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मुंबई, 10 जुलाई महाराष्ट्र सरकार ने शुक्रवार को बम्बई उच्च न्यायालय को सूचित किया कि कोविड-19 महामारी के बीच सोशल मीडिया पर असत्य या गलत सूचना फैलाने के खिलाफ निषेधाज्ञा की अवधि समाप्त हो गई है और इसका कोई विस्तार नहीं किया गया है।
महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकोनी ने न्यायमूर्ति ए ए सैयद और न्यायमूर्ति एम एस कार्णिक की खंडपीठ को बताया कि पुलिस उपायुक्त (अभियान) द्वारा 23 मई की तिथि वाला आदेश सीआरपीसी की धारा 144 के तहत पारित किया गया था, जो केवल आठ जून तक प्रभावी था।
कुंभकोनी ने कहा, ‘‘उसे आठ जून के बाद बढ़ाया नहीं गया है और वर्तमान में इसमें कोई निषेधाज्ञा नहीं है।’’
अदालत निषेधाज्ञा की वैधता को चुनौती देने वाली दो जनहित याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी।
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आदेश के अनुसार, सोशल मीडिया पर गलत या झूठी जानकारी फैलाने वाले किसी भी व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है।
आदेश में आगे कहा गया था कि जो व्यक्ति किसी भी सोशल मीडिया ग्रुप के व्यवस्थापक हैं, उन्हें ग्रुप में प्रसारित किसी भी गलत या झूठे संदेश के प्रसार के लिए व्यक्तिगत रूप से उत्तरदायी ठहराया जाएगा।
सरकार की दलील स्वीकार करने के बाद, पीठ ने यह कहते हुए याचिकाओं का निस्तारण कर दिया कि चूंकि निषेधाज्ञा का अस्तित्व समाप्त हो गया है, याचिका का कोई मतलब नहीं है।
अधिवक्ता शेषनाथ मिश्रा और पत्रकार एवं सह-संस्थापक, गैर सरकारी संस्था ‘फ्री स्पीच कलेक्टिव’ गीता सेशु द्वारा दायर याचिकाओं में कहा गया था कि यह आदेश भारत के संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (ए) के तहत नागरिकों को मिले अधिकारों का उल्लंघन करता है।
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