कोटा (राजस्थान), 14 दिसंबर कांग्रेस के विधायक भरत सिंह कुंदनपुर ने कोटा में कोचिंग ले रहे तीन छात्रों द्वारा आत्महत्या किए जाने के बाद अपनी ही सरकार पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि यहां कोचिंग संस्थानों को नेताओं से शह मिली हुई है और इसलिए जब छात्र जब आत्महत्या जैसा कदम उठाते हैं तो वे पुलिस की किसी भी कार्रवाई से बच निकलते हैं।
गौरतलब है कि सोमवार को यहां प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे तीन छात्रों ने दो अलग-अलग घटनाओं में कथित तौर पर आत्महत्या कर ली।
कुंदनपुर ने कोटा जिलाधीश को मंगलवार को लिखे पत्र में आत्महत्या में कोचिंग संस्थानों की भूमिका की जांच करने की मांग की।
सांगोद (कोटा) से सत्तारूढ़ पार्टी के विधायक कुंदनपुर ने कहा कि आत्महत्या करने की वजहों में अच्छे नतीजे लाने की दौड़ में कोचिंग संस्थानों द्वारा छात्रों पर भारी दबाव बनाया जाना है।
पत्र में उन्होंने कहा, ‘‘घटना के बाद पुलिस ने जांच की और अंतिम रिपोर्ट दाखिल की लेकिन ऐसे कदम के लिए कोचिंग संस्थान को जिम्मेदार नहीं ठहराया।’’
कोचिंग संस्थान का नाम लिए बगैर उन्होंने आरोप लगाया कि कोचिंग संस्थानों का राजनीतिक प्रभाव बहुत ज्यादा है। बड़ी संख्या में अधिकारी केवल इस वजह से कोटा में तैनाती मांगते हैं।
अशोक गहलोत सरकार में पूर्व मंत्री रहे कुंदनपुर ने कहा, ‘‘मेरा सुझाव यह है कि पुलिस को आत्महत्या में कोचिंग संस्थान की भूमिका की जांच करनी चाहिए और उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करनी चाहिए।’’
उन्होंने कहा कि कोटा को पूरे देश में कोचिंग के लिए जाना जाता है और सभी राज्यों से बड़ी संख्या में लड़के तथा लड़कियां यहां आते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘यह शहर कोचिंग का हब बन गया है और कोचिंग देना लाभकारी व्यवसाय बन गया है। छात्रों पर भारी दबाव की यह भी एक वजह है। कोचिंग संस्थान अच्छे नतीजे देने की दौड़ में शामिल हैं।’’
गौरतलब है कि नीट की तैयारी कर रहे अंकुश आनंद (18) और जेईई की तैयारी कर रहे उज्ज्वल कुमार (17) ने सोमवार सुबह अपने पीजी के कमरों में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। दोनों बिहार के रहने वाले थे।
पुलिस ने बताया कि तीसरा छात्र प्रणव वर्मा (17) मध्य प्रदेश का रहने वाला है और वह नीट की तैयारी कर रहा था। उसने रविवार देर रात अपने हॉस्टल में कथित तौर पर कुछ जहरीला पदार्थ खाकर आत्महत्या कर ली थी।
शुरुआती जांच में पता चला है कि आनंद और कुमार कुछ समय से अपनी कोचिंग कक्षाओं में नियमित रूप से उपस्थित नहीं हो रहे थे तथा पढ़ाई में पिछड़ रहे थे और यह उनकी आत्महत्या की वजह हो सकती है।
वहीं, जिला प्रशासन ने अब कोचिंग संस्थानों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि वे एक मनोविज्ञानी की भर्ती करें और छात्रों का इंजीनियरिंग (जेईई) तथा नीट (मेडिकल) के अलावा करियर के अन्य विकल्पों के बारे में मार्गदर्शन करें।
जिलाधीश ओ पी बंकर और कोटा रेंज के आईजी प्रश्न कुमार खमेसरा ने मंगलवार को विभिन्न कोचिंग संस्थानों के पक्षकारों के साथ एक संयुक्त बैठक की।
कोटा के जिलाधीश ने कहा कि यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं कि कक्षाओं की रिकॉर्डिंग की सुविधा भी उपलब्ध करायी जाए ताकि छात्रों को उन कक्षाओं में हुई पढ़ाई के बारे में भी पता चल पाए जिनमें वे उपस्थित नहीं रहे थे।
जयपुर में एक अधिकारी ने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राज्य में चल रहे कोचिंग संस्थानों में पढ़/रह रहे छात्रों को मानसिक सहयोग और सुरक्षा मुहैया कराने के उद्देश्य से पिछले महीने दिशा निर्देशों को मंजूरी दी थी। इन दिशा निर्देशों का उद्देश्य छात्रों के लिए तनाव मुक्त और सुरक्षित माहौल सुनिश्चित करना है।
देशभर के दो लाख से अधिक छात्र कोटा में विभिन्न संस्थानों में मेडिकल तथा इंजीनियरिंग कॉलेजों में प्रवेश परीक्षाओं के लिए कोचिंग ले रहे हैं और करीब 3,500 हॉस्टल तथा पीजी में रह रहे हैं।
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