देश की खबरें | एएमयू में छात्रावास खाली कराने के फैसले के खिलाफ छात्रों में नाराजगी

अलीगढ़ (उप्र), 26 जुलाई अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) प्रशासन द्वारा पीएचडी छात्रों सहित सभी छात्रावासों को खाली कराने के फैसले के खिलाफ एएमयू परिसर में गुस्सा बढ़ता जा रहा है।

इनमें वह छात्र शामिल हैं, जिन्होंने अभी तक अपनी डॉक्टरेट की मौखिक परीक्षा नहीं दी है।

एएमयू में पीएचडी स्कॉलर, जम्मू-कश्मीर छात्र संघ के पदाधिकारी जुबैर रेशी ने कहा, "इस आदेश ने स्कॉलर की पहले से ही परेशान करने वाली स्थिति को और बढ़ा दिया है, जिन्होंने कोविड-19 महामारी के कारण लगभग दो साल का शोध कार्य खो दिया है।''

उन्होंने कहा कि अभूतपूर्व व्यवधानों से चिह्नित इन दो वर्षों ने शोध छात्रों पर काफी मानसिक दबाव डाला है, जो अपने शैक्षणिक स्तर को फिर से हासिल करने का प्रयास कर रहे हैं। इन व्यवधानों के मद्देनजर, यह महत्वपूर्ण है कि प्रशासन जम्मू- कश्मीर के छात्रों, विशेष रूप से महिला छात्रों के प्रति सहानुभूति दिखाए।

संपर्क करने पर एएमयू प्रॉक्टर मोहम्मद वसीम अली ने किसी भी तरह की ज्यादती के आरोपों से इनकार किया।

उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय ने आज "उन पीएचडी छात्रों के सभी वास्तविक मामलों की समीक्षा करने का फैसला किया है जो निर्धारित पांच वर्षों से अपने शोध कार्य को गंभीरता से कर रहे हैं।

एएमयू प्रॉक्टर ने कहा कि और यदि कोई वास्तविक कारण है, तो उन्हें "निर्दिष्ट अवधि" के लिए आवास उपलब्ध कराया जाएगा।

हालांकि, उन्होंने कहा, "हम ऐसे सभी शोधकर्ताओं को पूरी तरह से अनुमति नहीं दे सकते जो पांच साल की निर्धारित अवधि के दौरान अपना शोध पूरा करने में विफल रहे हैं।"

उन्होंने कहा कि अगर किसी छात्र को अपनी पीएचडी थीसिस के लिए मौखिक (वाइवा) परीक्षा देनी है तो उसे भी छात्रावास खाली कर देना चाहिए और जब उसे वाइवा परीक्षा देनी होगी तो उस समय आवश्यक आवास उपलब्ध कराया जाएगा।

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