बहराइच (उप्र), 29 जुलाई : भू स्वामी किसानों की मौत के बाद उनके वारिसों को अविलंब खतौनी (एक परिवार द्वारा भूमि जोत का विवरण) दिलाने के लिए बहराइच जिले के ‘‘फास्ट ट्रैक वरासत मॉडल’’ को पूरे उत्तर प्रदेश में लागू करने की योजना है. अधिकारिक स्तर पर शुक्रवार को यह जानकारी दी गई. अब तक किसी व्यक्ति की मृत्यु होने पर संपत्ति के वारिस को खतौनी पर अपना नाम दर्ज कराने में बड़ी मशक्कत करनी पड़ती थी. इस कारण कोई विवाद नहीं होने के बावजूद किसानों को लंबे समय तक अपनी जमीन का स्वामित्व नहीं मिल पाता, इससे विभिन्न योजनाओं में उन्हें लाभ नहीं मिल पाता. बहराइच के जिलाधिकारी (डीएम) डॉ. दिनेश चन्द्र सिंह ने एक अभिनव प्रयोग किया है जिसके तहत वरासत प्रकरणों में ऑनलाइन आवेदन के कुछ ही घंटों में मृतक के वारिस का नाम खतौनी पर दर्ज हो जाता है.
जिला सूचना कार्यालय से शुक्रवार को मिली अधिकारिक जानकारी के अनुसार, बुधवार शाम मुख्य सचिव दुर्गाशंकर मिश्रा की अध्यक्षता में प्रदेश भर के मंडलायुक्तों एवं जिलाधिकारियों की डिजिटल माध्यम से हुई समीक्षा बैठक में बहराइच के जिलाधिकारी दिनेश चंद्र सिंह ने अपना ‘‘फास्ट ट्रैक वरासत मॉडल’’ प्रस्तुत किया था.डीएम ने बताया कि पांच जुलाई 2021 से 27 जुलाई 2022 तक 13 माह 22 दिवस की अवधि में संचालित ‘‘निर्विवादित वरासत विशेष अभियान’’ के दौरान ऑनलाइन प्राप्त हुए 35,394 आवेदनों में से अविवादित 31,513 आवेदन पत्रों में दिवंगत कृषकों के उत्तराधिकारियों के नाम खतौनी में दर्ज कराकर उन्हें खतौनी उपलब्ध करा दी गयी है. शेष अभियान के तहत तमाम मामले ऑनलाइन आवेदन के 24 घंटे के अंदर और कुछ के मामले एक सप्ताह में निस्तारित किए गये हैं. इससे पूर्व के 32 महीनों में ऑनलाइन मिले मात्र 15,698 आवेदनों में से 12,379 अविवादित दिवंगत कृषकों के उत्तराधिकारियों के नाम ही खतौनी आदेश में दर्ज कराए जा सके थे. यह भी पढ़ें : महाराष्ट्र के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में ‘गीला सूखा’ घोषित करें: अजित पवार
सूचना कार्यालय के अनुसार, मुख्य सचिव दुर्गाशंकर मिश्रा ने बैठक में डीएम बहराइच के इस कार्य की प्रशंसा की और प्रदेश के अन्य जिलाधिकारियों को बहराइच मॉडल से प्रेरणा लेते हुए विशेष वरासत अभियान को अपने-अपने जिलों में भी लागू करने के निर्देश दिए. ‘‘फास्ट ट्रैक वरासत मॉडल’’ के संबंध में जिलाधिकारी डॉ. दिनेश चंद्र सिंह ने शुक्रवार को ‘पीटीआई ’ को बताया, ‘‘किसान द्वारा ऑनलाइन आवेदन मिलते ही लेखपाल तत्काल उसकी जांच करते हैं. 24 घंटे में रिपोर्ट मंगाकर वरासत को अभिलेखों में दर्ज किया जाता है. तमाम मामले कुछ घंटों में, कुछ एक दो दिन में तथा कुछ मामले अधिकतम एक सप्ताह में निस्तारित हो रहे हैं.’’