देश की खबरें | रेजिडेंट डॉक्टरों के संघ ने सोमवार से अस्पतालों में गैर-आकस्मिक सेवाएं बंद रखने का आह्वान किया

कोलकाता, 13 अक्टूबर देशभर के रेजिडेंट डॉक्टरों के संघों का प्रतिनधित्व कर रहे ‘फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन’ (एफएआईएमए) ने पश्चिम बंगाल में प्रदर्शन कर रहे चिकित्सकों से एकजुटता प्रदर्शित करते हुए सोमवार से अस्पतालों में गैर-आकस्मिक सेवाएं राष्ट्रव्यापी स्तर पर बंद रखने का रविवार को आह्वान किया। संगठन के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी।

उन्होंने कहा कि यह निर्णय शनिवार को एसोसिएशन की बैठक में लिया गया। हालांकि, एसोसिएशन ने सभी रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन (आरडीए) से यह सुनिश्चित करने का अनुरोध किया है कि आपात सेवाएं चौबीसों घंटे चालू रखी जाएं।

एसोसिएशन ने कहा कि यह पश्चिम बंगाल के कनिष्ठ चिकित्सकों के साथ पूरी एकजुटता प्रदर्शित करता है।

एसोसिएशन ने एक बयान में कहा, ‘‘गहन विचार-विमर्श के बाद, हमने सर्वसम्मति से निर्णय लिया है कि अब राष्ट्रीय स्तर पर एकजुट होने का समय आ गया है। हमने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री को पिछले पत्र में आंदोलन को आगे बढ़ाने का अल्टीमेटम दिया था, लेकिन कोई संतोषजनक कार्रवाई नहीं की गई, जिस कारण हमें देश भर के सभी आरडीए और मेडिकल एसोसिएशन से अनुरोध करना पड़ा कि वे सोमवार से देश भर में गैर-आकस्मिक चिकित्सा सेवाएं बंद करने के हमारे आह्वान में हमारा साथ दें।’’

यह खुला पत्र राष्ट्रीय चिकित्सा संघों, राज्य रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन तथा विभिन्न मेडिकल कॉलेजों और राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों के रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (आरडीए) के नाम लिखा गया है।

पत्र के अनुसार, ‘‘हालांकि, हम सभी आरडीए और एसोसिएशन से आपातकालीन सुविधाएं चौबीसों घंटे जारी रखने का अनुरोध करते हैं, क्योंकि जिन रोगियों को हमारी तत्काल सेवा की आवश्यकता है, उन्हें परेशानी नहीं होनी चाहिए।’’

पत्र में कहा गया है, ‘‘यह कोई ऐसा निर्णय नहीं है जिसे हमने बिना सोचे समझे लिया है। हम आम लोगों पर इसके प्रभावों से अवगत हैं, और हमें ऐसी किसी भी कार्रवाई पर विचार करने में पीड़ा होती है जिससे कि उन्हें परेशानी हो। लेकिन हमारी आवाज़ को अनदेखा किया गया, हमारी सुरक्षा से समझौता किया गया और हमारी अपीलों को सरकार ने लंबे समय तक खारिज किया।’’

पत्र में कहा गया है, ‘‘हमारे पास कोई विकल्प नहीं बचा है, सिवाय इसके कि हम कोई कदम उठाएं -- न केवल अपने लिए, बल्कि चिकित्सा पेशे के हित में और सभी स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा के लिए भी।’’

कनिष्ठ चिकित्सक आरजी कर मेडिकल कॉलेज पीड़िता के लिए न्याय, और अपने अन्य मुद्दों को लेकर पांच अक्टूबर से आमरण अनशन कर रहे हैं। अनशन के कारण तीन चिकित्सकों की तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

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