नयी दिल्ली, 20 अक्टूबर उच्चतम न्यायालय ने कथित उत्पीड़न मामले में भारतीय युवा कांग्रेस के अध्यक्ष श्रीनिवास बी.वी. को शुक्रवार को अग्रिम जमानत दे दी।
न्यायमूर्ति बी आर गवई, न्यायमूर्ति अरविंद कुमार और न्यायमूर्ति पी के मिश्रा की पीठ ने अपने 17 मई के आदेश को यह कहते हुए स्थायी कर दिया कि वह जांच में सहयोग कर रहे हैं।
शीर्ष अदालत ने 17 मई को श्रीनिवास को मामले में गिरफ्तारी से अंतरिम राहत दी थी।
असम के वकील ने अग्रिम जमानत देने का विरोध किया।
पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता द्वारा जांच में ‘‘सहयोग किए जाने का संज्ञान लेते हुए हम आवेदन को अनुमति देने के इच्छुक हैं। 17 मई का आदेश स्थायी किया जाता है।’’
गुवाहाटी उच्च न्यायालय ने मई में असम प्रदेश युवा कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष द्वारा दर्ज मामले में श्रीनिवास की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी, जिसमें उन पर मानसिक पीड़ा पहुंचाने का आरोप लगाया गया था। शीर्ष अदालत ने 17 मई को असम सरकार को नोटिस जारी कर 10 जुलाई तक याचिका पर जवाब मांगा था।
उच्चतम न्यायालय की पीठ ने कहा, ‘‘हमने दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 164 के तहत दर्ज किए गए शिकायतकर्ता के बयान का भी अध्ययन किया है, जिसे अभियोजन पक्ष ने बहुत विनम्रता से हमारे सामने रखा है। हम इस स्तर पर इसके बारे में कुछ भी टिप्पणी नहीं करना चाहते क्योंकि इसका मुकदमे में पक्षकारों के अधिकारों पर फिर से असर पड़ सकता है।’’
पीठ ने अपने पहले के आदेश में कहा था, ''प्रथम दृष्टया, प्राथमिकी दर्ज करने में हुई लगभग दो महीने की देरी को ध्यान में रखते हुए, हमारे विचार में याचिकाकर्ता अंतरिम सुरक्षा का हकदार है।’’
न्यायालय ने श्रीनिवास को जांच में सहयोग करने और 22 मई को पुलिस के सामने पेश होने और उसके बाद जब भी बुलाया जाए, पेश होने को कहा था।
इसने उन्हें राष्ट्रीय महिला आयोग द्वारा की जा रही जांच में सहयोग करने का भी निर्देश दिया था।
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