राजस्थान में स्थानांतरण से पहले हिरणों को बेहोश करने की प्रक्रिया से उच्चतम न्यायालय चिंतित
सुप्रीम कोर्ट (Photo: Wikimedia Commons)

नयी दिल्ली, 25 जुलाई : उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि उसे इस बात की चिंता है कि क्या दिल्ली के हौज खास स्थित हिरण उद्यान से हिरणों को राजस्थान ले जाने से पहले बेहोश किया गया था. न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ को बताया गया कि अब तक 261 हिरणों को पड़ोसी राज्य में स्थानांतरित किया जा चुका है. पीठ ने कहा, "हमें इस बात की चिंता है कि क्या हिरणों को ले जाने से पहले बेहोश किया गया था?" शीर्ष अदालत ने एक पुराने उदाहरण का हवाला दिया जिसमें वन अधिकारियों ने कहा था कि बेहोश करने वाली दवा हिरणों के लिए अनुकूल नहीं होती है. पीठ ने कहा, "बेहोश करने के दौरान हिरणों की बहुत अधिक मौतें होती हैं."

शीर्ष अदालत हिरण उद्यान से हिरणों के स्थानांतरण से संबंधित याचिका पर सुनवाई कर रही थी. उच्चतम न्यायालय ने मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया. इस बीच, पीठ ने केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण का प्रतिनिधित्व कर रही अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी से हिरणों पर बेहोशी के दवा के प्रभाव और इससे संबंधित मृत्यु दर के प्रतिशत का पता लगाने को कहा. भाटी ने कहा कि शीर्ष अदालत ने 16 मई को केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण के अधिकारियों की एक टीम को उन स्थानों का तुरंत दौरा करने का निर्देश दिया था जहां 261 हिरणों को स्थानांतरित किया गया था. उन्होंने कहा कि निरीक्षण रिपोर्ट अदालत के समक्ष दाखिल कर दी गई है लेकिन इसमें बेहोशी की दवा के मुद्दे का जिक्र नहीं है. यह भी पढ़ें : न्यायालय ने न्यायिक सेवा परीक्षा के दृष्टिबाधित अभ्यर्थी की याचिका पर उत्तराखंड को नोटिस जारी किया

पीठ ने कहा, "आप उन्हें वाहनों में भरकर नहीं ले जा सकते. वे जंगली जानवर हैं. उन्हें ले जाने से पहले उन्हें काबू में करना होगा और इससे काफी परेशानी होती है." जब भाटी ने कहा कि 261 हिरणों को पहले ही स्थानांतरित किया जा चुका है, तो पीठ ने कहा, "हमें बताएं कि कितने बचे ? हमें आंकड़े दीजिए." याचिकाकर्ता के वकील ने प्राधिकारियों द्वारा अपनाई गई प्रक्रिया में गंभीर खामियों और लापरवाही को रेखांकित किया. याचिका में दावा किया गया था कि हौज खास में लगभग 600 हिरणों को उचित आवास आकलन, पशु चिकित्सा जांच या गर्भवती हिरणों और उनके बच्चों के लिए सुरक्षा उपायों के बिना स्थानांतरित किए जाने की आशंका है. इसमें तर्क दिया गया कि वन्यजीव संरक्षण कानूनों का उल्लंघन करते हुए हिरणों के तीन समूहों को पहले ही जल्दबाजी में हिरण उद्यान से राजस्थान के अभयारण्यों में स्थानांतरित किया जा चुका है