देश की खबरें | रवींद्र रैना जिनके नेतृत्व में भाजपा ने जम्मू-कश्मीर में किया अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन

श्रीनगर, आठ अक्टूबर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की जम्मू-कश्मीर इकाई के अध्यक्ष रवींद्र रैना क्षेत्र में पार्टी के ‘पोस्टर ब्वॉय’ के रूप में जाने जाते हैं। उनके नेतृत्व में पार्टी ने विधानसभा चुनाव में 29 सीट के साथ अब तक का अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया है लेकिन वह स्वयं अपनी नौशेरा सीट बचाने में असफल रहे।

रैना ने नतीजे आने के बाद कहा,‘‘मैंने जनादेश को स्वीकार कर लिया है। मैं उनके समर्थन के लिए उनका धन्यवाद करता हूं।’’ उनके नेतृत्व ने पार्टी को केंद्र शासित प्रदेश के जटिल राजनीतिक परिदृश्य को संभालने में मदद की है, विशेषतौर पर अनुच्छेद 370 को निरस्त करने और जम्मू-कश्मीर को पुनर्गठित करने के बाद।

उन्होंने कई चर्चित अभियानों का नेतृत्व किया है, विशेषकर सीमा पार आतंकवाद और संघर्षविराम उल्लंघन के विरुद्ध।

निर्वाचन आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, रैना को 27,250 वोट मिले और वह नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) के सुरिंदर चौधरी से 7,819 मतों से हार गए। धरी को 35,069 मत मिले।

रैना 10 साल पहले नौशेरा से विधायक चुने गए। उस चुनाव से पहले यह सीट कांग्रेस का अभेद्य किला माना जाता था क्योंकि 1962 से लगातार आठ बार कांग्रेस ने इस सीट से जीत दर्ज की थी।

उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के पूर्णकालिक प्रचारक के रूप में राजनीति में प्रवेश किया और एक युवा, तेजतर्रार नेता के रूप में तेजी से आपनी साख बनाई। वह कुपवाड़ा से कठुआ तक जनता के विभिन्न वर्गों तक पहुंच बनाने की पहल के लिए जाने जाते हैं।

रैना की उम्र अब 47 साल है। वह 37 की उम्र में पहली बार नौशेरा निर्वाचन क्षेत्र से विधायक चुने गए। उन्हें 34 साल की उम्र में भारतीय जनता युवा मोर्चा का नेतृत्व करने के लिए चुना गया। इस दौरान उन्होंने घाटी सहित पूरे जम्मू कश्मीर में युवाओं तक पहुंचने का प्रयास किया।

जम्मू-कश्मीर भाजपा प्रमुख अक्सर अपनी चुनावी रैलियों के दौरान अपनी साधारण जीवन शैली को रेखांकित करते दिखे। हाल ही में नौशेरा में एक जनसभा के दौरान उन्होंने भीड़ को अपने कुर्ते की फटी जेब दिखाई।

रैना ने अपने चुनावी हलफनामे में अपनी कुल संपत्ति के रूप में केवल 1,000 रुपये नकद घोषित किए हैं, जिससे वे व्यक्तिगत संपत्ति के मामले में सबसे गरीब उम्मीदवारों में से एक बन गए हैं। उन्होंने अपनी विधायक पेंशन को दान में देने का भी फैसला किया है।

उन्होंने चुनावी हलफनामा में बताया कि उनके पास बैंक में कोई बचत नहीं है, सोना, निवेश, कृषि या गैर-कृषि भूमि सहित किसी भी चल या अचल संपत्ति की खरीद नहीं की है और न ही उन्हें विरासत में कुछ मिली है। रैना ने घोषणा की कि उनके पास कोई घर या वाहन नहीं है। उन्होंने यह भी घोषित किया है कि उन पर कोई देनदारी नहीं है, उनके आयकर रिटर्न में पिछले पांच वर्षों में से प्रत्येक के लिए शून्य वार्षिक आय दिखाई गई है।

रैना विज्ञान में स्नातक और मानवाधिकार में स्नातकोत्तर हैं और उन्होंने अपने कैरियर की शुरुआत आरएसए के प्रचारक के रूप में की और जम्मू क्षेत्र में खासतौर पर सीमावर्ती जिले राजौरी और पुंछ में जमीनी स्तर पर काम किया।

आतंकवाद प्रभावित समुदायों तक पहुंचने की उनकी पहल को परिवर्तनकारी कदम माना जाता है, जिससे जम्मू-कश्मीर के दूरदराज, ग्रामीण और पहाड़ी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के बीच उनकी छवि और स्वीकार्यता बढ़ी।

आरएसएस में शामिल होने से पहले, उन्होंने 2000 में कुछ समय के लिए मर्चेंट नेवी में काम किया। हालांकि, बाद में उन्होंने अपना पूरा समय सामाजिक कार्यों और सार्वजनिक सेवा को समर्पित कर दिया।

नौशेरा से 2014 में जीतने के बाद 41 वर्ष की आयु में, उन्हें 2018 में जम्मू और कश्मीर भाजपा का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। इसी के साथ वह इस पद को संभालने वाले सबसे युवा नेताओं में से एक बन गए।

अपने बढ़ते राजनीतिक कद के बावजूद, भाजपा नेता का करियर विवादों से अछूता नहीं रहा। उन्होंने माता वैष्णो देवी के नाम पर जम्मू-कश्मीर विधानसभा की सदस्यता की शपथ ली, जिस पर विपक्षी सदस्यों ने आपत्ति जताई।

रैना को पूर्वववर्ती विधानसभा में भाजपा के सबसे मुखर विधायकों में से एक माना जाता था, जो अक्सर राज्य विधानसभा में पाकिस्तान विरोधी नारे लगाते थे। उन्होंने 2015 में तब सुर्खियां बटोरीं जब उन्होंने विधानसभा में निर्दलीय विधायक इंजीनियर रशीद से हाथापाई की कोशिश की, जब उन्होंने एमएलए हॉस्टल में ‘बीफ पार्टी’ आयोजित की थी।

रैना का जन्म 31 जनवरी 1977 को राजौरी जिले के नौशेरा इलाके के सीमावर्ती गांव लम्बेरी में एक साधारण परिवार में हुआ था। उनके पिता पुष्प दत्त रैना सेवानिवृत्त स्कूल प्रधानाध्यापक हैं, जबकि उनके छोटे भाई सुनील रैना सेना में सेवारत हैं। उनकी मां गृहिणी हैं।

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