नयी दिल्ली, दो अगस्त लोकसभा में शुक्रवार को समाजवादी पार्टी (सपा) के एक सदस्य ने निजी क्लिनिकों में चिकित्सकों की फीस नियंत्रित करने की आवश्यकता जताते हुए इसके लिए एक नियमावली तैयार करने का सरकार से अनुरोध किया।
सपा सदस्य नीरज मौर्य ने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के नियंत्रणाधीन अनुदान की मांगों पर सदन में चर्चा में हिस्सा लेते हुए यह मांग की।
मौर्य ने कहा कि उत्तर प्रदेश, खासकर बदायूं जिले की स्वास्थ्य सेवाएं बदहाल हैं, जहां इलाज कराना मुश्किल काम है। उन्होंने राजकीय मेडिकल कॉलेज, बदायूं के बारे में कहा कि वह पिछले दिनों वहां गये थे और उन्हें पता चला कि इतने बड़े मेडिकल कॉलेज का केवल पांच प्रतिशत हिस्सा ही अभी इस्तेमाल हो रहा है।
मौर्य ने कहा कि संबंधित मेडिकल कॉलेज में केवल ओपीडी सेवा दी जा रही थी, बाकी विभाग बंद थे।
उन्होंने कहा कि मेडिकल कॉलेज सुचारू रूप से नहीं चलने के कारण निजी क्लिनिक चलाने वाले चिकित्सकों के पौ-बारह हो रहे हैं और वे केवल अपनी फीस के तौर पर 2,000 रुपये मरीजों से वसूलते हैं, जो गरीबों एवं वंचितों के लिए एक बड़ी राशि है।
मौर्य ने कहा कि सरकार को ऐसे चिकित्सकों की फीस को नियंत्रित करने के लिए नियमावली तैयार करनी चाहिए।
संत कबीरनगर से सपा सांसद लक्ष्मीकांत पप्पू निषाद ने अपने जिले में मेडिकल कॉलेज खोले जाने की मांग की।
उन्होंने कहा कि जिले में संत कबीर के नाम पर चिकित्सा महाविद्यालय खोला जाना चाहिए, ताकि आसपास के इलाके के लोग चिकित्सा सुविधा का लाभ उठा सकें।
इस बीच, मणिपुर (आंतरिक) से कांग्रेस सांसद अंगोमचा बिमोल अकोइजम ने मणिपुर में स्वास्थ्य सेवाएं बेहाल होने का मुद्दा उठाया और क्षेत्रीय आयुर्विज्ञान संस्थान (आरआईएम) को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के रूप में उन्नत करने की मांग की।
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