देश की खबरें | प्रधानमंत्री का भ्रष्टाचार, परिवारवाद के खिलाफ निर्णायक लड़ाई और ‘पंच प्रण’ के संकल्प का आह्वान

नयी दिल्ली, 15 अगस्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को कहा कि आज जब देश ‘‘अमृत काल’’ में प्रवेश कर रहा है तो भ्रष्टाचार और परिवारवाद के खिलाफ लड़ाई को निर्णायक मोड़ पर ले जाना उनकी संवैधानिक और लोकतांत्रिक जिम्मेदारी है।

उन्होंने कहा कि जब तक भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारी के प्रति नफरत का भाव पैदा नहीं होता, सामाजिक रूप से उसे नीचा देखने के लिए मजबूर नहीं किया जाता, तब तक यह मानसिकता खत्म नहीं होने वाली है।

इसके साथ ही उन्होंने इस कालखंड में विकसित भारत, गुलामी की हर सोच से मुक्ति, विरासत पर गर्व, एकता और एकजुटता व नागरिकों द्वारा अपने कर्तव्य पालन के ‘‘पंच प्रण’’ का आह्वान भी किया।

76वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र को संबोधित करते हुए उन्होंने विश्व भर में फैले भारत प्रेमियों और भारतीयों को बधाई दी और कहा कि आज का दिन ना सिर्फ ऐतिहासिक है बल्कि यह एक पुण्य पड़ाव, एक नयी राह, एक नए संकल्प और नए सामर्थ्य के साथ कदम बढ़ाने का शुभ अवसर भी है।

पारंपरिक कुर्ता और चूड़ीदार पायजामे के ऊपर नीले रंग का जैकेट तथा तिरंगे की धारियों वाला सफेद रंग का साफा पहने मोदी ने बतौर प्रधानमंत्री लगातार नौवीं बार स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य पर लाल किले पर राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा फहराया।

इसके बाद अपने संबोधन में उन्होंने कहा, ‘‘आज जब हम अमृत काल में प्रवेश कर रहे हैं, अगले 25 वर्ष हमारे देश के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।’’

भ्रष्टाचार और परिवारवाद को दो बड़ी चुनौतियां और विकृतियां करार देते हुए मोदी ने कहा कि अगर समय रहते इनका समाधान नहीं किया गया तो यह विकराल रूप ले सकती हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘भारत जैसे लोकतंत्र में जहां लोग गरीबी से जूझ रहे हैं, तब यह दृश्य देखने को मिलते हैं कि एक तरफ वह लोग हैं जिनके पास रहने के लिए जगह नहीं है... दूसरी तरफ वह लोग हैं, जिनके पास अपना चोरी किया हुआ माल रखने के लिए जगह नहीं है... यह स्थिति अच्छी नहीं है। इसलिए हमें भ्रष्टाचार के खिलाफ पूरी ताकत से लड़ना है।’’

उन्होंने कहा कि जो लोग पिछली सरकारों में बैंकों को लूट-लूट करके भाग गए, उनकी संपत्तियां जब्त करके वापस लाने की कोशिश जारी है।

मोदी ने कहा, ‘‘कई लोगों को जेलों में जीने के लिए मजबूर करके रखा हुआ है... हमारी कोशिश है कि जिन्होंने देश को लूटा है, उनको लौटना पड़े... वह स्थिति हम पैदा करेंगे।’’

उन्होंने कहा, ‘‘वे अब बच नहीं पाएंगे...इस मिजाज के साथ भ्रष्टाचार के खिलाफ एक निर्णायक कालखंड में हिंदुस्तान कदम रख रहा है। भ्रष्टाचार दीमक की तरह देश को खोखला कर रहा है...इसके खिलाफ लड़ाई तेज करनी है व इसे निर्णायक मोड़ पर लेकर जाना ही है।’’

उन्होंने इस लड़ाई में देशवासियों का सहयोग मांगा और कहा कि आज देश में भ्रष्टाचार के प्रति नफरत दिखती है और वह व्यक्त भी होती है लेकिन कभी-कभी भ्रष्टाचारियों के प्रति उदारता भी दिखाई जाती है जो शोभा नहीं देता है।

उन्होंने कहा, ‘‘कई लोग तो इस हद तक चले जाते हैं कि अदालत में सजा हो चुकी हो... भ्रष्टाचार सिद्ध हो चुका हो... जेल जाना तय हो चुका हो... जेल गुजार रहे हों... इसके बावजूद उनका महिमामंडन करने में लगे रहते हैं, उनकी शान शौकत में लगे रहते हैं, उनकी प्रतिष्ठा बनाने में लगे रहते हैं।’’

उन्होंने कहा कि जब तक समाज में गंदगी के प्रति नफरत नहीं होती है, स्वच्छता के प्रति चेतना भी नहीं जागती है।

उन्होंने कहा, ‘‘जब तक भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारी के प्रति नफरत का भाव पैदा नहीं होता, सामाजिक रूप से उसे नीचा देखने के लिए मजबूर नहीं किया जाता, तब तक यह मानसिकता खत्म नहीं होने वाली है। इसलिए भ्रष्टाचार के प्रति भी और भ्रष्टाचारियों के प्रति भी हमें बहुत जागरूक होने की जरूरत है।’’

भाई-भतीजावाद और परिवारवाद के खिलाफ हल्ला बोलते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि दुर्भाग्य से राजनीति के क्षेत्र की इस बुराई ने हिंदुस्तान की हर संस्था में परिवारवाद को पोषित कर दिया है।

उन्होंने कहा कि राजनीति में परिवारवाद, परिवार की भलाई के लिए होता है और उसे देश की भलाई से कोई लेना देना नहीं होता।

मोदी ने आह्वान किया, ‘‘हिंदुस्तान की राजनीति के शुद्धिकरण के लिए भी और सभी संस्थाओं के शुद्धिकरण के लिए भी... इस परिवारवादी मानसिकता से मुक्ति दिलानी होगी। योग्यता के आधार पर देश को आगे ले जाने की ओर हमें बढ़ना होगा। यह अनिवार्यता है।’’

प्रधानमंत्री ने अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं में भारतीय खिलाड़ियों के प्रदर्शन का उल्लेख करते हुए इसे चयन में पारदर्शिता लाने और भाई-भतीजावाद खत्म होने का असर बताया।

उन्होंने कहा कि इसी का नतीजा है कि दुनिया के खेल के मैदानों में तिरंगा लहरा रहा है और राष्ट्रगान गाया जा रहा है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अगले 25 साल की यात्रा को देश के लिए ‘‘अत्यंत महत्वपूर्ण’’ करार दिया और ‘‘अमृत काल’’ में विकसित भारत, गुलामी की हर सोच से मुक्ति, विरासत पर गर्व, एकता और एकजुटता व नागरिकों द्वारा अपने कर्तव्य पालन के ‘‘पंच प्रण’’ का आह्वान किया।

उन्होंने कहा, ‘‘हमें पंच प्रण को लेकर 2047 तक चलना है। जब आजादी के 100 साल होंगे, आजादी के दीवानों के सारे सपने पूरा करने का जिम्मा उठा करके चलना है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘आज जब अमृत काल की पहली प्रभात है, हमें इस 25 साल में विकसित भारत बना कर ही रहना है। अपनी आंखों के सामने इसे कर के दिखाना है।’’

भारत 15 अगस्त, 1947 में आजाद हुआ था और उसने 2022 में आजाद देश के रूप में 75 साल की यात्रा पूरी कर ली है। सरकार की ओर से अगले 25 साल के कालखंड को ‘‘अमृत काल’’ का नाम दिया गया है।

ब्रजेन्द्र

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