जयपुर, 29 दिसंबर राजस्थान में साल 2024 का लेखा जोखा मिलाजुला रहा। पहली बार विधायक बने भजन लाल शर्मा के हाथों में भाजपा सरकार की कमान सौंपे जाने से साल की शुरूआत कुछ आशंकाओं के साथ हुई।
कांग्रेस की कहानी भी कुछ नफे और कुछ नुकसान के साथ मिलीजुली रही और इसके साथ ही कोटा में छात्रों द्वारा आत्महत्या किए जाने के मामलों ने भी देश का ध्यान खींचा।
राजस्थान के कोटा में छात्रों के आत्महत्या की बार-बार होने वाली घटनाओं ने देश के "कोचिंग हब" को एक बड़ा झटका दिया। आत्महत्याओं की घटनाओं से कोचिंग हब की अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव देखने को मिला। इसकी सालाना 6,500-7000 करोड़ रुपये की आय घटकर 3,000-3,500 करोड़ रुपये रह गई।
कई लोगों ने सवाल उठाया था कि क्या भाजपा द्वारा बहुत कम अनुभव वाले भजनलाल शर्मा पर भरोसा करना और अनुभवी वसुंधरा राजे को हाशिये पर छोड़कर आगे बढ़ना पार्टी और राज्य के लिए नुकसानदेह होगा?
कांग्रेस के बारे में भी सवाल थे। ऐसी अफवाहें थीं कि पार्टी के भीतर की कलह के कारण विधानसभा चुनावों में हार हुई और लोकसभा चुनावों में भी इसका नुकसान हो सकता है।
लेकिन साल खत्म होते-होते इनमें से ज्यादातर सवालों के जवाब मिल गए। मुख्यमंत्री शर्मा ने दृढ़ विश्वास और पार्टी आलाकमान के समर्थन के साथ एक के बाद एक फैसले लिए।
उनके नेतृत्व में पार्टी ने उपचुनावों में सात में से पांच सीटें जीतीं। उनकी सरकार ने पेपर लीक मामले में सख्त कार्रवाई की।
28 दिसंबर को हुई साल की आखिरी मंत्रिमंडलीय बैठक में शर्मा सरकार ने पिछली कांग्रेस सरकार द्वारा बनाए गए नौ जिले और तीन संभागों को यह कहते हुए कि वे न तो "व्यावहारिक" थे और न ही "सार्वजनिक हित" में, उन्हें खत्म करने का फैसला किया। राज्य में अब केवल सात संभाग और 41 जिले होंगे।
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने दिसंबर में राइजिंग राजस्थान समिट के आयोजन के साथ अपनी स्थिति मजबूत की, जहां राज्य को 35 लाख करोड़ रुपये के निवेश का वादा किया गया।
नवंबर 2023 में विधानसभा चुनावों में पराजित कांग्रेस ने लोकसभा चुनावों में वापसी की, 25 में से आठ सीटें जीतीं और अंदरूनी कलह की चर्चाओं पर विराम लगा दिया।
2014 के बाद से कांग्रेस द्वारा राज्य में लोकसभा सीट जीतने का यह पहला मामला था।
भाजपा आत्मविश्वास के साथ चुनाव में उतरी, लेकिन वह केवल 14 सीटों पर ही सिमट गई। इसकी 2019 की लोकसभा चुनाव सहयोगी आरएलपी ने इंडिया ब्लॉक के तहत कांग्रेस के साथ गठबंधन किया।
राज्य में 2024 में कुछ घातक दुर्घटनाएँ और त्रासदियाँ भी हुईं, जिनमें से सबसे घातक पिछले महीने हुई। 20 दिसंबर की सुबह जयपुर-अजमेर राष्ट्रीय राजमार्ग पर एलपीजी टैंकर और ट्रक में टक्कर हो गई, जिससे भीषण आग लग गई। इसमें अब तक 20 लोगों की मौत हो चुकी है और इस हादसे में 39 वाहन जलकर खाक हो गए।
अक्टूबर में तेंदुए के लगातार हमलों से झीलों की नगरी उदयपुर के करीब 20 गांवों के लोग दहशत में रहे। गोगुंदा और आसपास के इलाकों में तेंदुए के हमलों में दस लोगों की मौत हो गई।
वन विभाग को गहन तलाशी अभियान चलाना पड़ा और तेंदुए को खत्म करने के लिए निजी शूटर की मदद भी लेनी पड़ी। एक तेंदुए को गोली मार दी गई और एक को ग्रामीणों ने पीट-पीटकर मार डाला।
अन्य महत्वपूर्ण घटनाओं में दौसा में बोरवेल में गिरने से पांच साल के बच्चे की मौत, मुख्यमंत्री के काफिले के सुरक्षा वाहन और टैक्सी कार के बीच टक्कर, जिसमें उसके चालक और एक सहायक पुलिस उपनिरीक्षक (एएसआई) की मौत हो गई।
विधायी मोर्चे पर भजनलाल सरकार ने "राजस्थान विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन प्रतिषेध विधेयक 2024" को मंजूरी दी।
विश्व प्रसिद्ध सूफी संत मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह नवंबर में तब चर्चा में आई थी, जब अजमेर की एक अदालत ने एक याचिका स्वीकार की, जिसमें दावा किया गया था कि यह दरगाह शिव मंदिर के ऊपर बनी है।
अदालत ने अजमेर दरगाह समिति, अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को नोटिस जारी किए थे।
मई-जून में लोकसभा चुनाव में मिली हार ने भाजपा में एक छोटी सी बगावत को जन्म दिया था। कैबिनेट मंत्री किरोड़ी लाल मीणा ने पार्टी और सरकार को शर्मसार कर दिया था। उन्होंने अपना इस्तीफा सौंप दिया, लेकिन मुख्यमंत्री ने इस्तीफा स्वीकार नहीं किया।
इस बीच, पार्टी ने प्रदेश अध्यक्ष और लोकसभा सांसद सीपी जोशी की जगह राज्यसभा सांसद मदन राठौर को नियुक्त किया, जिनके लिए नवंबर में होने वाले विधानसभा उपचुनाव अग्निपरीक्षा साबित होने वाले थे।
किरोड़ी लाल मीणा कथित पेपर लीक को लेकर 2021 की उपनिरीक्षक भर्ती परीक्षा को रद्द करने की मांग उठा रहे हैं। पार्टी ने नवंबर में होने वाले विधानसभा उपचुनाव में दौसा सीट से उनके भाई जगमोहन मीणा को मैदान में उतारकर उन्हें मनाने की कोशिश की, लेकिन वे चुनाव हार गए।
मीणा ने हार के लिए पार्टी के कुछ नेताओं को जिम्मेदार ठहराया। टोंक-उनियारा विधानसभा सीट पर उपचुनाव के दौरान निर्दलीय उम्मीदवार नरेश मीणा ने मतदाताओं को प्रभावित करने के आरोप में एक उपखंड अधिकारी (एसडीएम) को थप्पड़ मार दिया। इसके बाद वहां हिंसा और आगजनी की घटनाएं हुई।
अमरावता गांव में नरेश मीणा को बाद में गिरफ्तार कर लिया गया।
अन्य उल्लेखनीय राजनीतिक घटनाक्रमों में जाट नेता हनुमान बेनीवाल की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी को विधानसभा उपचुनावों में करारा झटका लगा और आदिवासी क्षेत्र में भारत आदिवासी पार्टी (बीएपी) एक शक्तिशाली क्षेत्रीय ताकत के रूप में उभरी।
बेनीवाल विधानसभा में आरएलपी के एकमात्र विधायक थे और जब वे इंडिया ब्लॉक के रूप में नागौर के सांसद चुने गए, तो उन्होंने अपनी पत्नी कनिका बेनीवाल को खींवसर सीट से उपचुनाव में उतारा। लेकिन वह भाजपा से चुनाव हार गईं।
200 सदस्यीय राजस्थान विधानसभा में अब उनकी पार्टी का कोई विधायक नहीं है।
कांग्रेस ने उपचुनाव में उनकी पार्टी के साथ गठबंधन नहीं किया। इसी समय, आदिवासी बहुल वागड़ क्षेत्र में भारत आदिवासी पार्टी का उदय हुआ, जिसके चार विधायक और एक सांसद राजकुमार रोत बांसवाड़ा-डूंगरपुर सीट से हैं। विधानसभा उपचुनावों में पार्टी ने चोरासी विधानसभा सीट बरकरार रखी, जो राजकुमार रोत के लोकसभा में चुने जाने के बाद खाली हुई थी।
राजस्थान के लोग जीवन के उतार-चढ़ाव से जूझ रहे हैं, लेकिन एक गंभीर मुद्दा 2024 में भी चर्चा का विषय रहा: कोटा में छात्रों की आत्महत्या। रिपोर्ट के अनुसार, शहर में मेडिकल और इंजीनियरिंग परीक्षाओं की तैयारी कर रहे सत्रह छात्रों ने इस साल आत्महत्या कर ली।
कोटा जिला कलेक्टर रविंद्र गोस्वामी ने पीटीआई- को बताया कि प्रशासन ने स्थिति से निपटने के लिए कई कदम उठाए हैं और 2023 से आत्महत्याओं की संख्या में 50 प्रतिशत की कमी आई है।
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