देश की खबरें | गोद लेने वाली एजेंसियों में आने वाले बच्चों की संख्या में कमी तस्करी/अवैध बाजार का संकेत : समिति

नयी दिल्ली, 11 अगस्त संसद की एक समिति ने पिछले वर्षो में गोद लेने से संबंधित एजेंसियों में आने वाले बच्चों की संख्या में कमी आने पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इससे तस्करी या बच्चों के गोद लेने का अवैध बाजार फलने फूलने का संकेत मिलता है।

भारतीय जनता पार्टी के सुशील कुमार मोदी की अध्यक्षता वाली कार्मिक, लोक शिकायत, विधि और न्याय संबंधी समिति द्वारा संसद के हाल ही में सम्पन्न मानसून सत्र में पेश रिपोर्ट में यह बात कही गई है।

समिति ने इस बात पर जोर दिया कि इस संबंध में निगरानी बढ़ाने और अतीत में तस्करी के रिकार्ड वाली, गोद लेने संबंधी एजेंसियों/अस्पतालों और अपंजीकृत बाल देखरेख संस्थानों पर खास नजर रखने की जरूरत है।

रिपोर्ट के अनुसार, समिति ने पिछले वर्षो में गोद लेने से संबंधित एजेंसियों में आने वाले बच्चों की संख्या में कम पर गंभीर चिंता व्यक्त की और कहा कि यह तस्करी या बच्चों के गोद लेने के अवैध बाजार के फलने फूलने का संकेत देता है।

समिति ने इस बात पर जोर दिया कि जिला स्तर के सर्वेक्षण के माध्यम से अनाथ/छोड़ दिये गए बच्चों की सही संख्या सामने आना जरूरी है और इन आंकड़ों को नियमित आधार पर अद्यतन किया जाना चाहिए।

इसमें कहा गया है कि हिंदू दत्तक और भरण-पोषण अधिनियम (एचएएमए) और किशोर न्याय अधिनियम में अपनी-अपनी खूबियां और कमियां हैं।

समिति ने कहा कि एचएएमए के तहत गोद लेने की प्रक्रिया सामान्य है और कम समय लेने वाली है जबकि जेजे अधिनियम के तहत यह पारदर्शी, जवाबदेह और प्रमाण योग्य है।

उसने कहा कि गोद लेने के बारे में एक व्यापक कानून के लिए दोनों कानूनों में तालमेल जरूरी है, जो गोद लेने की प्रक्रिया को पारदर्शी, जवाबदेह, प्रमाण योग्य और सभी धर्मों के लिए समान रूप से आसान बनाता हो।

समिति ने कहा कि एचएएमए के तहत गोद लेने के मामलों का वर्तमान में कोई आंकड़ा उपलब्ध नहीं है।

समिति ने कहा, ‘‘इसलिए तस्करी पर नियंत्रण रखने के एक राष्ट्रीय एडोप्शन रजिस्ट्री बनाया जाना आश्यक है, ताकि उसमें देश में गोद लेने के मामलों का ब्योरा उपलब्ध हो सके।

दीपक

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