मुंबई, सात जून भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को मौद्रिक नीति समीक्षा में उम्मीद के मुताबिक नीतिगत दर रेपो में कोई बदलाव नहीं किया और इसे 6.5 प्रतिशत पर कायम रखा। मजबूत आर्थिक वृद्धि के बीच महंगाई को काबू में रखने के प्रयास के तहत आरबीआई ने लगातार आठवीं बार रेपो दर को यथावत रखा है।
आरबीआई के गवर्नर शक्तिकान्त दास ने मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बुधवार को शुरू हुई तीन दिन की बैठक में लिए गए निर्णय की जानकारी देते हुए कहा, ‘‘मौद्रिक नीति समिति ने लगातार आठवीं बार नीतिगत दर को यथावत रखने का निर्णय किया। साथ ही उदार रुख को वापस लेने के अपने निर्णय पर भी कायम रहने का फैसला किया है।’’ उदार रुख को वापस लेने से आशय अपेक्षाकृत आक्रामक रुख से है।
हालांकि, मौद्रिक नीति समिति में इस बार दो सदस्यों ने अलग राय दी। पिछले बार के एक के मुकाबले दो सदस्यों ने नीतिगत दर में कटौती और रुख को कुछ नरम किये जाने के पक्ष में मतदान किया। एमपीसी के छह सदस्यों में से चार ने नीतिगत दर को यथावत रखने, जबकि दो...आशिमा गोयल और प्रोफेसर जयंत आर वर्मा ने इसमें 0.25 प्रतिशत कमी लाने और रुख को तटस्थ करने के लिए मतदान किया।
यह फैसला नरेन्द्र मोदी के लगातार तीसरी बार भारत के प्रधानमंत्री का पद संभालने से कुछ ही दिन पहले आया है।
पिछले वित्त वर्ष में उम्मीद से अधिक जीडीपी वृद्धि के बीच केंद्रीय बैंक ने आर्थिक गतिविधियों में मजबूती और दक्षिण-पश्चिम मानसून के सामान्य से बेहतर रहने की भविष्यवाणी के साथ 2024-25 के लिए जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर अनुमान को सात प्रतिशत से बढ़ाकर 7.2 प्रतिशत पर कर दिया है।
वहीं चालू वित्त वर्ष 2024-25 के लिए खुदरा मुद्रास्फीति के अनुमान को 4.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा गया है।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के अनुसार, बीते वित्त वर्ष 2023-24 में आर्थिक वृद्धि दर 8.2 प्रतिशत रही है। वहीं मुद्रास्फीति अप्रैल में 4.83 प्रतिशत रही जो आरबीआई के चार प्रतिशत के लक्ष्य से ऊंची है।
दास ने कहा, ‘‘एमपीसी ने इस बात पर गौर किया कि आर्थिक वृद्धि मजबूत बनी हुई है जबकि मुख्य (कोर) मुद्रस्फीति में नरमी (ईंधन और खाद्य पदार्थ की महंगाई को छोड़कर) से खुदरा महंगाई में लगातार कमी आ रही है। इसके साथ ईंधन की महंगाई दर में कमी जारी है। हालांकि, खाद्य मुद्रास्फीति चिंता का विषय है और यह ऊंची बनी हुई है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ केंद्रीय बैंक खासकर खाद्य महंगाई को लेकर सतर्क बना हुआ है। मौद्रिक नीति निश्चित रूप से महंगाई को काबू में लाने वाली होनी चाहिए और हम टिकाऊ आधार पर इसे चार प्रतिशत के स्तर पर लाने को प्रतिबद्ध हैं।’’
दास ने कहा कि सतत रूप से कीमत स्थिरता उच्च वृद्धि का आधार है। इन सब बातों पर गौर करते हुए एमपीसी ने नीतिगत दर रेपो को यथावत रखने का निर्णय किया है।
रेपो वह ब्याज दर है, जिसपर वाणिज्यिक बैंक अपनी तात्कालिक जरूरतों को पूरा करने के लिये केंद्रीय बैंक से कर्ज लेते हैं। आरबीआई मुद्रास्फीति को काबू में रखने के लिये इसका उपयोग करता है। रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखने का मतलब है कि मकान, वाहन समेत विभिन्न कर्जों पर मासिक किस्त (ईएमआई) में बदलाव की संभावना कम है।
उन्होंने कहा कि आरबीआई रेपो और रिवर्स रेपो परिचालन के माध्यम से नकदी प्रबंधन में लचीला बना रहेगा। ‘‘हम नकदी का उपयुक्त तरीके से प्रबंधन कर यह सुनिश्चित करेंगे कि मुद्रा बाजार की ब्याज दर व्यवस्थित तरीके से विकसित हो, जिससे वित्तीय स्थिरता बनी रहे।’’
आरबीआई गवर्नर ने संकेत दिया कि केंद्रीय बैंक अमेरिकी फेडरल रिजर्व के दर में कटौती करने से पहले कदम उठाने को संभवत: तैयार है। उन्होंने कहा कि आरबीआई की मौद्रिक नीति घरेलू वृद्धि और मुद्रास्फीति की स्थितियों से निर्धारित होती है।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं स्पष्ट रूप से कहना चाहूंगा कि... हम स्थानीय मौसम के अनुसार खेल खेलते हैं।’’
एमपीसी के फैसलों पर डीबीएस बैंक की कार्यकारी निदेशक और वरिष्ठ अर्थशास्त्री राधिका राव ने कहा कि समिति के सदस्यों के बीच दर स्थिर रखने को लेकर आम राय नहीं होने का संकेत है। पिछले बार के मुकाबले समिति के दो सदस्यों ने नीतिगत दर में कटौती की बात कही है। साथ ही दो सदस्यों ने रुख में नरमी लाने के लिए मतदान किया।
उन्होंने कहा, ‘‘महंगाई में नरमी के हाल के संकेत के बावजूद समिति ने बहुमत के आधार पर खुदरा मुद्रास्फीति को टिकाऊ आधार पर चार प्रतिशत पर लाने को लेकर सतर्क रुख बरकरार रखा है।’’
एक्यूट रेटिंग्स एंड रिसर्च के मुख्य अर्थशास्त्री और अनुसंधान प्रमुख सुमन चौधरी ने कहा कि आरबीआई का निर्णय उम्मीद के अनुरूप है।
उन्होंने कहा, ‘‘आरबीआई ने मौद्रिक नीति के स्तर पर कोई संकेत दिए बिना स्थायी तौर पर मुद्रास्फीति में कमी लाने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहरायी है। मानसून सामान्य से बेहतर रहने की भविष्यवाणी के बावजूद केंद्रीय बैंक निकट अवधि में खाद्य मुद्रास्फीति में किसी भी बढ़ोतरी के जोखिम पर नजर रखना जारी रखेगा।’’
चौधरी ने कहा, ‘‘ इसके अलावा, उसकी आगामी बजट में कल्याणकारी योजनाओं पर व्यय बढ़ने और उसका महंगाई पर संभावित असर पर भी नजर होगी। हालांकि, 2.1 लाख रुपये आरबीआई लाभांश इस मामले में जोखिम कम करेगा।’’
अन्य निर्णय के तहत केंद्रीय बैंक ने थोक जमा सीमा दो करोड़ रुपये से बढ़ाकर तीन करोड़ रुपये करने का प्रस्ताव किया है।
केंद्रीय बैंक भुगतान धोखाधड़ी के जोखिम को कम करने के लिए उन्नत प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करने को लेकर डिजिटल भुगतान ‘इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म’ स्थापित करेगा।
साथ ही फास्टैग और एनसीएमसी (नेशनल कॉमन मोबिलिटी कार्ड) और यूपीआई-लाइट वॉलेट में खुद से पैसा जमा करने की सुविधा देने का प्रस्ताव किया गया है।
मौद्रिक नीति समति की अगली बैठक छह से आठ अगस्त को होगी।
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