नयी दिल्ली, 20 जुलाई उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को महाराष्ट्र राज्य निर्वाचन आयोग (एसईसी) और राज्य के प्राधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि स्थानीय निकायों के चुनाव की प्रक्रिया दो सप्ताह के भीतर शुरू हो जाए।
शीर्ष अदालत महाराष्ट्र स्थानीय निकाय चुनावों में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को आरक्षण से संबंधित एक मामले की सुनवाई कर रही थी और उसे अवगत कराया गया कि 367 स्थानीय निकायों के लिए चुनाव प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। न्यायालय ने कहा कि चुनाव अब और नहीं टाला जा सकता।
न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर, न्यायमूर्ति ए एस ओका और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला की पीठ ने चुनाव प्रक्रिया दो सप्ताह के भीतर प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश देते हुए कहा, ‘‘हम चाहते हैं कि चुनाव हों और हम आप सभी के लिए यह स्पष्ट कर रहे हैं। चुनाव प्रक्रिया शुरू होने दें। इसे तार्किक अंत तक ले जाने दें।’’
पीठ महाराष्ट्र में स्थानीय निकायों के चुनाव से संबंधित एक अर्जी पर सुनवाई कर रही थी।
शीर्ष अदालत ने कहा कि एसईसी की ओर से पेश अधिवक्ता ने कहा है कि 367 स्थानीय निकायों के लिए चुनाव कार्यक्रम पहले ही शुरू हो चुका है और इसे जारी रखा जाएगा और नियत समय में इसके तार्किक अंत तक पहुंचाया जाएगा।
पीठ ने कहा, ‘‘जहां तक शेष स्थानीय निकायों का संबंध है जिनका उल्लेख दाखिल स्थिति रिपोर्ट में किया गया है, हम निर्वाचन आयोग और सभी राज्य प्राधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश देते हैं कि उन स्थानीय निकायों में से प्रत्येक के संबंध में चुनाव प्रक्रिया तुरंत शुरू हो। साथ ही, इस अदालत द्वारा 4 मई, 2022 के एक आदेश में दिए गए निर्देश के आधार पर आगे बढ़ा जाए।’’
शीर्ष अदालत ने 4 मई के अपने आदेश में, एसईसी को दो सप्ताह के भीतर स्थानीय निकाय चुनावों के कार्यक्रम को अधिसूचित करने का निर्देश दिया था।
बुधवार को सुनवाई के दौरान एसईसी के वकील ने कहा कि उन्होंने अनुपालन रिपोर्ट दाखिल कर दी है और चुनाव प्रक्रिया की स्थिति के बारे में विवरण दिया है।
जब एक हस्तक्षेप अर्जी दायर करने वाले व्यक्ति का प्रतिनिधित्व करने वाले एक वकील ने परिसीमन से संबंधित मुद्दा उठाया, तो पीठ ने कहा, "हम चुनाव कराना चाहते हैं और बस इतना ही।"
पीठ ने कहा कि अर्जी में किये गये अनुरोध का उद्देश्य चुनाव को बाधित करना है।
शीर्ष अदालत ने मौखिक रूप से कहा, ‘‘हमने 4 मई के आदेश में जो कुछ भी कहा है, हम उसे फिर से दोहराएंगे और निर्वाचन आयोग और सभी प्राधिकारियों से तदनुसार कार्रवाई करने के लिए कहेंगे।’’
पीठ ने कहा, ‘‘कभी परिसीमन का बहाना बनाया जाता है, तो कभी मानसून का। यह चलता रहता है। यह हमेशा नहीं चल सकता।’’
पीठ ने महाराष्ट्र सरकार द्वारा दायर एक अर्जी की सुनवाई करते हुए यह कहा। अर्जी में यह दलील दी गई थी कि राज्य निर्वाचन आयोग को स्थानीय निकायों में अन्य पिछड़ा वर्गों (ओबीसी) के लिए आरक्षण के लिए गठित आयोग की रिपोर्ट के आधार पर शेष स्थानीय निकायों की चुनाव प्रक्रिया को आगे बढ़ाने की अनुमति देनी चाहिए।
शीर्ष अदालत ने कहा कि स्थानीय निकायों के चुनाव में देर नहीं होनी चाहिए।
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