WFI Election 2023: खेल मंत्रालय की डब्ल्यूएफआई चुनावों पर रोक, आईओए को चुनाव के लिए तदर्थ पैनल बनाने को कहा
Wrestlers Protest | Photo: Twitter

नयी दिल्ली, 24 अप्रैल खेल मंत्रालय ने सात मई को होने वाले भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के चुनावों को सोमवार को रोक दिया और भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) से तदर्थ समिति का गठन करने को कहा जो अपने गठन के 45 दिन के भीतर चुनाव कराएगी और खेल संस्था का कामकाज भी देखेगी. बजरंग पूनिया और विनेश फोगाट सहित देश के शीर्ष पहलवानों के रविवार को यहां अपना धरना फिर से शुरू करने और डब्ल्यूएफआई प्रमुख बृज भूषण शरण सिंह के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोपों की जांच करने वाले निगरानी पैनल के निष्कर्षों को सार्वजनिक करने की मांग करने के बाद मंत्रालय का यह फैसला आया है. यह भी पढ़ें: प्रदर्शन कर रहे पहलवानों ने खटखटाया सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा, WFI चीफ के खिलाफ FIR दर्ज करने की मांग

आईओए अध्यक्ष पीटी उषा को भेजे मंत्रालय के पत्र में कहा गया है, ‘‘... यह समझा जाता है कि कार्यकारी समिति (डब्ल्यूएफआई की) का चुनाव सात मई 2023 को निर्धारित किया गया है. इस संबंध में, वर्तमान स्थिति को देखते हुए यह आवश्यक है कि उक्त चुनाव प्रक्रिया को रद्द माना जाए और कार्यकारी समिति के नए चुनाव एक तटस्थ संस्था/ निर्वाचन अधिकारी के तहत कराए जाने चाहिए.’’

उन्होंने कहा, ‘‘... आईओए को एक अस्थाई समिति या तदर्थ समिति का गठन करना चाहिए जो अपने गठन के 45 दिन के भीतर डब्ल्यूएफआई की कार्यकारी परिषद का चुनाव कराए और डब्ल्यूएफआई के कामकाम का प्रबंधन करे जिसमें खिलाड़ियों का चयन और अगली कार्यकारी समिति के पदभार संभालने से पहले तक की अंतरिम अवधि के लिए अंतरराष्ट्रीय आयोजनों में खिलाड़ियों की भागीदारी की प्रविष्टियां तैयार करना शामिल है.’’

शीर्ष पहलवानों के बृज भूषण के खिलाफ यौन उत्पीड़न और धमकी के आरोपों के बाद मंत्रालय ने डब्ल्यूएफआई के कामकाज को चलाने और मामले की जांच के लिए ओलंपिक पदक विजेता मुक्केबाज एमसी मेरीकोम की अध्यक्षता में छह सदस्यीय निगरानी समिति का गठन किया था.

सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपने के बाद निरीक्षण समिति रद्द हो गई जिसके परिणामस्वरूप डब्ल्यूएफआई में प्रशासनिक शून्य हो गया। मंत्रालय ने इसलिए आईओए से डब्ल्यूएफआई के मामलों के प्रबंधन के लिए ‘उपयुक्त अंतरिम व्यवस्था’ करने को कहा है.

मंत्रालय के पत्र के अनुसार, ‘‘कुश्ती एक ओलंपिक खेल है और डब्ल्यूएफआई आईओए से मान्यता प्राप्त है तथा डब्ल्यूएफआई में प्रशासनिक शून्य की वर्तमान स्थिति को ध्यान में रखते हुए यह आईओए के लिए जरूरी है कि वह डब्ल्यूएफआई के प्रबंधन के लिए उपयुक्त अंतरिम व्यवस्था करे जिससे कि पहलवानों को किसी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़े.’’

मंत्रालय ने यह भी खुलासा किया कि आरोपों की जांच के लिए सरकार द्वारा 23 जनवरी को गठित निगरानी समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है.

मंत्रालय ने कहा, ‘‘निगरानी समिति ने अपनी रिपोर्ट मंत्रालय को सौंप दी है और वर्तमान में इसकी जांच की जा रही है। कुछ प्रमुख निष्कर्षों में यौन उत्पीड़न रोकथाम अधिनियम, 2013 के तहत विधिवत गठित आंतरिक शिकायत समिति की अनुपस्थिति और शिकायत निवारण के लिए खिलाड़ियों के बीच जागरूकता के लिए पर्याप्त तंत्र की कमी शामिल है.’’

इसमें कहा गया, ‘‘खिलाड़ियों सहित महासंघ और हितधारकों के बीच अधिक पारदर्शिता और परामर्श की आवश्यकता है। (और) महासंघ और खिलाड़ियों के बीच प्रभावी संवाद की आवश्यकता है.’’

छह सदस्यीय निगरानी समिति में पहलवान बबीता फोगाट और योगेश्वर दत्त, पूर्व बैडमिंटन खिलाड़ी तृप्ति मुरगुंडे, पूर्व साइ अधिकारी राधिका श्रीमन और पूर्व टॉप्स सीईओ राजेश राजगोपालन अन्य सदस्य थे.

गोंडा में 16 अप्रैल को डब्ल्यूएफआई की आपातकालीन आम बैठक और कार्यकारी समिति की बैठक के दौरान बृज भूषण ने पुष्टि की थी कि वह अध्यक्ष पद के लिए चुनाव नहीं लड़ेंगे लेकिन संकेत दिया कि वह महासंघ के भीतर एक नई भूमिका की तलाश कर सकते हैं.

बृज भूषण पहले ही 12 साल के लिए डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष के रूप में काम कर चुके हैं जिसमें चार साल के तीन कार्यकाल शामिल हैं. वह खेल संहिता के तहत पद के लिए फिर से आवेदन करने के पात्र नहीं हैं.

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