चेन्नई, 12 जुलाई प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बुधवार को मद्रास उच्च न्यायालय को सूचित किया कि उसके पास धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत तमिलनाडु के मंत्री वी सेंथिल बालाजी को गिरफ्तार करने और हिरासत में लेने की शक्ति है।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने न्यायमूर्ति सी वी कार्तिकेयन के समक्ष इस आशय की दलील दी, जिन्हें बालाजी की पत्नी द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर पिछले सप्ताह एक पीठ द्वारा दिए गए खंडित फैसले के बाद सुनवाई के लिए तीसरे न्यायाधीश के रूप में नामित किया गया था।
ईडी ने बालाजी को पिछले महीने नौकरियों के बदले धन मामले में पीएमएलए के तहत गिरफ्तार किया था। यह मामला उस समय का है जब वह ऑल इंडिया अन्ना द्रमुक (अन्नाद्रमुक) नीत पूर्ववर्ती सरकार में परिवहन मंत्री थे।
मेहता ने कहा कि ईडी को अपना वैधानिक कर्तव्य निभाना होगा। उन्होंने कहा कि एक बार जब प्रवर्तन निदेशालय के पास अपराध की आय से संबंधित पर्याप्त सामग्री हो, तो वह किसी व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकता है, उसकी संपत्तियों को कुर्क कर सकता है और उसे जब्त कर सकता है।
उन्होंने कहा कि शिकायत दर्ज होने और गिरफ्तारी के बाद जांच पर विचार किया गया। मेहता ने कहा कि केवल इसलिए कि ईडी अधिकारी पुलिस अधिकारी नहीं हैं, इसका मतलब यह नहीं है कि उनके पास जांच करने की कोई शक्ति नहीं है।
मेहता ने अदालत से कहा कि धन शोधन मामले में, केवल एक अपराध है और सात साल की कड़े कारावास की सजा का प्रावधान है, साथ ही यह गैर जमानती अपराध है। उन्होंने कहा कि इसलिए, ईडी के पास किसी आरोपी को रिहा करने की कोई शक्ति नहीं है और उसे केवल अदालत द्वारा ही रिहा किया जा सकता है।
उच्चतम न्यायालय के एक फैसले का हवाला देते हुए मेहता ने कहा कि धन शोधन मामले में किसी आरोपी की जांच या उससे पूछताछ करना ईडी का नैतिक कर्तव्य है। अधिनियम के अनुसार, ईडी को व्यक्ति को गिरफ्तार करने के अलावा सामग्री एकत्र करना, जांच करना, तलाशी लेना, संपत्तियों को जब्त करना और कुर्क करना होता है।
उन्होंने कहा कि इसके बाद, यदि आरोपी के खिलाफ कोई मामला नहीं बनता है, तो ‘क्लोजर रिपोर्ट’ दाखिल की जाती है। उन्होंने कहा कि जब ईडी के पास ‘क्लोजर रिपोर्ट’ दाखिल करने की शक्ति है, तो निश्चित रूप से उसके पास आगे की जांच करने की भी शक्ति है।
उन्होंने कहा कि इस मामले में गिरफ्तार करते समय प्रक्रियाओं का पूरी तरह पालन किया गया। उन्होंने कहा कि गिरफ्तारी के तुरंत बाद दो गवाहों की मौजूदगी में गिरफ्तारी का आधार बालाजी को बताया गया, लेकिन उन्होंने इसे स्वीकारने से मना कर दिया। मेहता ने कहा कि यह सत्र न्यायाधीश के आदेश में दर्ज किया गया था।
मेहता ने कहा कि पीठ ने अपने अंतरिम आदेश में बालाजी को निजी कावेरी अस्पताल में इलाज कराने की अनुमति देते हुए कहा कि वह न्यायिक हिरासत में ही रहेंगे। इसलिए, ईडी ने सत्र न्यायाधीश का रुख किया और उन्हें हिरासत में लेने का आदेश प्राप्त किया।
मेहता ने कहा कि यह आदेश पारित होने से पहले उन्हें निजी अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया गया था। उन्होंने कहा कि इसके अलावा, सत्र न्यायाधीश द्वारा लगाई गई शर्तें अव्यावहारिक थीं। उन्होंने कहा, इसलिए ईडी ने आदेश लागू नहीं किया।
मेहता द्वारा अपनी दलीलें पूरी करने के बाद न्यायाधीश ने गिरफ्तार मंत्री की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल के जवाब के लिए सुनवाई 14 जुलाई के लिए स्थगित कर दी।
इस बीच, शहर की एक अदालत ने बुधवार को सेंथिल बालाजी की न्यायिक हिरासत 26 जुलाई तक बढ़ा दी।
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