देश की खबरें | दिल्ली की वायु गुणवत्ता में हल्का सुधार, अब भी ‘ बहुत खराब’ श्रेणी में बरकरार
एनडीआरएफ/प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: ANI)

नयी दिल्ली, 11 नवंबर दिल्ली में छह दिन तक वायु गुणवत्ता ‘गंभीर’ श्रेणी में रहने के बाद बुधवार को इसमें हल्का सुधार आया। हवाओं की बदली दिशा और पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण में कमी की वजह से दिल्ली की वायु गुणवत्ता ‘बेहद खराब’ श्रेणी में दर्ज की गई।

दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) सुबह 388 दर्ज किया गया जबकि मंगलवार को 24 घंटे का औसत एक्यूआई 476 दर्ज किया गया था।

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दिल्ली में मंगलवार को लगतार छठे दिन एक्यूआई ‘ गंभीर’ श्रेणी में दर्ज किया गया था। इससे पहले पिछले साल नवंबर में ही लगातार सात दिनों तक दिल्ली की वायु गुणवत्ता ‘गंभीर’ श्रेणी में बनी रही थी।

दिल्ली के पड़ोसी शहरों में भी वायु गुणवत्ता ‘बेहद खराब’ श्रेणी में दर्ज की गई। आंकड़ों के मुताबिक फरीदाबाद का एक्यूआई 345, गाजियाबाद का 390, नोएडा का 339, ग्रेटर नोएडा का 322 और गुरुग्राम का एक्यूआई 309 दर्ज किया गया।

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दिल्ली में सुबह नौ बजे पीएम-2.5 का स्तर 233 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर दर्ज किया गया जो आपात स्थिति 300 माइक्रोग्राम से कम है। हालांकि, 60 माइकोग्राम प्रति घन मीटर से नीचे का स्तर सुरक्षित माना जता है।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के मुताबिक दिल्ली में मंगलवार दोपहर के पीएम-2.5 का स्तर 528 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर के स्तर पर पहुंच गया था जबकि एक समय यह 685 के स्तर पर था।

सीपीसीबी के आंकड़ों के मुताबिक सुबह नौ बजे पीएम 10 का स्तर 384 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर दर्ज किया गया जबकि भारत में 100 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से कम पीएम-10 को सुरक्षित माना जाता है।

केंद्र सरकार की दिल्ली स्थित वायु गुणवत्ता पूर्व चेतावनी प्रणाली के मुताबिक, ‘‘हवा की गति में बदलाव का सकारात्मक असर हवा की गुणवत्ता पर पड़ा है और बृहस्पतिवार व शुक्रवार को भी वायु गुणवत्ता ‘‘बेहद खराब’ श्रेणी में भी बनी रहेगी। हालांकि, शुक्रवार को वायु गुणवत्ता में आंशिक गिरावट दर्ज की जाएगी।’’

पूर्व चेतावनी प्रणाली के मुताबिक, ‘‘ पंजाब में मंगलवार को पराली जलाने की करीब 3,500 घटनाएं हुईं लेकिन पूर्वी हवाओं की वजह से इनका प्रभाव दिल्ली पर नगण्य रहा।’’

सीपीबीसी के मुताबिक मंगलवार को दिल्ली के प्रदूषण में मौजूद पीएम-2.5 में पराली जलाने की हिस्सेदारी 22 प्रतिशत रही।  

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