नयी दिल्ली, 28 दिसंबर बढ़ते आयात से बुरी तरह प्रभावित भारतीय इस्पात उद्योग 2025 में अपने हितों की रक्षा के लिए नीतिगत पहलों पर उत्सुकता से नजर रखेगा। इस्पात उद्योग कच्चे माल की अस्थिर कीमतों के बीच 30 करोड़ टन क्षमता के लक्ष्य की ओर आगे बढ़ रहा है।
उद्योग के सामने एक और चुनौती स्वच्छ विनिर्माण प्रक्रियाओं में बदलाव के प्रयासों में तेजी लाने की होगी, क्योंकि सरकार हरित इस्पात उत्पादन को बढ़ावा दे रही है, तथा वैश्विक स्तर पर कठिन क्षेत्रों में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कटौती करने पर जोर दिया जा रहा है।
सरकारी हस्तक्षेप आवश्यक होगा, क्योंकि भारतीय इस्पात उद्योग 2030 तक 30 करोड़ टन प्रति वर्ष की विनिर्माण क्षमता बनाने के लिए विस्तार कर रहा है और लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए शेष 12 करोड़ टन क्षमता को जोड़ने के लिए लगभग 10 लाख करोड़ रुपये के निवेश की आवश्यकता होगी।
इस्पात मंत्रालय के अनुसार, भारत इस्पात का शुद्ध आयातक बना रहा, तथा वित्त वर्ष 2025 के अप्रैल-सितंबर में आयात, निर्यात से काफी अधिक रहा।
अप्रैल-सितंबर 2024 की अवधि में आयात पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि के 33.3 लाख टन से 41 प्रतिशत बढ़कर 47 लाख टन हो गया।
आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि इस साल अप्रैल-सितंबर में निर्यात 36 लाख टन से 36 प्रतिशत घटकर 23.1 लाख टन रह गया।
आयात के संबंध में मंत्रालय ने कहा कि उद्योग जगत द्वारा चीन से सीधे या वियतनाम जैसे देशों के माध्यम से होने वाले सस्ते आयात के खिलाफ संरक्षण की मांग बढ़ रही है।
वैश्विक रुझान घरेलू उद्योगों की सुरक्षा के लिए किए जा रहे प्रयासों को भी दर्शाता है। यूरोपीय संघ ने पहले ही ‘कोल्ड’ और ‘हॉट’ रोल्ड स्टेनलेस स्टील पर डंपिंग-रोधी शुल्क लगा दिया है, जबकि ब्राजील, मैक्सिको और अमेरिका ने भी अपने घरेलू बाजारों की सुरक्षा के लिए शुल्क लागू किए हैं।
दो दिसंबर को वाणिज्य विभाग के साथ बैठक में इस्पात मंत्रालय ने देश में आयातित कुछ इस्पात उत्पादों पर 25 प्रतिशत सुरक्षा शुल्क लगाने का प्रस्ताव रखा। बैठक में इस्पात मंत्री एचडी कुमारस्वामी और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल मौजूद थे।
वाणिज्य मंत्रालय के अंतर्गत व्यापार उपचार महानिदेशालय (डीजीटीआर) ने भी शीर्ष उद्योग निकाय भारतीय इस्पात संघ (आईएसए) की शिकायत के बाद देश में कुछ इस्पात फ्लैट उत्पादों के आयात में कथित वृद्धि की जांच शुरू की है, जिसके सदस्यों में टाटा स्टील, जेएसडब्ल्यू स्टील, एएमएनएस इंडिया, जिंदल स्टील एंड पावर और राज्य के स्वामित्व वाली स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) शामिल हैं।
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