नयी दिल्ली, छह दिसंबर आधिकारिक आंकड़ों में पता चला है कि एक सितंबर से सात नवंबर के बीच राष्ट्रीय राजधानी में जिन लोगों में कोरोना वायरस संक्रमण के लक्षण थे और उन्होंने अपनी जांच रैपिड एंटीजन टेस्ट (आरएटी) से कराई, उनमें संक्रमण की पुष्टि नहीं हुई लेकिन बाद में आरटी-पीसीआर जांच में ऐसे करीब 11 प्रतिशत लोगों में संक्रमण की पुष्टि हुई।
पीटीआई के एक पत्रकार की ओर से दाखिल आरटीआई आवेदन के जबाव में स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा दिए गए आंकड़ें बताते हैं कि संक्रमण के लक्षण वाले 56,862 मरीजों में आरएएटी जांच में संक्रमण की पुष्टि नहीं हुई थी और उनमें से 32,903 मरीजों की बाद में आरटी-पीसीआर जांच की गई। उनमें से 3,524 लोगों में संक्रमण की पुष्टि हुई।
देश में कोरोना वायरस संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सितंबर माह में सभी राज्यों और केन्द्र शासित क्षेत्रों से ऐसे सभी मामलों की आरटी-पीसीआर जांच अनिवार्य रूप से कराने के निर्देश दिए थे, जिनमें संक्रमण के लक्षण थे, लेकिन आरएटी जांच में संक्रमण की पुष्टि नहीं हुई थी। इसके पीछे केन्द्र सरकार का मकसद यह था कि संक्रमण का कोई भी मामला नहीं छूट पाए।
आरटीआई जबाब के मुताबिक दिल्ली में सितंबर माह में आरटीपीसीआर जांच के बाद संक्रमण के मामलों की दर 20.97 प्रतिशत थी, वहीं आरएटी जांच में यह महज 4.77 प्रतिशत थी।
इसके मुताबिक सितंबर माह में संक्रमण के लक्षण वाले 27,533 मामलों में आरएटी जांच में संक्रमण की पुष्टि नहीं हुई थी और उनमें से केवल 4,597 मामलों की आरटी-पीसीआर जांच कराई गई और उनमें से 623 लोगों में संक्रमण की पुष्टि हुई थी।
गौरतलब है कि शनिवार को राष्ट्रीय राजधानी में संक्रमण के 3,419 नए मामले सामने आने के बाद संक्रमित लोगों की कुल संख्या 5.8 लाख से अधिक हो गयी।
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