नयी दिल्ली, 20 नवंबर मेडिकल उपकरण क्षेत्र के लिए ‘उत्पत्ति का नियम’ भारत और ब्रिटेन के बीच प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) में एक अड़चन बना हुआ है तथा मतभेदों को दूर करने के लिए वार्ता जारी है। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी।
उत्पत्ति का नियम किसी उत्पाद के राष्ट्रीय स्रोत को निर्धारित करने के लिए आवश्यक मानदंड हैं। इसका महत्व इस तथ्य से पता चलता है कि कई मामलों में शुल्क और प्रतिबंध आयात के स्रोत पर निर्भर करता है।
भारत में मेडिकल उपकरणों के क्षेत्र में काफी संभावना है क्योंकि यह अपनी जरूरत का करीब 80 प्रतिशत अमेरिका, जर्मनी, चीन, सिंगापुर और नीदरलैंड से आयात करता है, जो देश के लिए इन उपकरणों के शीर्ष निर्यातक बने हुए हैं।
अधिकारी ने कहा, ‘‘मेडिकल उपकरणों के क्षेत्र में, उत्पत्ति के नियम से जुड़े कई मुद्दे हैं। सीमा शुल्क में रियायत की मांग भी एक मुद्दा है।’’ उन्होंने कहा कि माल एवं सेवा क्षेत्रों में मतभेदों को दूर करने के लिए दोनों देशों के बीच वार्ता जारी है।
सरकार ने मेडिकल उपकरणों के घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने और इस क्षेत्र में अधिक निवेश आकर्षित करने के लिए कई कदम उठाये हैं। इस तरह की योजनाओं/पहल में मेडिकल डिवाइस पार्क, राष्ट्रीय बायोफार्मा मिशन, और (मेडिकल उपकरण) क्षेत्र के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना शामिल है।
देश में आयात किये जाने वाले मेडिकल उपकरणों की छह मुख्य श्रेणियां हैं, जिनमें एक बार उपयोग में लाये जाने वाले चिकित्सा उपकरण, इलेक्ट्रॉनिक्स और उपकरण, प्रतिरोपण, सर्जिकल उपकरण आदि शामिल हैं।
‘उत्पत्ति का नियम’ प्रावधान एफटीए वाले देश में न्यूनतम प्रसंस्करण का प्रावधान करता है ताकि अंतिम विनिर्मित उत्पाद को उस देश में तैयार वस्तु कहा जा सके।
इस प्रावधान के तहत, भारत के साथ एफटीए पर हस्ताक्षर करने वाला देश किसी तीसरे देश से वस्तुओं पर महज ‘लेबल’ लगाकर उन्हें भारतीय बाजार में नहीं भेज सकता ।
विशेषज्ञों के अनुसार, भारत को शुल्क में रियायत देने से बचना चाहिए क्योंकि यहां सरकार इन उपकरणों के घरेलू स्तर पर विनिर्माण को बढ़ावा दे रही है।
मेडिकल उपकरणों के लिए निर्यात संवर्द्धन परिषद के राजिंदर सिंह कंवर ने कहा, ‘‘भारत उन उपकरणों को रियायत देने पर विचार कर सकता है जो भारत में विनिर्मित नहीं हैं।’’
इस समझौते के लिए भारत और ब्रिटेन के बीच वार्ता में करीब 26 नीतिगत क्षेत्रों/अध्यायों को शामिल किया गया है। भारत ब्रिटेन के साथ प्रस्तावित समझौते के तहत अपने फार्मास्यूटिकल्स उत्पादों के लिए वहां वृहद बाजार तलाश रहा है।
अधिकारी ने कहा, ‘‘फार्मा क्षेत्र में, हम भारत-ब्रिटेन समझौते से एक सकारात्मक नतीजे की उम्मीद कर रहे हैं।’’
भारत और ब्रिटेन ने एफटीए के लिए जनवरी 2022 में वार्ता शुरू की थी, जिसका लक्ष्य दिवाली (24 अक्टूबर 2022 तक) वार्ता संपन्न करना था लेकिन ब्रिटेन में राजनीतिक घटनाक्रमों के चलते यह समय सीमा चूक गई थी।
दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार 2021-22 के 17.5 अरब अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 2022-23 में 20.36 अरब अमेरिकी डॉलर पहुंच गया।
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