नयी दिल्ली, 28 जुलाई उद्योग मंडल सीआईआई ने मंगलवार को कहा कि जीएसटी संग्रह, रेल माल ढुलाई यातायात, पेट्रोल खपत जैसे थोड़े थोड़े अंतराल पर मिलने वाले आकड़ों से संकेत मिलता है कि अप्रैल के मुकाबले अर्थव्यवस्था में ठोस सुधार के संकेत दे रहे हैं।
उसने कहा कि ये संकेत कोरोना वायरस महामारी और उसकी रोकथाम के लिये ‘लॉकडाउन’ से अर्थव्यवस्था पर पड़े गंभीर असर के कारण तीव्र गिरावट के बाद तेजी यानी V आकार में पुनरूद्धार का इशारा कर रहे हैं।
भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के अनुसार माल एवं सेवा कर संग्रह, रेल माल ढुलाई यातायात समेत पेट्रोल खपत, बिजली मांग, इलेक्ट्रॉनिक पथकर संग्रह एवं अन्य संकेतक पुनरूद्धार के संकेत दे रहे हैं।
उद्योग मंडल ने कहा, ‘‘हालांकि अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी लेकिन ये निश्चित रूप से अच्छे संकेत हैं जो ‘लॉकडाउन’ के बाद तीव्र गति से पुनरूद्धार का इशारा कर रहे हैं।’’
सीआईआई के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा कि इस शुरूआती पुनरूद्धार को आगे बढ़ाने के लिये, यह जरूरी है कि अनिश्चितताएं दूर हों जो अभी पाबंदियों के संदर्भ में बरकरार हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘कंपनियां कुछ सप्ताह से अधिक की योजना नहीं बना पा रही हैं। इससे कामकाज प्रभावित हो रहा है।’’
बनर्जी ने कहा कि हालांकि पुनरूद्धार के शुरूआती संकेत उत्साहजनक हैं लेकिन इसे आगे बढ़ाना जरूरी है। इसके लिये तमाम नीतिगत उपाय करने होंगे और ‘छोटे स्तर पर ‘लॉकडाउन’ से संबद्ध अनिश्चितताओं को दूर कर कारोबारी गतिविधियों को अनुमति देनी होगी।
सीआईआई महानिदेशक ने कहा कि हालांकि महामारी को लेकर कोई भविष्यवाणी करना संभव नहीं है, लेकिन संक्रमण के घटने-बढ़ने के आधार पर अनुमान योग्य कदम उठाकर अनिश्चिता को दूर किया जा सकता है और ग्राहकों तथा उद्योग के भरोसे को बढ़ाया जा सकता है। इससे अंतत: मांग और निवेश में सुधार लाने में मदद मिलेगी।
उन्होंने यह भी कहा कि संक्रमित क्षेत्रों समेत विभिन्न राज्यों एवं जिलों में आपूर्ति व्यवस्था के बेहतर तरीके से संचालन सुनिश्चित करने के लिये यह जरूरी है कि संक्रमित क्षेत्र का दायरा जरूरत के अनुसार सीमित रखा जाए न कि उसके कारण एक बड़े क्षेत्र में अंकुश लगाया जाए।
सीआईआई ने यह भी कहा कि सरकार ने गांवों और शहरों में रहने वाले गरीबों को नकद अंतरण कर और खाने-पीने का सामान उपलब्ध कराकर एक शुरूआती पुनरूद्धार लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है।
बनर्जी ने कहा कि इसके अलावा सरकार ने आत्मनिर्भर प्रोत्साहन पैकेज के तहत एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमा) को बिना किसी गारंटी के 3 लाख करोड़ रुपये का कर्ज और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों/आवास वित्त कंपनियों/सूक्ष्म वित्त कंपनियों के लिये 30,000 करोड़ रुपये की विशेष नकदी योजना की घोषणा की। इसका भी सकारात्मक प्रभाव पड़ा।
उद्योग मंडल ने कहा कि चालू वर्ष में अर्थव्यवस्था में मंदी पिछली मंदी की तुलना में अलग है। इससे पहले, जब भी अर्थव्यवस्था में मंदी आयी थी, उसका कारण मानसून का विफल होना था।
इस साल भारतीय अर्थव्यवस्था के लिये कृषि क्षेत्र एक उम्मीद की किरण बनकर उभरा है।
सीआईआइ के अनुसार ग्रामीण क्षेत्र को छोड़कर विभिन्न क्षेत्रों के प्रदर्शन में अंतर है।
उदाहरण के लिये कुछ क्षेत्रों ने जो अच्छा काम किया है, उसमें औषधि, दैनिक उपयोग का सामान बनाने वाली कंपनियों और कृषि शामिल हैं। साथ ही अर्थव्यवस्था के लिहाज से महत्वपूर्ण निर्माण क्षेत्र में भी तेजी आ रही है जो रोजगार के लिहाज से महत्वपूर्ण है।
इसके विपरीत विमानन, होटल और वाणिज्यिक वाहन क्षेत्रों में काफी दबाव है।
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