नयी दिल्ली, 3 जुलाई : राष्ट्रीय राजधानी के एक लक्जरी होटल में हुई सुनंदा पुष्कर (Sunanda Pushkar) की मौत के संबंध में कांग्रेस नेता शशि थरूर के खिलाफ मुकदमा चलेगा या नहीं, इस मामले पर स्थानीय अदालत ने शुक्रवार को अपना आदेश करीब एक महीने के लिए आगे टाल दिया. विशेष न्यायाधीश गीतांजलि गोयल को थरूर के खिलाफ आरोप तय करने के संबंध में शुक्रवार को अपना आदेश सुनाना था, लेकिन अभियोजन पक्ष द्वारा लिखित सामग्री सौंपने के लिए एक सप्ताह का समय मांगे जाने के बाद उन्होंने मामले की सुनवाई 27 जुलाई तक के लिए स्थगित कर दी. न्यायाधीश ने एक आदेश में कहा, ‘‘अभियोजन पक्ष की ओर से लिखित सामग्री जमा करने के लिए एक सप्ताह का समय देने का अनुरोध किया गया है. इसकी प्रति आरोपी के वकील को भी दी जाएगी. आवेदन मंजूर किया जाता है. अगर कोई आदेश/दलील होनी है तो वह 27 जुलाई को होगी.’’
अदालत ने इससे पहले कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर मामले की सुनवाई दो जुलाई तक के लिए स्थगित कर दी थी. अदालत ने दिल्ली पुलिस और थरूर के वकीलों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था. पुलिस ने थरूर के खिलाफ आईपीसी की धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाने) सहित अन्य अपराधों के लिये आरोप तय करने का अनुरोध किया था, लेकिन कांग्रेस नेता की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता विकास पाहवा ने अदालत से कहा था कि एसआईटी द्वारा की गई जांच में थरूर को सभी आरोपों से मुक्त कर दिया गया है. यह भी पढ़ें : Delhi: बुद्ध विहार स्थित घर में लगी आग, 4 लोग झुलसे, अस्पताल में कराया गया भर्ती
पाहवा ने अनुरोध किया था कि थरूर को मामले से आरोप मुक्त कर दिया जाए. उन्होंने कहा था कि थरूर के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धाराओं 498ए (पति या पति के रिश्तेदारों द्वारा महिला को प्रताड़ित करना) और 306 (आत्महत्या के लिए उकसाने) के तहत दोष साबित करने के लिए कोई साक्ष्य नहीं है. सुनंदा पुष्कर का शव 17 जनवरी, 2014 की रात को एक लक्जरी होटल से मिला था. थरूर और उनकी पत्नी उस दौरान सांसद के बंगले में मरम्मत होने के कारण होटल में रह रहे थे. थरूर के खिलाफ दिल्ली पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की धारा 498 (ए) और 306 के तहत मामला दर्ज किया था, लेकिन उन्हें गिरफ्तार नहीं किया था.