नयी दिल्ली, 14 जनवरी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंगलवार को कहा कि सांख्यिकीय उपकरण और मात्रात्मक तकनीक नीतिगत निर्णयों के लिए अनुभवजन्य आधार प्रदान कर प्रभावी शासन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
उन्होंने भारतीय सांख्यिकी सेवा (आईएसएस) के परिवीक्षाधीन अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि सरकारें स्वास्थ्य, शिक्षा, जनसंख्या आकार और रोजगार सहित अन्य क्षेत्र के आंकड़े एकत्र करने के लिए राष्ट्रीय सांख्यिकीय प्रणालियों पर निर्भर हैं। ये आंकड़े नीति-निर्माण का आधार होते हैं।
आईएसएस के 2024 बैच के परिवीक्षाधीन अधिकारियों ने मंगलवार को राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति मुर्मू से मुलाकात की।
मुर्मू ने कहा कि सांख्यिकी का उपयोग प्राचीन सभ्यताओं में भी किया जाता था, जब शासक कराधान उद्देश्यों के लिए बुनियादी जनगणना आंकड़ों का उपयोग करते थे।
राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘सांख्यिकीय विश्लेषण शासन में पारदर्शिता और जवाबदेही लाने का एक उपकरण है। सांख्यिकी न केवल कुशल शासन की रीढ़ है, बल्कि सामाजिक-आर्थिक विकास का औजार भी है।’’
मुर्मू ने कहा कि सटीक आंकड़े एकत्र करना उनका कर्तव्य है, जो ठोस और उद्देश्यपूर्ण निर्णयों का आधार हो सकता है।
उन्होंने कहा, ‘‘सरकार को नीतियां बनाने, लागू करने और निगरानी करने के साथ-साथ नीति की समीक्षा और प्रभाव का आकलन करने के लिए आंकड़ों की आवश्यकता होती है। नागरिकों को सरकारी योजनाओं और कार्यक्रमों के आकलन और उनके बारे में निष्पक्ष समझ बनाने के लिये आंकड़ों की आवश्यकता होती है। आपकी नौकरी के लिए सांख्यिकीय पद्धतियों में उच्च दक्षता की आवश्यकता होती है, जिसका उपयोग आप देश की आंकड़ों और सूचना आवश्यकताओं का समाधान प्रदान करने के लिए करेंगे।’’
राष्ट्रपति ने परिवीक्षाधीन आईएसएस अधिकारियों से आंकड़े एकत्र करते समय आम लोगों, विशेषकर गरीबों और वंचितों की जरूरतों के प्रति संवेदनशील रहने का आग्रह किया।
मुर्मू ने कहा, ‘‘आपके द्वारा एकत्र किए गए सभी आंकड़े को संसाधित, विश्लेषित किया जाएगा और अंततः लोगों की जरूरतों की पूर्ति करने तथा उनके सपनों को पूरा करने में मदद करने के लिए उपयोग किया जाएगा। समाज के विभिन्न वर्गों के विकास से देश की समृद्धि बढ़ेगी।’’
मुर्मू ने कहा कि आईएसएस अधिकारी अर्थव्यवस्था की स्थिति के विभिन्न पहलुओं को मापने के लिए राष्ट्रीय खाते, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक, औद्योगिक उत्पादन सूचकांक और ऐसे अन्य महत्वपूर्ण सूचकांक तैयार करने के लिए जिम्मेदार हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘आप जनसंख्या, मानव विकास, रोजगार और सामाजिक न्याय पर विभिन्न सामाजिक आंकड़े, गरीबी और दिव्यांग व्यक्तियों के संबंध में बहु-आयामी आंकड़े और सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) से संबंधित संकेतकों का विकास और विश्लेषण भी करेंगे।’’
राष्ट्रपति ने कहा कि ये प्रामाणिक आंकड़े आर्थिक विकास को मापने और प्रभावी नीतियां बनाने के लिए प्रमुख उपकरण के रूप में कार्य करते हैं।
मुर्मू ने कहा, ‘‘आंकड़े नीति निर्माताओं के लिए नैदानिक उपकरण की तरह हैं। प्रभावी हस्तक्षेप के लिए नैदानिक आंकड़े की सटीकता महत्वपूर्ण है।’’
उन्होंने कहा कि वैश्विक आर्थिक महाशक्ति बनने की भारत की यात्रा के दौरान अधिकारी सुविज्ञ निर्णय लेने, पारदर्शिता को बढ़ावा देने और अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों में सतत विकास को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
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