एनडीआरएफ/प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: ANI)
नयी दिल्ली, 16 सितंबर दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को आव्रजन ब्यूरो और केंद्रीय पासपोर्ट संगठन से एक वरिष्ठ नागरिक की याचिका पर जवाब मांगा जिसमें दावा किया गया है कि 11 साल से जब भी वह (याचिकाकर्ता) विदेश यात्रा करते हैं तो उनके एक हमनाम के विरुद्ध ‘लुक आउट’ नोटिस होने के कारण हवाई अड्डे पर उन्हें परेशान किया जाता है और पूछताछ की जाती है।
याचिकाकर्ता के अनुसार हर बार पूछताछ के बाद अधिकारी संतुष्ट हो जाते हैं कि यह वह व्यक्ति नहीं है जिसके विरुद्ध लुक आउट नोटिस जारी किया गया है और अगली बार याचिकाकर्ता के विदेश जाने पर फिर से पूरी प्रक्रिया दोहराई जाती है।
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आव्रजन ब्यूरो और केंद्रीय पासपोर्ट संगठन को नोटिस जारी करते हुए न्यायमूर्ति नवीन चावला ने उनसे समस्या के समाधान के बारे में भी पूछा और मामले की अगली सुनवाई 20 अक्टूबर तक के लिए टाल दी।
अदालत अशोक अग्रवाल की याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिनका पक्ष वकील प्रांजल किशोर रख रहे थे।
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अग्रवाल ने याचिका में कहा है कि उनके पासपोर्ट पर कोई भी प्रतिकूल टिप्पणी है तो उसे हटाया जाए ताकि हर बार जब वह विदेश जाएं तो उन्हें रोक कर पूछताछ न की जाए।
याचिका में कहा गया है कि अग्रवाल पर देश में कभी कोई मुकदमा नहीं चला लेकिन 2009 से जब भी वह विदेश यात्रा पर जाते हैं उनसे हवाई अड्डे पर पूछताछ की जाती है।
याचिका में कहा गया, “ऐसी हर पूछताछ के बाद आव्रजन अधिकारी संतुष्ट हो जाते हैं कि उन्होंने गलत व्यक्ति को पकड़ा है और यह वह व्यक्ति नहीं है जिसके विरुद्ध लुक आउट नोटिस जारी है।”
याचिका में यह भी दावा किया गया कि 31 अगस्त 2017 और 14 मार्च 2018 को लिखे गए ईमेल के जरिये मुंबई और नयी दिल्ली के विदेशी क्षेत्रीय पंजीकरण कार्यालयों ने अग्रवाल को आश्वासन दिया था कि सुधार के कदम उठाए गए हैं ताकि विदेश यात्रा पर जाने के दौरान उन्हें तंग न किया जाए।
याचिका में कहा गया है, ‘‘लेकिन, आश्वासन के बावजूद, याचिकाकर्ता से पूछताछ और परेशान किया जाना जारी है।’’
पासपोर्ट पर प्रतिकूल टिप्पणी को ठीक करने के अलावा अग्रवाल ने यह भी याचना की है कि उनके विरुद्ध यदि कोई लुक आउट नोटिस जारी है तो उसे निरस्त किया जाए और इतने वर्षों तक उन्हें जो बेवजह परेशानी झेलनी पड़ी, उसका हर्जाना दिया जाए।
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)
senior citizen facing trouble for 11 years at the airport due to lookout notice against hamnam r
नयी दिल्ली, 16 सितंबर दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को आव्रजन ब्यूरो और केंद्रीय पासपोर्ट संगठन से एक वरिष्ठ नागरिक की याचिका पर जवाब मांगा जिसमें दावा किया गया है कि 11 साल से जब भी वह (याचिकाकर्ता) विदेश यात्रा करते हैं तो उनके एक हमनाम के विरुद्ध ‘लुक आउट’ नोटिस होने के कारण हवाई अड्डे पर उन्हें परेशान किया जाता है और पूछताछ की जाती है।
याचिकाकर्ता के अनुसार हर बार पूछताछ के बाद अधिकारी संतुष्ट हो जाते हैं कि यह वह व्यक्ति नहीं है जिसके विरुद्ध लुक आउट नोटिस जारी किया गया है और अगली बार याचिकाकर्ता के विदेश जाने पर फिर से पूरी प्रक्रिया दोहराई जाती है।
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आव्रजन ब्यूरो और केंद्रीय पासपोर्ट संगठन को नोटिस जारी करते हुए न्यायमूर्ति नवीन चावला ने उनसे समस्या के समाधान के बारे में भी पूछा और मामले की अगली सुनवाई 20 अक्टूबर तक के लिए टाल दी।
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अग्रवाल ने याचिका में कहा है कि उनके पासपोर्ट पर कोई भी प्रतिकूल टिप्पणी है तो उसे हटाया जाए ताकि हर बार जब वह विदेश जाएं तो उन्हें रोक कर पूछताछ न की जाए।
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याचिका में कहा गया, “ऐसी हर पूछताछ के बाद आव्रजन अधिकारी संतुष्ट हो जाते हैं कि उन्होंने गलत व्यक्ति को पकड़ा है और यह वह व्यक्ति नहीं है जिसके विरुद्ध लुक आउट नोटिस जारी है।”
याचिका में यह भी दावा किया गया कि 31 अगस्त 2017 और 14 मार्च 2018 को लिखे गए ईमेल के जरिये मुंबई और नयी दिल्ली के विदेशी क्षेत्रीय पंजीकरण कार्यालयों ने अग्रवाल को आश्वासन दिया था कि सुधार के कदम उठाए गए हैं ताकि विदेश यात्रा पर जाने के दौरान उन्हें तंग न किया जाए।
याचिका में कहा गया है, ‘‘लेकिन, आश्वासन के बावजूद, याचिकाकर्ता से पूछताछ और परेशान किया जाना जारी है।’’
पासपोर्ट पर प्रतिकूल टिप्पणी को ठीक करने के अलावा अग्रवाल ने यह भी याचना की है कि उनके विरुद्ध यदि कोई लुक आउट नोटिस जारी है तो उसे निरस्त किया जाए और इतने वर्षों तक उन्हें जो बेवजह परेशानी झेलनी पड़ी, उसका हर्जाना दिया जाए।
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)
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