कोच्चि, 22 जुलाई केरल उच्च न्यायालय ने फ्रांसिस्कन क्लैरिस्ट कॉन्ग्रीगेशन के नियमों के कथित उल्लंघनों के लिए निष्कासित सिस्टर लुसी कलाप्पुरा की याचिका का बृहस्पतिवार को निपटारा कर दिया और निचली अदालत को उनकी याचिका पर जल्द से जल्द तीन हफ्तों में फैसला लेने का निर्देश दिया।
अदालत ने कहा कि चूंकि यह मामला वायनाड जिले में सिविल अदालत में अब भी विचाराधीन है अत: उसके लिए कॉन्वेंट में रह रहे लोगों के अधिकारों पर नतीजों पर गौर करना उचित नहीं होगा। उच्च न्यायालय ने कहा कि यह उचित होगा कि निचली अदालत याचिका पर सुनवाई करें और जल्द से जल्द फैसला दें।
नन ने शिकायत की कि वह जान पहचान वाले और अनजाने लोगों से खतरे का सामना कर रही हैं। इस पर नरम रुख अपनाने हुए न्यायमूर्ति राजा विजयराघवन ने कहा कि उनकी याचिका वास्तविक लगती है और उन्होंने कॉन्वेंट में तथा उसके आसपास के सीसीटीवी फुटेज को सुरक्षित रखने का निर्देश दिया, जहां नन रहती है।
अदालत ने पुलिस को भी निर्देश दिया कि अगर वह कराक्कमला में कॉन्वेंट के अलावा कहीं और रहते हुए खतरा होने की शिकायत करती है तो इसकी जांच की जाए, सच्चाई का पता लगाया जाए और उन्हें सुरक्षा दी जाए।
नन ने अदालत को बताया कि उन्होंने निष्कासित किए जाने के आदेश को सिविल अदालत में चुनौती दी है और इस पर फैसला होने तक वह कॉन्वेंट में ही रहना चाहती हैं। उन्होंने कहा कि अदालत उन्हें दी गई पुलिस सुरक्षा वापस ले सकती है लेकिन उन्हें कॉन्वेंट में ही रहने दिया जाए क्योंकि उनके पास रहने की कोई और जगह नहीं है।
कॉन्वेंट ने संक्षिप्त सुनवाई के दौरान आरोप लगाया था कि कॉन्वेंट में अनुशासन का पालन करना होता है और सिस्टर इसका पालन नहीं कर रही थी। उसने दावा किया कि वह कॉन्वेंट में देर रात को लौटती थीं जिसकी अनुमति नहीं है।
रोमन कैथोलिक चर्च के तहत एफसीसी ने अगस्त 2019 में नन को निष्कासित कर दिया था। नन ने बिशप फ्रांको मुलक्कल की गिरफ्तारी की मांग करते हुए मिशनरीज ऑफ जीजस कॉन्ग्रीगेशन की ननों के एक प्रदर्शन में भाग लिया था। बिशप फ्रांको मुलक्कल पर एक नन से बलात्कार करने का आरोप है।
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