मुंबई, तीन नवंबर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बुधवार को कहा कि वह वित्तीय स्थिरता निगरानी में जलवायु संबंधी जोखिमों को एकीकृत करेगा। इसके साथ ही केंद्रीय बैंक ने कहा कि वह अपनी निगरानी वाली इकाइयों में कमजोरियों की पहचान करने के लिए जलवायु परिदृश्य संबंधी प्रक्रिया का उपयोग करने की संभावना तलाशेगा।
आरबीआई ने सोमवार को भारत की वित्तीय प्रणाली को हरित बनाने के लिए एनजीएफएस को सहयोग देने के लिए अपना 'प्रतिबद्धता पत्र' प्रकाशित किया। इसे ऐसे समय प्रकाशिक किया गया है जबकि 2021 का संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (सीओपी26) आयोजित किया गया है।
देश का यह शीर्ष बैंक 23 अप्रैल को वित्तीय प्रणाली को हरित बनाने के लिए केंद्रीय बैंकों और पर्यवेक्षकों के नेटवर्क (एनजीएफएस) में एक सदस्य के रूप में शामिल हुआ और इसका उद्देश्य हरित वित्त पर वैश्विक प्रयासों में योगदान करना है।
एनजीएफएस ने पेरिस समझौते के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए आवश्यक वैश्विक प्रतिक्रिया में योगदान करने की अपनी इच्छा दोहराई है, और इसके लिए एनजीएफएस वित्तीय प्रणाली को हरित बनाने की दिशा में सामूहिक प्रयासों का विस्तार करेगा और उसे मजबूत करेगा।
इस पृष्ठभूमि में आरबीआई ने बुधवार को इस बात पर भी जोर दिया कि वह विनियमित वित्तीय संस्थानों के बीच जलवायु संबंधी जोखिमों के बारे में जागरूकता पैदा करने और जलवायु परिवर्तन से संबंधित मुद्दों के बारे में और उनसे निपटने के तरीकों के बारे में जानकारी का प्रसार करने को प्रतिबद्ध है।
आरबीआई ने एक बयान में कहा कि वह मोटे तौर पर एनजीएफएस घोषणा का समर्थन करता है।
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