड़ा तो क्या केंद्र की सत्ता में बैठे लोग पद छोड़ेंगे?’’

मुख्यमंत्री ने कहा कि स्थानीय निकायों में चुनाव राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में है और स्थानीय निकाय चुनाव कराने का दावा राज्य के अधिकारों का हनन माना जाएगा।

उन्होंने कहा कि परिसीमन की कवायद ऐसे राज्यों के लिए सजा की तरह है जो अपनी जनसंख्या को कम करते हैं।

कांग्रेस, वीसीके, एमडीएमके और वाम दलों समेत अन्य दलों के विधायकों ने सरकार के दोनों प्रस्तावों का समर्थन किया।

परिसीमन की कवायद पर अन्नाद्रमुक के अरुणमोझि थेवन ने कहा कि अगर इसे 1971 की जनगणना के आधार पर किया जाता तो उनकी पार्टी इसका समर्थन करती।

भाजपा विधायक वनाती श्रीनिवासन ने कहा, ‘‘हम आपकी चिंता साझा करते हैं।’’

उन्होंने सदन को आश्वासन दिया कि उनकी पार्टी इस संबंध में उचित कदम उठाएगी।

अन्नाद्रमुक सदस्य थलावई सुंदरम ने ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ पर कहा कि उनकी पार्टी ने मामले का अध्ययन कर रही समिति से कहा है कि उनकी पार्टी प्रस्ताव का समर्थन कर सकती है बशर्ते उससे जुड़े दस प्रस्तावों पर सकारात्मक तरीके से विचार किया जाए।

श्रीनिवासन ने कहा कि ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ के खिलाफ प्रस्ताव की जरूरत नहीं थी और इस संबंध में आशंकाएं काल्पनिक हैं।

उन्होंने कहा कि प्रस्ताव में स्थानीय निकाय शामिल नहीं हैं और संबंधित समिति को सुझाव दिये जा सकते हैं और प्रस्ताव अवांछित है।

दोनों प्रस्ताव ध्वनिमत से पारित कर दिए गए।

विधानसभा अध्यक्ष एम अप्पावू ने आम सहमति से प्रस्ताव पारित होने की घोषणा की।

प्रस्ताव में कहा गया, ‘‘भारत जैसे विशाल और विविधता वाले देश में स्थानीय निकायों, राज्य विधानसभाओं और संसद के चुनाव अलग-अलग समय पर हो रहे हैं और ये चुनाव जन केंद्रित मुद्दों के आधार पर अहम होते हैं। यह विचार लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण की सोच के खिलाफ है।’’

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