देश की खबरें | कोविड-19 के कारण जान गंवाने वाले लोगों के शवों के सुरक्षित निस्तारण के लिए कदम उठाए गए हैं : बीएमसी

मुंबई, तीन जुलाई बृहन्मुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) ने शुक्रवार को बंबई उच्च न्यायालय से कहा कि कोविड-19 के कारण मरने वाले लोगों के शवों के निस्तारण के लिए उसने पर्याप्त सुरक्षा उपाय किए हैं और तय मानकों का पालन कर रहा है।

नगर निकाय ने पूर्व पत्रकार केतन तिरोडकर की याचिका पर दाखिल जवाब मे यह दावा किया है। इस याचिका में आरोप लगाया गया है कि दादर में शिवाजी पार्क के पास शवदाह गृह में, मध्य मुंबई के सायन और दक्षिण मुंबई के चंदनवाड़ी शवदाह गृह में कोविड-19 के शिकार लोगों के शवों के निस्तारण में कई खामियां थीं।

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याचिका के मुताबिक, इन शवदाह गृह के कर्मियों को पीपीई किट, मास्क और सेनिटाइजर जैसे सुरक्षा उपकरण मुहैया नहीं कराए गए हैं।

बीएमसी के वकील अनिल साखरे ने मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति एन जे जामदार की खंडपीठ के समक्ष कहा कि कोविड-19 संक्रमण से मरने वालों के शवों के सुरक्षित निस्तारण के लिए नगर निकाय, केंद्र सरकार और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा तय किए गए मानकों का पालन कर रहा है।

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साखरे ने अदालत से कहा, ‘‘शवदाह गृह कर्मियों और संबंधित अस्पताल से शवदाह गृह तक शवों को ले जाने वाले चालकों एवं सहायक कर्मियों को पीपीई किट, मास्क, सेनिटाइजर जैसे सुरक्षा उपकरण मुहैया कराए गए हैं। कर्मियों की नियमित र्थमल स्क्रीनिंग होती है और उनकी कोविड-19 जांच भी होती है।’’

उनके मुताबिक कोविड-19 के कारण मरने वालों के शवों का अंतिम संस्कार केवल बिजली शवदाह गृह में होता है।

उन्होंने कहा कि कोविड-19 के कारण मरने वालें लोगों के 20 शवों का एक शवदाहगृह में अंतिम संस्कार होता है।

साखरे ने कहा, ‘‘साथ ही ऐसे लोगों के शवों का भी अंतिम संस्कार किया जा रहा है जिनकी मौत कोविड-19 के कारण नहीं हुई है।’’

बीएमसी के मुताबिक, जब कोविड-19 से संक्रमित मरीज की मौत किसी अस्पताल में होती है तो अधिकारी संबंधित पुलिस और शवदाह गृह को सूचित करते हैं, जिसके बाद अस्पताल से शवदाह गृह तक शव को ले जाने में सभी आवश्यक कदम उठाए जाते हैं।

साखरे ने कहा, ‘‘लावारिस शवों का अंतिम संस्कार संबंधित थाने के कर्मी करते हैं।’’

बीएमसी के हलफनामे को सुनने के बाद पीठ ने कहा कि अधिकारी कोविड-19 के कारण मरने वालों के शवों के निस्तारण में तय मानकों का ईमानदारी से पालन कर रहे हैं और इसलिए अदालत को इसमें हस्तक्षेप करने की जरूरत नहीं है।

नीरज

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