नयी दिल्ली, 27 अगस्त कांग्रेस ने जीएसटी परिषद की बैठक के नतीजों को लेकर नाखुशी जाहिर करते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि राज्यों पर समाधान थोपेने की बजाय विवादों के निस्तारण के लिए एक व्यवस्था बनाई जानी चाहिए।
पार्टी की तरफ से पुडुचेरी के मुख्यमंत्री वी नारायणसामी, पंजाब के वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल और छत्तीसगढ़ के कैबिनेट मंत्री टी एस सिंह देव ने वीडियो कांफ्रेस के माध्यम से संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में यह भी कहा कि कोरोना संकट के कारण राज्यों की आर्थिक स्थिति बहुत खराब हो चुकी है और ऐसे में सरकार को जीएसटी के मुआवजे के भुगतान सुनिश्चित करना चाहिए था।
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नारायणसामी ने कहा, ‘‘बैठक में सिर्फ एक एजेंडे पर चर्चा हई और वो जीएसटी मुआवजे को लेकर। कोविड संकट के कारण राज्यों ने राजस्व पर बुरा असर पड़ा है। सभी प्रदेशों का कहना था कि कि मौजूदा हालात में राज्यों को चलाना मुश्किल है और ऐसे में केंद्र सरकार को जीएसटी मुआवजे की राशि देनी चाहिए।’’
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने वादा किया था कि राजस्व के नुकसान की स्थिति में पांच साल तक मुआवजे की राशि देगी। आज वह अपनी इस प्रतिबद्धता को पूरा नहीं कर राज्यों की कोई मदद नहीं कर रही है।
मनप्रीत बादल ने दावा किया, ‘‘समाधान हमारे ऊपर थोप दिया गया । राज्य सरकारें कर्ज ले सकेंगी और इसमें भारत सरकार हमारी मदद करेगी। यह निर्णय ठीक नहीं था, लेकिन हमारे सामने कोई विकल्प नहीं बचा था। हम बैठक के नतीजे से खुश नहीं हैं।’’’
उन्होंने कहा कि केंद्र के साथ कोई राज्य सहमत नहीं है तो इसका मतलब यह है कि वो जो चाहेंगे, फैसला वही होगा।
बादल ने कहा कि समाधान थोपने के बजाय विवादों को सुलझाने के लिए व्यवस्था बनाई जानी चाहिए।
टीएस सिंह देव ने दावा किया, ‘‘ जो समाधान दिया गया है वो संतोषजनक नहीं है। जीएसटी परिषद के हालात दुखद हैं। यह तेजी से आम-सहमति के बजाय बहुमत के पक्ष की ओर झुकती जा रही है।’’
गौरतलब है कि केंद्र ने बृहस्पतिवार को जीएसटी राजस्व में कमी की भरपाई के लिये राज्यों द्वारा उधार जुटाने के लिये जीएसटी परिषद के समक्ष दो विकल्प रखे। चालू वित्त वर्ष में जीएसटी राजस्व प्राप्ति में 2.35 लाख करोड़ रुपये की कमी का अनुमान है।
राजस्व सचिव अजय भूषण पांडे ने कहा कि रिजर्व बैंक से विचार-विमर्श के बाद राज्यों को विशेष विकल्प उपलब्ध कराये जा सकते हैं। इसके तहत वाजिब ब्याज दर 97,000 करोड़ रुपये उपलब्ध कराये जा सकते हैं। राशि का भुगतान पांच साल बाद (जीएसटी लागू होने के) 2022 के अंत में उपकर संग्रह से किया जा सकता है।
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