नयी दिल्ली, 31 अगस्त भारत में अगस्त में सामान्य से लगभग 16 प्रतिशत अधिक वर्षा दर्ज की गई। वहीं, उत्तर-पश्चिम भारत में 253.9 मिमी बारिश दर्ज की गई, जो 2001 के बाद से अगस्त में दूसरी सबसे अधिक बारिश है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने शनिवार को यह जानकारी दी।
आईएमडी के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने डिजिटल माध्यम से संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि देश में अगस्त में 287.1 मिमी बारिश दर्ज की गई, जबकि सामान्य तौर पर 248.1 मिमी बारिश होती है।
कुल मिलाकर, एक जून को मानसून की शुरुआत के बाद से भारत में अब तक 749 मिमी वर्षा हुई है, जबकि इस अवधि में सामान्य तौर पर 701 मिमी बारिश होती है।
आईएमडी प्रमुख ने कहा कि हिमालय के तराई क्षेत्रों और पूर्वोत्तर के कई जिलों में सामान्य से कम वर्षा हुई, क्योंकि अधिकांश निम्न दबाव प्रणालियां अपनी सामान्य स्थिति से दक्षिण की ओर चली गईं और मानसून का प्रवाह भी दक्षिण में बना रहा। उन्होंने कहा कि केरल और महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र सहित पूर्वोत्तर के कई राज्यों में कम वर्षा हुई है।
आईएमडी प्रमुख ने कहा कि अगस्त में कम दबाव वाली छह प्रणाली बनी, जिनमें से दो गहरे दबाब में बदल गई। इस अगस्त में कम दबाव वाली प्रणाली के 17 दिन थे, जबकि सामान्य तौर पर 16.3 दिन होते हैं।
दस अगस्त से 22 अगस्त तक मानसून की दिशा अपनी सामान्य स्थिति पर बनी रही, जिसके परिणामस्वरूप उत्तरी और मध्य भारत, पूर्वी भारत के कुछ हिस्सों और सुदूर दक्षिणी प्रायद्वीप, विशेष रूप से तमिलनाडु में अच्छी बारिश हुई। 23 अगस्त से 31 अगस्त तक यह दिशा बदलकर सामान्य स्थिति से दक्षिण की ओर हो गई, जिसके कारण भारत के मध्य और पश्चिमी भागों में बहुत भारी बारिश हुई।
महापात्र ने कहा कि इस वर्ष अगस्त में मानसून में रुकावट नहीं देखी गई, जबकि महीने के दौरान वर्षा में रुकावट वाले दिनों की प्रवृत्ति बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि ‘मैडेन-जूलियन ऑसिलेशन’ (एमजेओ) महीने के दूसरे भाग में बहुत सक्रिय था, जिसके कारण भारतीय क्षेत्र में अच्छी वर्षा हुई।
एमजेओ बड़े पैमाने पर होने वाला वायुमंडलीय विक्षोभ है जो उष्णकटिबंधीय अफ्रीका में उत्पन्न होता है और पूर्व की ओर बढ़ता है। इसकी अवधि आमतौर पर 30 से 60 दिनों की होती है।
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