Rinku Singh Quick Facts: रिंकू सिंह को एक बार पोछा मारने को कहा गया था, अब लगातार पांच छक्के जड़कर सुर्खियां बटोरी, जानें उनकी पूरी कहानी
रिंकू सिंह ने अपनी परेशानियों को बयां करते हुए कहा था कि उनसे एक बार कहा गया था कि तुम्हें किसी को बताने की जरूरत नहीं है कि तुम ‘ट्यूशन सेंटर’ में पोछा मारते हो। सुबह आओ, साफ-सफाई करो और निकल जाओ। किसी को पता नहीं चलेगा
नयी दिल्ली, 10 अप्रैल रिंकू सिंह ने अपनी परेशानियों को बयां करते हुए कहा था कि उनसे एक बार कहा गया था कि तुम्हें किसी को बताने की जरूरत नहीं है कि तुम ‘ट्यूशन सेंटर’ में पोछा मारते हो. सुबह आओ, साफ-सफाई करो और निकल जाओ। किसी को पता नहीं चलेगा. ये शब्द रिंकू के पिता के थे जब उन्होंने उत्तर प्रदेश के लिए अंडर-16 में खेलना शुरू नहीं किया था. रिंकू को हालांकि यह विचार पसंद नहीं आया. यह भी पढ़ें: भारत के पूर्व मुख्य कोच रवि शास्त्री ने कहा, आईपीएल के एक सत्र में सर्वाधिक रन बनाने के कोहली के रिकॉर्ड को तोड़ सकता है ये खिलाड़ी
बेहद गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाले रिंकू के पिता खानचंद रसोई गैस सिलिंडर की डिलीवरी का काम करते हैं और उनके पिता की कमाई सात लोगों के परिवार के लिए पूरी नहीं होती थी जिसके कारण उन्हें और उनके चार भाइयों को गुजारा करने के लिए छोटा-मोटा काम करना पड़ता था.
रिंकू ने काफी मुश्किल दौर देखा है लेकिन रविवार को आईपीएल मुकाबले में लगातार पांच छक्के जड़कर उन्होंने सुर्खियां बटोरी.
रिंकू ने कोलकाता नाइट राइडर्स (केकेआर) के आधिकारिक यूट्यूब चैनल से कुछ समय पहले कहा था, ‘‘मैं इतना पढ़ा-लिखा नहीं हूं कि पढ़ाई के आधार पर कोई काम कर सकूं. यह केवल क्रिकेट है जो मुझे आगे ले जा सकता है और यह एक विकल्प नहीं था बल्कि एकमात्र विकल्प था.’’
अलीगढ़ के 25 वर्षीय रिंकू ने उत्तर प्रदेश टीम के अपने साथी खिलाड़ी यश दयाल पर लगातार पांच छक्के जड़कर केकेआर को अप्रत्याशित जीत दिलाई.
पिछले कुछ वर्षों में रिंकू का परिवार आईपीएल के पैसे से गरीबी को दूर करने में सफल रहा है लेकिन अब वह आईपीएल का स्टार होने का लुत्फ उठाएंगे.
रिंकू ने अपनी मैच जिताने वाली पारी के बाद कहा, ‘‘मेरे पिता ने बहुत संघर्ष किया, मैं एक किसान परिवार से आता हूं. मैंने जो भी गेंद मैदान से बाहर मारी वह उन लोगों को समर्पित थी जिन्होंने मेरे लिए इतना बलिदान दिया.’’
वर्ष 2021 के घरेलू सत्र के दौरान उत्तर प्रदेश के लिए खेलते हुए एक मैच में दूसरा रन लेते हुए रिंकू के घुटने में गंभीर चोट लग गई थी और उनकी सर्जरी हुई थी. उनके पिता इतने उदास थे कि उन्होंने कुछ दिनों के लिए खाना बंद कर दिया था.
रिंकू ने अपने पुराने दिनों को याद करते हुए कहा, ‘‘कॉलोनियों के बीच मुकाबला या क्लब मैच खेलने के लिए आपको गेंद खरीदने के लिए पैसे जमा करने की ज़रूरत थी और मेरे पिता मुझे कभी पैसे नहीं देते. एक बार जब मैं कानपुर में एक मैच खेलने गया तो मेरी मां ने स्थानीय किराना स्टोर से 1000 रुपये उधार लिए जिससे कि मुझे खर्चे के लिए दे सके.’’
उन्होंने बताया, ‘‘पापा से हम पांचों भाइयों को बहुत मार पड़ी है। मेरे पिता एलपीजी सिलेंडर डिलीवरी करते थे और जब वे नौकरी के लिए उपलब्ध नहीं होते थे, तो हम भाइयों को उनकी जगह काम करना पड़ता था और पिताजी तब तक छड़ी लेकर बैठे रहते जब तक हम डिलीवरी नहीं कर देते.’’
भारी एलपीजी सिलेंडर को उठाने में काफी ताकत लगती है। रिंकू और उसका एक भाई पीछे बैठकर अक्सर अपनी बाइक पर भारी सिलेंडर लोगों के घरों और होटल में पहुंचाते.
रिंकू ने कहा, ‘‘हम पांचों भाइयों ने पापा के काम में बहुत मदद की है.’’
तो आखिर कब उनके पिता ने पढ़ाई को नजरअंदाज करने और क्रिकेट खेलने के लिए उन्हें पीटना बंद किया। रिंकू ने कहा, ‘‘डीपीएस अलीगढ़ ने स्कूल विश्व कप नाम का एक टूर्नामेंट आयोजित किया था और मुझे ‘मैन ऑफ द टूर्नामेंट’ घोषित किया गया था. यह पहली बार था जब पापा मुझे देखने के लिए मैदान पर आए थे. मुझे उनके सामने एक मोटरसाइकिल भेंट की गई थी, उस दिन के बाद उन्होंने कभी नहीं मारा.’’
उत्तर प्रदेश क्रिकेट संघ (यूपीसीए) के अंडर-16 ट्रायल के दौरान उन्हें दो बार नजरअंदाज किया गया था क्योंकि उन्होंने खुद स्वीकार किया था कि वह उस समय वह उस स्तर के लिए तैयार नहीं थे.
वह हालांकि 2012 तक तैयार था और विजय मर्चेंट ट्रॉफी में पदार्पण करते हुए उन्होंने 154 रन बनाए। बीसीसीआई टूर्नामेंट में इस तरह की पारी ने विश्वास दिलाया कि कड़ी मेहनत से वह एलीट क्रिकेट खेल सकता है.
कुछ वर्षों के भीतर वह उत्तर प्रदेश अंडर -19 टीम में थे और पहले वर्ष (2014) में उन्हें सीधे राज्य की वनडे टीम में शामिल किया गया और फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. एक बार जब आप प्रतिस्पर्धी क्रिकेट खेलना शुरू करते हैं तो कुछ निश्चित निवेश होते हैं और किट उनमें से एक है.
रिंकू ने कहा, ‘‘कम से कम पांच या छह लोगों ने वास्तव में मेरी मदद की. मेरे बचपन के कोच मसूद अमीनी, मोहम्मद जीशान जिन्होंने मुझे क्रिकेट के बल्ले सहित पूरी किट प्रदान की. अर्जुन सिंह फकीरा, नील सिंह और स्वप्निल जैन कुछ ऐसे लोग हैं जिनका मैं हमेशा आभारी रहूंगा.’’
पिछले तीन वर्षों में रिंकू ने आईपीएल के पैसे से सबसे पहले अपने परिवार को शहर में अपने नए अपार्टमेंट में स्थानांतरित कर दिया है. उन्होंने अपने परिवार के सभी कर्जे चुका दिए हैं.
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