कोलकाता, 28 जून तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के दो नवनिर्वाचित विधायकों के शपथ ग्रहण को लेकर गतिरोध के बीच पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सी वी आनंद बोस के कार्यालय ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की उनके उस बयान के लिए आलोचना की जिसमें उन्होंने कहा था कि महिलाएं राजभवन जाने में कथित तौर पर असुरक्षित महसूस करती हैं। राजभवन ने कहा कि जनप्रतिनिधियों से यह अपेक्षा की जाती है कि वे ‘‘गलत धारणा’’ न बनाएं।
बारानगर की विधायक सायंतिका बंद्योपाध्याय और भागबंगोला के विधायक रयात हुसैन सरकार ने बोस के अनुरोध के अनुसार राजभवन में शपथ लेने से इनकार कर दिया, इसके बजाय वे विधानसभा में शपथ ग्रहण पर जोर देते हुए बृहस्पतिवार से धरना दे रहे हैं।
राजभवन ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘जनप्रतिनिधियों से यह अपेक्षा की जाती है कि वे संविधान का सम्मान करें तथा ऐसी गलत धारणाएं बनाने से बचें, जिससे राज्यपाल पर आक्षेप लग सकता है।’’
मुख्यमंत्री बनर्जी ने बृहस्पतिवार को आरोप लगाया था कि बोस को शपथ ग्रहण प्रक्रिया में बाधा डालने का कोई अधिकार नहीं है। मुख्यमंत्री ने कहा था कि उन्हें महिलाओं की ओर से शिकायतें मिली हैं, जो राजभवन में कुछ गतिविधियों की खबरों के बाद वहां जाने में असुरक्षित महसूस कर रही हैं।
मई में राजभवन की एक महिला कर्मचारी की शिकायत पर राजनीतिक तूफान खड़ा हो गया था, जिसमें उसने राज्यपाल पर ‘‘छेड़छाड़’’ करने का आरोप लगाया था। हालांकि बोस ने आरोपों को ‘‘निराधार’’ बताते हुए खारिज कर दिया था।
राज्यपाल कार्यालय ने स्पष्ट किया कि नवनिर्वाचित विधायकों ने शुरू में व्यक्तिगत प्राथमिकताओं के कारण विधानसभा में शपथ के लिए अनुरोध किया था, लेकिन राजभवन के बारे में कोई विशेष सुरक्षा चिंता नहीं जताई थी।
पोस्ट में कहा गया है, ‘‘नवनिर्वाचित विधायकों ने अपनी निजी प्राथमिकताओं के कारण राज्यपाल से विधानसभा में शपथ कराने पर विचार करने का अनुरोध किया था और उन्होंने राजभवन आने के बारे में कभी कोई आशंका व्यक्त नहीं की।’’
जब विधायकों ने बुधवार को राजभवन में शपथ लेने के राज्यपाल के निमंत्रण को अस्वीकार कर दिया, तो बोस उसी शाम दिल्ली के लिए रवाना हो गए।
मुख्यमंत्री ने कहा था कि बंद्योपाध्याय और हुसैन सरकार एक महीने पहले निर्वाचित होने के बावजूद शपथ लेने में असमर्थ हैं, और राज्यपाल पर उन्हें ऐसा करने से रोकने का आरोप लगाया।
हालांकि, राजभवन के पोस्ट में कहा गया है कि राज्यपाल ने सभी मुद्दों का तत्परता और संवैधानिक व्यवस्था के अनुरूप निपटारा किया है, जैसा कि इस मामले में भी हुआ। पोस्ट में कहा गया, ‘‘राज्यपाल की अनुचित रूप से आलोचना करने वाली प्रतिक्रिया की उम्मीद कम से कम एक अनुभवी जनप्रतिनिधि से नहीं होती है।’’
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)
मुख्यमंत्री बनर्जी ने बृहस्पतिवार को आरोप लगाया था कि बोस को शपथ ग्रहण प्रक्रिया में बाधा डालने का कोई अधिकार नहीं है। मुख्यमंत्री ने कहा था कि उन्हें महिलाओं की ओर से शिकायतें मिली हैं, जो राजभवन में कुछ गतिविधियों की खबरों के बाद वहां जाने में असुरक्षित महसूस कर रही हैं।
मई में राजभवन की एक महिला कर्मचारी की शिकायत पर राजनीतिक तूफान खड़ा हो गया था, जिसमें उसने राज्यपाल पर ‘‘छेड़छाड़’’ करने का आरोप लगाया था। हालांकि बोस ने आरोपों को ‘‘निराधार’’ बताते हुए खारिज कर दिया था।
राज्यपाल कार्यालय ने स्पष्ट किया कि नवनिर्वाचित विधायकों ने शुरू में व्यक्तिगत प्राथमिकताओं के कारण विधानसभा में शपथ के लिए अनुरोध किया था, लेकिन राजभवन के बारे में कोई विशेष सुरक्षा चिंता नहीं जताई थी।
पोस्ट में कहा गया है, ‘‘नवनिर्वाचित विधायकों ने अपनी निजी प्राथमिकताओं के कारण राज्यपाल से विधानसभा में शपथ कराने पर विचार करने का अनुरोध किया था और उन्होंने राजभवन आने के बारे में कभी कोई आशंका व्यक्त नहीं की।’’
जब विधायकों ने बुधवार को राजभवन में शपथ लेने के राज्यपाल के निमंत्रण को अस्वीकार कर दिया, तो बोस उसी शाम दिल्ली के लिए रवाना हो गए।
मुख्यमंत्री ने कहा था कि बंद्योपाध्याय और हुसैन सरकार एक महीने पहले निर्वाचित होने के बावजूद शपथ लेने में असमर्थ हैं, और राज्यपाल पर उन्हें ऐसा करने से रोकने का आरोप लगाया।
हालांकि, राजभवन के पोस्ट में कहा गया है कि राज्यपाल ने सभी मुद्दों का तत्परता और संवैधानिक व्यवस्था के अनुरूप निपटारा किया है, जैसा कि इस मामले में भी हुआ। पोस्ट में कहा गया, ‘‘राज्यपाल की अनुचित रूप से आलोचना करने वाली प्रतिक्रिया की उम्मीद कम से कम एक अनुभवी जनप्रतिनिधि से नहीं होती है।’’
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