नयी दिल्ली, 31 दिसंबर बाजार नियामक सेबी ने विनियमित संस्थाओं के लिए अपने साइबर सुरक्षा एवं साइबर जुझारूपन ढांचे पर मंगलवार को स्पष्टीकरण जारी करते हुए नियामकीय छूट देने और चुनिंदा श्रेणियों के लिए अनुपालन समयसीमा बढ़ाने की बात कही।
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने इस साल अगस्त में पेश किए गए साइबर सुरक्षा प्रारूप को लेकर हितधारकों की तरफ से उठाए गए सवालों पर गौर करने के बाद यह स्पष्टीकरण जारी किया है।
यह ढांचा यह सुनिश्चित करने के लिए बनाया गया है कि सेबी के दायरे में आने वाली इकाइयां मजबूत साइबर सुरक्षा ढांचा बनाए रखें, साइबर मजबूती के समुचित उपायों से लैस रहें और साइबर खतरों का प्रभावी ढंग से सामना कर सकें और उनसे निपट सकें।
सेबी ने एक परिपत्र में कहा, "ढांचे के तहत एक जनवरी, 2025 से प्रभावी होने वाली अनुपालन शर्तों से 31 मार्च, 2025 तक नियामकीय छूट दी जाती है। इस दौरान संस्थाओं को गैर-अनुपालन के लिए दंड का सामना नहीं करना पड़ेगा, बशर्ते वे ढांचे को लागू करने में प्रगति दिखाएं।"
इसके अलावा संबंधित पक्षों से मिले सुझावों के अनुरूप केवाईसी पंजीकरण एजेंसियों और डिपॉजिटरी प्रतिभागियों के लिए अनुपालन की समयसीमा एक अप्रैल, 2025 तक बढ़ा दी गई है।
हालांकि आंकड़ों को स्थानीय स्तर पर सुरक्षित रखने से संबंधित दिशानिर्देशों को आगे के परामर्श के लिए रोक दिया गया है। बाजार नियामक ने कहा कि आंकड़ा सुरक्षा मानक के रूप में उल्लेखित इन प्रावधानों को बाद में अधिसूचित किया जाएगा।
नियामक ने कहा कि साइबर सुरक्षा एवं साइबर मजबूती ढांचे का उद्देश्य विनियमित संस्थाओं के जुझारूपन को बढ़ाना है ताकि वे साइबर घटनाओं का प्रभावी ढंग से सामना कर सकें और उनसे उबर सकें।
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