सूरत/नयी दिल्ली, 20 अप्रैल कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को ‘मोदी उपनाम’ वाले बयान से जुड़े आपराधिक मानहानि के मामले में दोषसिद्धि को लेकर बृहस्पतिवार को उस समय कोई राहत नहीं मिली जब सूरत की अदालत ने उनकी याचिका खारिज कर दी।
राहुल गांधी ने निचली अदालत द्वारा उन्हें दोषी ठहराने के फैसले पर रोक लगाने का अनुरोध करते हुए याचिका दायर की थी।
कांग्रेस ने इस फैसले को कानूनी रूप से गलत बताया और कहा कि वह निकट भविष्य में इसे गुजरात उच्च न्यायालय में चुनौती देगी।
दूसरी तरफ, भारतीय जनता पार्टी ने सूरत की सत्र अदालत के फैसले को न्यायपालिका व लोगों की 'जीत' और ‘गांधी परिवार के अहंकार पर तमाचा’ करार दिया।
सूरत की सत्र अदालत के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश आर. पी. मोगेरा ने दोषसिद्धि के खिलाफ दायर कांग्रेस नेता की अर्जी आज खारिज कर दी। अगर 52 वर्षीय गांधी की दोषसिद्धि पर रोक संबंधी अर्जी मंजूर हो जाती तो उनकी लोकसभा सदस्यता बहाल होने का रास्ता साफ हो सकता था।
राहुल गांधी के वकील किरीट पानवाला ने कहा कि सत्र अदालत के आदेश को गुजरात उच्च न्यायालय में चुनौती दी जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि सत्र अदालत ने निचली अदालत के 23 मार्च के फैसले के खिलाफ अपील की सुनवाई के लिए 20 मई की तारीख तय की है।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने निचली अदालत के आदेश के खिलाफ तीन अप्रैल को सत्र अदालत का रुख किया था। उनके वकील ने गांधी को दो साल की सजा के निचली अदालत के फैसले के खिलाफ दायर मुख्य अपील के साथ दो अर्जियां भी दायर की थीं, जिनमें एक अर्जी जमानत के लिए थी, जबकि दूसरी अर्जी मुख्य अपील के निस्तारण तक दोषसिद्धि पर रोक के लिए थी।
गांधी की अर्जी खारिज करते हुए अदालत ने कहा कि उनके वकील यह प्रदर्शित करने में विफल रहे कि यदि उन्हें (गांधी को) दोषसिद्धि पर रोक न लगने के कारण जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 8(3) के तहत चुनाव लड़ने के अवसर से वंचित किया जाता है, तो उन्हें ऐसा नुकसान होगा जिसकी भरपाई संभव नहीं होगी।
राहुल गांधी 2019 के लोकसभा चुनाव में केरल के वायनाड से सांसद बने थे।
गत 23 मार्च को सूरत की एक अदालत ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक पूर्णेश मोदी द्वारा दायर आपराधिक मानहानि के मामले में राहुल गांधी को दोषी करार दिया था और दो साल के कारावास की सजा सुनाई थी, जिसके एक दिन बाद उन्हें लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य करार दे दिया गया था।
सत्र अदालत ने राहुल को जमानत देते हुए शिकायतकर्ता पूर्णेश मोदी और राज्य सरकार को नोटिस जारी किये थे। उसने पिछले बृहस्पतिवार, 13 अप्रैल को दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद दोषसिद्धि पर रोक के संबंध में गांधी की अर्जी पर फैसला सुरक्षित रख लिया था। सत्र अदालत ने आज (बृहस्पतिवार को) गांधी की अर्जी खारिज कर दी।
निचली अदालत ने कांग्रेस नेता को कर्नाटक के कोलार में 2019 में एक चुनावी रैली में की गई उनकी टिप्पणी ‘‘सभी चोरों का मोदी उपनाम कैसे हो सकता है’’ के लिए दोषी ठहराते हुए दो साल कैद की सजा सुनाई थी।
गांधी के वकील पानवाला ने कहा कि कांग्रेस नेता अदालत के तीन अप्रैल के आदेश के अनुसार अपनी मुख्य अपील के निस्तारण तक जमानत पर बाहर रहेंगे।
पूर्णेश मोदी के वकील हर्षिल टोलिया ने कहा कि अदालत ने गांधी की याचिका खारिज करने से पहले सभी पहलुओं पर विचार किया।
टोलिया ने कहा, ‘‘अदालत ने अपना आदेश देते समय सभी कानूनी और तथ्यात्मक बिंदुओं पर विचार किया है। इसने दोनों पक्षों की दलीलों पर विचार किया और कहा कि मोदी समुदाय के सदस्य पूर्णेश मोदी (कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष) गांधी के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मामला दायर करने के लिए सक्षम हैं।’’
कांग्रेस ने कहा कि वह निकट भविष्य में गुजरात उच्च न्यायालय में चुनौती देने समेत सभी उपलब्ध कानूनी विकल्पों का उपयोग करेगी।
मुख्य विपक्षी दल ने यह भी कहा कि राहुल गांधी झुकने वाले नहीं हैं और जनहित में अपनी आवाज उठाते रहेंगे।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ट्वीट किया, "कानून के तहत जो भी विकल्प हमारे लिए उपलब्ध होंगे, हम उन सभी विकल्पों का लाभ उठाना जारी रखेंगे।"
पार्टी प्रवक्ता और वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि दोषसिद्धि को निलंबित नहीं किया गया है। कानून के मूलभूत आधार के हिसाब से यह निर्णय गलत है। निचली अदालत के एक गलत निर्णय पर जोर दिया गया है, वो बात भी गलत है। उच्च न्यायालय का रुख करने समेत हमारे पास जितने भी विकल्प है उनका हम निकट भविष्य में उपयोग करेंगे।’’
वहीं दूसरी ओर भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘अदालत का फैसला गांधी परिवार, खासकर राहुल गांधी के अहंकार पर करारा प्रहार है।’’
उन्होंने नयी दिल्ली में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि अदालत का फैसला यह भी साबित करता है कि कानून सभी के लिए बराबर है और वह किसी भी प्रकार के दवाब के आगे झुकता नहीं है।
पात्रा ने कहा, ‘‘आज के फैसले से एक बात स्पष्ट है कि इस देश में संविधान का राज है, परिवार का राज नहीं है। और किसी भी परिवार के लिए अलग कानून नहीं हो सकता।’’
पात्रा ने कहा, ‘‘यह भारत के आम लोगों और पिछड़े वर्गों की जीत है। यह न्यायपालिका की भी एक बड़ी जीत है।’’
राहुल गांधी की दोषसिद्धि पर सवाल उठाने के लिए कांग्रेस की आलोचना करते हुए पात्रा ने कहा, ‘‘न्यायपालिका ने आज कहा कि आप चाहे कितनी भी दबाव की राजनीति करें, हम झुकेंगे नहीं।’’
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)