नयी दिल्ली, 12 जनवरी भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए शुक्रवार को जारी दोनों आर्थिक आंकड़े दोहरी मार का संकेत लेकर आए। जहां दिसंबर में खुदरा मुद्रास्फीति बढ़कर चार महीनों के उच्च स्तर 5.69 प्रतिशत पर पहुंच गई वहीं देश का औद्योगिक उत्पादन नवंबर में आठ महीनों के निचले स्तर 2.4 प्रतिशत पर आ गया।
राष्ट्रीय सांख्यिकीय कार्यालय (एनएसओ) की तरफ से जारी इन आंकड़ों से खुदरा मुद्रास्फीति बढ़ने और उत्पादन गतिविधियों में सुस्ती आने की तस्वीर सामने आई।
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित खुदरा मुद्रास्फीति दिसंबर के महीने में दालों, सब्जियों एवं मसालों की कीमतें बढ़ने से 5.69 प्रतिशत पर पहुंच गई। यह नवंबर में 5.55 प्रतिशत और दिसंबर, 2022 में 5.72 प्रतिशत थी।
खुदरा महंगाई दर बढ़ने के पीछे खाद्य उत्पादों की कीमतों में बढ़ोतरी की अहम भूमिका रही। खाद्य वस्तुओं की खुदरा मुद्रास्फीति दिसंबर, 2023 में बढ़कर 9.53 प्रतिशत हो गयी जो इससे पिछले महीने 8.7 प्रतिशत और दिसंबर, 2022 में 4.19 प्रतिशत थी।
इसके पहले, बीते साल अगस्त में खुदरा मुद्रास्फीति 6.83 प्रतिशत के उच्च स्तर पर पहुंच गयी थी।
वहीं देश का औद्योगिक उत्पादन नवंबर, 2023 में 2.4 प्रतिशत बढ़ा जो चालू वित्त वर्ष में सबसे कम है। अक्टूबर में यह 11.6 प्रतिशत रहा था जबकि नवंबर, 2022 में यह 7.6 प्रतिशत रहा था।
औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) का पिछला निम्न स्तर मार्च, 2023 में 1.9 प्रतिशत रहा था।
नवंबर में औद्योगिक उत्पादन में गिरावट के पीछे विनिर्माण क्षेत्र की सुस्ती की अहम भूमिका रही। विनिर्माण क्षेत्र घटकर 1.2 प्रतिशत, बिजली क्षेत्र 5.8 प्रतिशत एवं खनन उत्पादन 6.8 प्रतिशत पर आ गया।
उपभोग पर आधारित वर्गीकरण के अनुसार, पूंजीगत उत्पाद खंड में इस साल नवंबर में 1.1 प्रतिशत की गिरावट आई जबकि एक साल पहले इसी महीने में इसमें 20.7 प्रतिशत की उच्च वृद्धि रही थी।
आलोच्य अवधि में टिकाऊ उपभोक्ता वस्तुओं के उत्पादन में 5.4 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई जबकि एक साल पहले इसमें पांच प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।
गैर-टिकाऊ उपभोक्ता वस्तुओं का उत्पादन भी एक साल पहले के 10 प्रतिशत वृद्धि के मुकाबले नवंबर, 2023 में 3.6 प्रतिशत घट गया।
बुनियादी ढांचे एवं निर्माण वस्तुओं के उत्पादन में भी इस दौरान 1.5 प्रतिशत की मामूली बढ़ोतरी ही दर्ज की गई जबकि साल भर पहले यह 14.3 प्रतिशत बढ़ा था।
आंकड़ों से पता चलता है कि प्राथमिक वस्तुओं के उत्पादन में 8.4 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, जबकि एक साल पहले की अवधि में वृद्धि दर 4.8 प्रतिशत थी। वहीं मध्यवर्ती वस्तुओं का उत्पादन 3.5 प्रतिशत पर स्थिर रहा।
महंगाई के मामले में ताजा आंकड़ों से पता चलता है कि सब्जियों की मुद्रास्फीति दिसंबर में सालाना आधार पर 27.64 प्रतिशत रही। उसके बाद दाल और मसालों में कीमत वृद्धि क्रमश: 20.73 प्रतिशत और 19.69 प्रतिशत थी।
हालांकि आलोच्य अवधि में तेल और वसा की कीमतों में 14.96 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई।
खुदरा मुद्रास्फीति दिसंबर में ग्रामीण क्षेत्रों में 5.93 प्रतिशत रही जबकि शहरी क्षेत्र में यह 5.46 प्रतिशत थी। हालांकि ग्रामीण क्षेत्रों में खाद्य वस्तुओं की महंगाई शहरी क्षेत्रों के मुकाबले कम रही।
आंकड़ों पर अपनी प्रतिक्रिया में इक्रा रेटिंग्स की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, ‘‘मासिक आधार पर उपभोक्ता मूल्य सूचकांक मुद्रास्फीति में वृद्धि का कारण खाद्य और पेय पदार्थों की कीमतों में तेजी है। अन्य उप-समूहों में या तो दाम नरम हुए हैं या फिर सालाना आधार पर लगभग स्थिर हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘महंगाई बढ़ाने में खाद्य वस्तुओं में उम्मीद के अनुरूप सब्जियों की भूमिका सबसे ज्यादा रही...।’’
भारतीय रिजर्व बैंक मौद्रिक नीति समीक्षा पर विचार करते समय मुख्य रूप से खुदरा मुद्रास्फीति को ध्यान में रखता है। उसे मुद्रास्फीति दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत पर रखने की जिम्मेदारी मिली हुई है।
एनएसओ के आंकड़ों के अनुसार दिसंबर में दिल्ली में सबसे कम 2.95 प्रतिशत मुद्रास्फीति रही जबकि सबसे अधिक 8.73 प्रतिशत मुद्रास्फीति ओड़िशा में रही।
प्रेम
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