देश की खबरें | दिल्ली में मौसमी दशाएं प्रदूषकों के व्यापक स्तर पर फैलने के लिये अत्यधिक प्रतिकूल हैं: सीपीसीबी
एनडीआरएफ/प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: ANI)

नयी दिल्ली, 16 अक्टूबर केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने शुक्रवार को कहा कि दिल्ली में पिछले साल की तुलना में इस साल सितंबर के बाद से प्रदूषकों के व्यापक स्तर पर फैलने (छितराने) के लिये मौसमी दशाएं ''अत्यधिक प्रतिकूल'' रही हैं।

बोर्ड के सदस्य सचिव प्रशांत गार्गव ने कहा कि इस साल एक सितंबर से 14 अक्टूबर के बीच ‘पीएम 10’ (हवा में मौजूद 10 माइक्रोमीटर या इससे कम व्यास के कणों) का संकेन्द्रण पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में अधिक है।

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उन्होंने कहा कि एक अध्ययन में पता चला है कि 2019 में एक सितबंर से 14 अक्टूबर के बीच सात दिनों में कुल मिलाकर 121 मिलीमीटर बारिश हुई थी। इस साल इस अवधि के दौरान केवल तीन दिन बारिश हुई, जो कुल 21 मिमी दर्ज की गई।

गार्गव ने कहा, ''इस साल, सितंबर और अक्टूबर में पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में मौसमी दशाएं अत्यधिक प्रतिकूल हैं। ''

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अधिकारी ने कहा कि पिछले साल सितंबर और अक्टूबर में औसत 'वेंटिलेशन इंडेक्स' 1,850 मीटर वर्ग प्रति सेकेंड था, जो इस साल समान अवधि के दौरान 1,334 मीटर वर्ग प्रति सेंकेड रहा।

वेंटिलेशन इंडेक्स, वह गति है जिससे प्रदूषक व्यापक स्तर पर फैल सकते हैं। 6,000 वर्ग मीटर प्रति सेकेंड से कम वेंटिलेशन इंडेक्स और 10 किमी प्रति घंटे से कम औसत वायु गति प्रदूषकों के व्यापक स्तर पर फैलने के लिये प्रतिकूल दशाएं हैं।

गार्गव ने कहा कि पंजाब में इस साल गैर बासमती धान 20.76 लाख हेक्टेयर जमीन पर उगाया गया है, जबकि पिछले साल यह 22.91 लाख हेक्टेयर में उगाया गया था। इसी तरह, हरियाणा में गैर बासमती धान की खेती पिछले साल के 6.48 लाख हेक्टेयर से घट कर इस साल 4.27 लाख हेक्टेयर रह गई है।

उल्लेखनीय है कि गैर बासमती धान की पराली चारे के रूप में बेकार मानी जाती है क्योंकि इसमें ‘‘सिलिका’’ की अधिक मात्रा होती है और इसलिये किसान इसे जला देते हैं।

इस साल कम क्षेत्र में गैर बासमती धान की खेती होने के चलते सीपीसीबी सदस्य सचिव को उम्मीद है कि पराली जलाने की घटना 2019 की तुलना में इस साल कम होगी।

उन्होंने बताया कि आईआईटी-कानपुर के साथ मिल कर यह पता लगाने के लिये एक अनुसंधान किया जा रहा है कि वास्तविक समय के आधार पर कौन सा स्रोत कितनी मात्रा में प्रदूषक पैदा करता है। ‘‘इससे उपायों को और कारगर बनाने में मदद मिलेगी। ’’

वहीं, सीपीसीबी प्रमुख शिव दास मीणा ने कहा कि इस साल अब तक पराली जलाये जाने की कहीं अधिक घटनाएं दर्ज की गई हैं क्योंकि धान की फसल की कटाई जल्द हो रही है। उन्होंने कहा, ‘‘हमें उम्मीद है कि संपूर्ण आंकड़े पिछले साल की तुलना में कम रहेंगे। ’’

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