नयी दिल्ली, पांच सितंबर पूर्वी लद्दाख में तनावपूर्ण स्थिति के बीच रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपने चीनी समकक्ष जनरल वेई फेंगही को स्पष्ट संदेश दिया कि चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) का पूर्णत: सम्मान करे और यथास्थिति को बदलने की एकतरफा कोशिश न करे।
मई की शुरुआत में पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर पैदा हुए तनाव के बाद दोनों देशों के बीच यह पहली उच्चस्तरीय आमने-सामने की बैठक हुई। मास्को में शुक्रवार को हुई बैठक में सिंह ने वेई से कहा कि पैंगोंग झील समेत गतिरोध वाले सभी बिंदुओं से सैनिकों की यथाशीघ्र पूर्ण वापसी के लिये चीन को भारतीय पक्ष के साथ मिलकर काम करना चाहिए।
शनिवार को यहां जारी एक आधिकारिक बयान के मुताबिक भारत के अपनी संप्रभुता और अखंडता की रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध होने का जिक्र करते हुए सिंह ने कहा कि बड़ी संख्या में सैनिकों का जमावड़ा, आक्रामक व्यवहार और यथास्थिति को बदलने की एकतरफा कोशिश जैसे चीन के कदम द्विपक्षीय समझौते का उल्लंघन है।
सिंह ने अपने चीनी समकक्ष से स्पष्ट किया कि मौजूदा हालात को जिम्मेदारी से सुलझाने की जरूरत है और दोनों पक्षों की ओर से आगे कोई ऐसा कदम नहीं उठाया जाना चाहिए जिससे मामला जटिल हो और सीमा पर तनाव बढ़े।
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बयान में कहा गया कि सिंह ने सलाह दी कि यह महत्वपूर्ण है कि चीनी पक्ष कड़ाई से एलएसी का पालन करे और उसे यथास्थिति को एकतरफा बदलने की कोशिश नहीं करनी चाहिए।
विदेश मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय द्वारा जारी बयान में कहा गया, “दोनों मंत्रियों के बीच भारत-चीन सीमा क्षेत्रों की घटनाओं एवं भारत चीन संबंधों पर भी स्पष्ट एवं गहन चर्चा हुई।”
सिंह ने यह भी रेखांकित किया कि दोनों पक्षों को राजनयिक और सैन्य माध्यमों से चर्चा जारी रखनी चाहिए ताकि एलएसी पर यथाशीघ्र सैनिकों की पुरानी स्थिति में पूर्ण वापसी और तनाव में कमी सुनिश्चित की जा सके।
बयान में कहा गया कि चीनी रक्षामंत्री ने भी बताया कि चीन की मंशा भी शांतिपूर्ण तरीके से मुद्दों को सुलझाने की है।
राजनाथ और वेई के बीच यह बैठक शुक्रवार शाम शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की रक्षा मंत्री स्तर की बैठक से इतर मॉस्को में हुई और यह करीब दो घंटे 20 मिनट तक चली। यह बातचीत ऐसे वक्त हुई जब पूर्वी लद्दाख स्थित पैंगोंग झील के दक्षिणी किनारे स्थित भारतीय इलाके पर कब्जे के लिए पांच दिन पहले चीन द्वारा की गई असफल कोशिश के बाद एक बार फिर तनाव बढ़ गया है जबकि लंबे समय से सीमा पर चल रही तनातनी को सुलझाने के लिए दोनों पक्ष राजनयिक और सैन्य स्तर पर बातचीत कर रहे हैं।
भारत ने पैंगोंग झील के दक्षिण में रणनीतिक रूप से अहम कई ऊंचाई वाले स्थानों पर सैनिक तैनात किये है और चीन की किसी कार्रवाई का मुकाबला करने के लिए ‘फिंगर दो और फिंगर तीन’ पर भी अपनी स्थिति मजबूत की है। चीन ने भारत के इस कदम का विरोध किया है। हालांकि, भारत का कहना है कि रणनीति रूप से अहम चोटी एलएसी के इस पार यानी भारतीय हिस्से में है।
बयान में कहा गया, “रक्षा मंत्री ने स्पष्ट रूप से उन्हें पिछले कुछ महीनों के दौरान भारत-चीन सीमा क्षेत्रों के पश्चिमी सेक्टर में गलवान घाटी सहित वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के साथ घटनाओं पर भारत की स्थिति बताई।”
इसमें कहा गया, “उन्होंने जोर देकर कहा कि बड़ी संख्या में चीनी टुकड़ियों का जमावड़ा, उनका आक्रामक बर्ताव तथा एकतरफा तरीके से यथास्थिति को बदलने की कोशिशें द्विपक्षीय समझौतों का उल्लंघन हैं तथा दोनों पक्षों के विशेष प्रतिनिधियों के बीच बनी सहमति के अनुरूप नहीं है।”
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने पांच जुलाई को करीब दो घंटे तक बातचीत की थी। यह बातचीत तब हुई थी जब 15 जून को भारत और चीनी सैनिकों के बीच गलवान घाटी में हिंसक झड़प हुई और भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हो गए। चीन की ओर से झड़प में हताहतों की जानकारी नहीं दी गई है लेकिन अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक गलवान झड़प में चीन के 35 सैनिक मारे गए। इस झड़प के बाद सीमा पर तनाव काफी बढ़ गया था।
वेई के साथ बातचीत में सिंह ने यह भी स्पष्ट किया कि भारतीय सैनिकों ने सीमा प्रबंधन के मामले में हमेशा बहुत ही जिम्मेदार रुख अपनाया है, लेकिन साथ ही “भारत की संप्रभुता और अखंडता की रक्षा की प्रतिबद्धता” को लेकर भी कोई आशंका नहीं होनी चाहिए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच 2018 और 2019 में हुई दो अनौपचारिक शिखरवार्ताओं के संदर्भ में सिंह ने कहा कि दोनों ही पक्षों को नेताओं की सर्वसहमति से दिशानिर्देश प्राप्त करना चाहिए कि भारत और चीन सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति बनाये रखना हमारे द्विपक्षीय संबंधों के लिए अनिवार्य है और दोनों पक्षों को मतभेदों को विवाद बनने की अनुमति नहीं देना चाहिए।
बयान के मुताबिक वेई ने कहा कि दोनों पक्षों को “ईमानदारी से प्रधानमंत्री मोदी एवं राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच हुई सहमति को कार्यान्वित करना चाहिए, संवाद और परामर्श के जरिये मुद्दों का समाधन करते रहने चाहिए, विभिन्न द्विपक्षीय समझौतों का दृढ़ता से अनुपालन करना चाहिए, अग्रिम पंक्ति की टुकड़ियों को स्पष्ट उचित निर्देश दिये जाने चाहिए और ऐसा कोई भड़काने वाली कार्रवाई नहीं करनी चाहिए जिससे स्थिति तनावपूर्ण बन जाए। ”
बयान में कहा गया, “दोनों ही पक्षों को भारत और चीन के संबंधों की समग्र स्थिति पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए और जहां तक संभव है, भारत और चीन सीमा क्षेत्रों में शांति और स्थिरता बरकरार रखनी चाहिए। चीन के रक्षा मंत्री ने सुझाव दिया कि दोनों ही पक्षों को दोनों मंत्रियों समेत सभी स्तरों पर संवाद बनाये रखना चाहिए।”
वहीं बीजिंग में चीनी रक्षा मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान में कहा गया कि वेई ने सिंह को बताया कि सीमा विवाद के कारण हाल में दोनों देशों और दोनों सेनाओं के बीच रिश्ते हाल में गंभीर रूप से प्रभावित हुए हैं और दोनों रक्षा मंत्रियों के लिये यह जरूरी है कि वे आमने-सामने बैठकें कर सभी प्रासंगिक मुद्दों पर सौहार्दपूर्ण तरीके से विचारों का आदान-प्रदान करें।
बयान में कहा गया कि जनरल वेई ने यह भी दावा किया कि सीमा पर गतिरोध की जिम्मेदारी “पूर्णत:” भारतीय पक्ष की है और चीन की एक इंच जमीन भी गंवाई नहीं जाएगी।
इसमें कहा गया कि चीनी सेना में अपनी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा करने का संकल्प, क्षमता और भरोसा है।
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