नयी दिल्ली, एक अगस्त मणिपुर में हिंसा के मुद्दे पर मंगलवार को भी राज्यसभा में विपक्षी सदस्यों ने हंगामा किया जिसकी वजह से सदन की कार्यवाही एक बार स्थगित करनी पड़ी। बाद में विपक्षी सदस्यों ने सदन से वाकआउट किया।
सुबह 11 बजे राज्यसभा की कार्यवाही शुरू होने पर सभापति जगदीप धनखड़ ने सदन के सदस्य अयोध्या रामी रेड्डी को जन्मदिन की बधाई दी। उसके बाद उन्होंने आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाए।
इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय से संबंधित 'नागरिकों की डेटा सुरक्षा और निजता' संबंधी एक रिपोर्ट पेश किए जाने पर मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) सदस्य जॉन ब्रिटास ने आपत्ति जतायी। उन्होंने व्यवस्था के प्रश्न के तहत अपनी आपत्ति जताते हुए कहा कि यह डेटा संरक्षण विधेयक से संबंधित है, जिसे मंत्रिमंडल ने मंजूरी दे दी है, लेकिन इसे सदन में पेश नहीं किया गया है और न ही स्थायी समिति को भेजा गया है।
सभापति ने व्यवस्था के प्रश्न को खारिज कर दिया और कहा कि किसी समिति की रिपोर्ट को सदन में रखना सही है।
इसके बाद सभापति ने मणिपुर मुद्दे पर सदन में लगातार व्यवधान पर अफसोस जताया और कहा कि यह आचरण उच्च सदन की गरिमा के अनुरूप नहीं है। उन्होंने कहा कि हंगामे की वजह से ‘‘हम जनता में उपहास के पात्र बन रहे हैं।’’
उन्होंने बताया कि आज उन्हें नियम 267 के तहत कुल 60 नोटिस मिले हैं जो उचित प्रारूप में नहीं हैं, इसलिए उन्हें नामंजूर कर दिया गया है।
सभापति ने मणिपुर मुद्दे का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने अल्पकालिक चर्चा की मंजूरी दी थी और 31 जुलाई को उसके लिए समय निर्धारित किया गया था लेकिन सदन में हंगामे की वजह से चर्चा नहीं हो सकी।
उन्होंने गतिरोध दूर करने के लिए सोमवार को विभिन्न दलों के साथ उनकी बैठक का उल्लेख करते हुए कहा कि विपक्षी सदस्य इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बयान की मांग कर रहे हैं। उन्होंने इस क्रम में 2014 में वरिष्ठ सदस्य सीताराम येचुरी की एक मांग पर आसन द्वारा दी गई व्यवस्था का भी जिक्र किया और कहा कि सरकार में सामूहिक जिम्मेदारी होती है।
धनखड़ ने कहा, "मैं सदस्यों से अपील करता हूं कि वे गंभीरता से आत्मचिंतन करें और बातचीत एवं संवाद के अवसर को नहीं गंवाएं क्योंकि इससे इस उच्च सदन में सदस्यों द्वारा ली गई शपथ का सार पूरा नहीं होगा।"
इस दौरान विपक्षी सदस्य मणिपुर मुद्दे को लेकर हंगामा और नारेबाजी करते रहे। वे प्रधानमंत्री से सदन में आने की भी मांग कर रहे थे।
हंगामा कर रहे विपक्षी सदस्यों से शांत होने की अपील करते हुए धनखड़ ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि वे इस संबंध में चर्चा नहीं चाहते हैं।
सदन में हंगामा थमते नहीं देख उन्होंने 11 बजकर 25 मिनट पर सदन की कार्यवाही दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
एक बार के स्थगन के बाद दोपहर 12 बजे उच्च सदन की बैठक शुरू होने पर भी सदन में हंगामा जारी रहा और विपक्षी सदस्य नारेबाजी करते रहे।
सभापति ने हंगामे के बीच ही प्रश्नकाल चलाया और विपक्षी सदस्यों ने करीब 12:30 बजे सदन से बहिर्गमन किया।
कांग्रेस के मुख्य सचेतक जयराम रमेश ने बाद में एक ट्वीट में कहा कि विपक्ष ने आज भी प्रधानमंत्री से सदन में आने और मणिपुर मुद्दे पर बयान देने की मांग की। उन्होंने आरोप लगाया कि नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को बोलने का मौका नहीं दिया गया और विपक्षी गठबंधन के सदस्यों ने करीब 12:30 बजे सदन से वाकआउट किया।
सभापति धनखड़ ने कहा कि प्रश्नकाल संसदीय लोकतंत्र का दिल होता है जिसमें सरकार से सवाल पूछने और कार्यपालिका की जवाबदेही तय करने का दुर्लभ मौका मिलता है। उन्होंने प्रश्न पूछने वाले सदस्यों के सदन में मौजूद नहीं होने को दुर्भाग्यपूर्ण करार देते हुए कहा कि कुछ सदस्य सवाल पूछते हैं और वे भाग्यशाली होते हैं कि उनके सवाल चुन लिए जाते हैं तथा तारांकित सवालों की सूची में उनके सवाल शामिल हो जाते हैं।
सभापति ने अफसोस जताया कि लेकिन इसके बाद भी कई बार सदस्य सवाल पूछने के मौके का फायदा नहीं उठाते। उन्होंने कहा कि ऐेसे सदस्यों को आत्मचिंतन करने की जरूरत है कि क्या वे अपने कर्तव्य का पालन कर रहे हैं और क्या वे आम लोगों के कल्याण के बारे में सही तरीके से विचार कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘संविधान की शपथ लेकर अगर हम लोगों की उम्मीदों और आकांक्षाओं पर खरा नहीं उतरते हैं तो क्या हम अपने कर्तव्य का सही तरीके से पालन कर रहे हैं।’’
सभापति ने सदस्यों से प्रश्नकाल को उपयोगी बनाने की अपील की ताकि आम लोगों के जीवन में परिवर्तन आ सके। उन्होंने सदन में मौजूद सदस्यों से कहा कि वे सदन के बाहर विपक्ष के सदस्यों से इस बारे में बात कर उन्हें समझाएं कि प्रश्नकाल बहुत महत्वपूर्ण होता है और इससे आम आदमी की समस्याओं को लेकर सरकार से प्रश्न पूछे जा सकते हैं।
भोजनावकाश के बाद जब सदन में बहुराज्य सहकारी सोसाइटी (संशोधन) विधेयक पर चर्चा चल रही थी तो मणिपुर मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बयान की मांग करते हुए विपक्षी सदस्यों ने सदन से वाकआउट कर दिया।
इस बीच, विपक्षी सदस्यों की दीर्घा में बैठे एकमात्र सदस्य एवं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने सभापति से कहा, ‘‘जब आप हमारी अपील पर ध्यान नहीं देंगे तो हम क्या करेंगे (वाकआउट करने के सिवाय)?’’
इस पर सभापति ने चिदंबरम से कहा कि आपके साथियों को भी आपका अनुसरण करना चाहिए। उनका संकेत था कि विपक्षी सदस्यों को वाकआउट करने के बजाय सदन में रहकर कार्यवाही में भाग लेना चाहिए।
इसके बाद सभापति धनखड़ ने कहा कि यह बहुत महत्वपूर्ण स्तर है जिसमें एक विधेयक के माध्यम से सहकारी संस्थाओं का दर्जा बढ़ाकर सांविधिक दर्जा दिया जा रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘सहकारी संस्थान बाजी पलटने वाले हैं। इससे छोटे किसानों, कामगारों एवं दस्तकारों को लाभ पहुंचेगा।’’
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)