मुंबई, 12 जनवरी शिवसेना (उबाठा) के नेता संजय राउत ने रविवार को कहा कि उनकी पार्टी अपना आधार मजबूत करने के लिए स्थानीय निकाय चुनाव अकेले लड़ना चाहती है और उसने विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ या महा विकास आघाडी (एमवीए) को भंग करने की मांग कभी नहीं की।
राउत की यह टिप्पणी ऐसे समय आई है जब एक दिन पहले उन्होंने ‘‘किसी गठबंधन में शामिल दलों के कार्यकर्ताओं को अवसर नहीं मिलने और संगठनात्मक विकास के अधिकार को अकेले चुनाव लड़ने के प्रमुख कारणों के रूप में उद्धृत किया था, जिससे विपक्षी गठबंधन की एकता पर सवालिया निशान खड़ा हो गया था।
रविवार को पत्रकारों से बातचीत में राउत ने कहा, ‘‘एमवीए का गठन विधानसभा चुनाव के लिए और ‘इंडिया’ गठबंधन का गठन लोकसभा चुनाव के लिए किया गया था। स्थानीय निकाय चुनाव पार्टी कार्यकर्ताओं को सशक्त बनाने और जमीनी स्तर पर संगठन को मजबूत करने के लिए हैं।’’
राज्यसभा सदस्य राउत ने कहा, ‘‘मैंने या मेरी पार्टी ने कभी नहीं कहा कि ‘इंडिया’ गठबंधन या एमवीए को भंग कर दिया जाना चाहिए।’’
‘इंडिया’ और एमवीए गठबंधनों में उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली शिवसेना (यूबीटी), कांग्रेस और शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) शामिल हैं।
चुनाव में अकेले उतरने की योजना को लेकर कांग्रेस नेताओं द्वारा उनकी आलोचना किए जाने के बारे में पूछे जाने पर, राउत ने कहा कि कांग्रेस पार्टी के सदस्यों को प्रतिक्रिया देने से पहले उनकी पूरी टिप्पणी सुननी चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘कांग्रेस नेताओं को दूसरों की बात सुनने की आदत डालनी चाहिए।’’
राउत ने कहा कि शिवसेना (उबाठा) यह सुनिश्चित करना चाहती है कि उसका ‘जलती मशाल’ (चुनाव) चिह्न जमीनी स्तर पर मतदाताओं तक पहुंचे। उन्होंने कहा कि एमवीए सहयोगियों को अब बूथ स्तर पर काम करना चाहिए ताकि अपनी पार्टियों और अपने कार्यकर्ताओं को मजबूत किया जा सके।
शिवसेना (उबाठा) नेता ने कहा, ‘‘हमारे पास समय है क्योंकि अगले लोकसभा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में साढ़े चार साल बाकी हैं।’’
बीड और परभणी में शांति लाने के लिए राकांपा (शरद चंद्र पवार) प्रमुख शरद पवार की मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के साथ चर्चा के बारे में पूछे जाने पर राउत ने कहा कि विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद महाराष्ट्र हैरान है। उन्होंने कहा, ‘‘सरपंच संतोष देशमुख और सोमनाथ सूर्यवंशी के हत्यारों को संरक्षण देकर शांति नहीं आ सकती।’’
बीड जिले के मसाजोग गांव के सरपंच संतोष देशमुख की नौ दिसंबर को नृशंस हत्या को लेकर राज्य में सत्तारूढ़ और विपक्षी दलों के बीच आरोप प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है, क्योंकि संबंधित जबरन वसूली मामले में गिरफ्तार किए गए व्यक्तियों में से एक राज्य के मंत्री धनंजय मुंडे का करीबी सहयोगी है।
इस घटना को लेकर राज्य में व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए हैं और जातिगत संघर्ष की आशंका भी उत्पन्न हो गई है, क्योंकि देशमुख मराठा समुदाय से जबकि मामले में पकड़े गए लोगों में से कुछ वंजारी समुदाय से हैं।
मराठवाड़ा क्षेत्र में स्थित परभणी शहर के रेलवे स्टेशन के बाहर डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर की प्रतिमा के पास संविधान की प्रतिकृति को 10 दिसंबर की शाम को क्षतिग्रस्त किये जाने के बाद हिंसा भड़क उठी थी। परभणी निवासी सूर्यवंशी (35) उन 50 से अधिक लोगों में शामिल थे, जिन्हें हिंसा के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था।
पुलिस के अनुसार, परभणी जिला केंद्रीय कारागार में न्यायिक हिरासत में रखे गए सूर्यवंशी को सीने में दर्द और बेचैनी की शिकायत के बाद सरकारी अस्पताल ले जाया गया था, जहां 15 दिसंबर को उनकी मौत हो गई थी।
नवंबर 2024 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन ने राज्य की 288 सीट में से 230 सीट जीत ली थीं। वहीं, एमवीए 46 सीट पर सिमट गई। एमवीए में शामिल शिवसेना (उबाठा), कांग्रेस और राकांपा (शरद चंद्र पवार) ने क्रमशः 20, 16 और 10 सीट पर जीत दर्ज की।
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