नयी दिल्ली, 17 मई रेलवे ने वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन के पहिए बनाने के लिए स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) और राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड (आरआईएनएल) को अनुबंधित किया है। सूत्रों ने मंगलवार को यह जानकारी दी।
सूत्रों के अनुसार इस कदम का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि अगले तीन वर्षों में 400 वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन के लिए 2.5 लाख पहियों के उत्पादन में देरी ना हो।
एक सूत्र ने कहा कि सेल के दुर्गापुर इस्पात संयंत्र ने रेलवे के एलएचबी कोच के लिए 45,000 पहियों का उत्पादन किया है और अब वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन के पहियों के निर्माण के लिए मंजूर डिजाइन का उपयोग करेगा।
इसके अलावा, सरकार के स्वामित्व वाली आरआईएनएल भी तेज गति वाली ट्रेन के लिए उत्तर प्रदेश में अपनी रायबरेली इकाई में पहियों का निर्माण करेगी। कंपनी पहले ही लगभग 700 पहियों का निर्माण कर चुकी है, लेकिन अब वह वंदे भारत के डिजाइन मॉडल पर ध्यान केंद्रित करेगी।
सूत्र ने कहा, ‘‘ये इकाइयां पहले से ही जालीदार पहिये बना रही थीं, लेकिन उनमें उस समय सीमा में निर्माण करने की इतनी क्षमता नहीं थी जो हम चाहते थे।’’
सूत्र ने कहा, ‘‘अब दूसरे देशों से आने वाले पहियों के साथ इन कंपनियों पर भी हमारा ध्यान है। हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि कोई देरी न हो।’’
सूत्रों ने कहा कि रायबरेली में आरआईएनएल इकाई की सालाना एक लाख पहियों की उत्पादन क्षमता है। पहियों का निर्माण स्टील के एक बड़े ठोस टुकड़े से किया जाता है जिसे अत्यधिक तापमान पर गर्म किया जाता है और आकार लेने के लिए दबाव डाला जाता है।
रेलवे ने अगले तीन साल में तैयार होने के लिए मलेशिया, अमेरिका और चीन से भी पहियों का ऑर्डर दिया है। अधिकारियों ने कहा कि पिछले महीने 39,000 पहियों के लिए 170 करोड़ रुपये का ठेका टीजेड (ताइझोंग) हांगकांग इंटरनेशनल लिमिटेड को दिया गया था।
सूत्रों ने कहा कि रेलवे पहियों के निर्माण की प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए कच्चे माल को लेकर विभिन्न एजेंसियों के साथ गठजोड़ करने की प्रक्रिया में है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा घोषित समय-सीमा के अनुसार 15 अगस्त 2023 तक ऐसी 75 ट्रेन चलाने का लक्ष्य है।
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)