सुबिआंतो पर पूर्व तानाशाही शासन में उत्पीड़न करने के आरोप लगे थे. उन्होंने मौजूदा राष्ट्रपति के बेटे को अपना उपराष्ट्रपति बनाया है. निर्वाचन आयोग ने बुधवार को आधिकारिक रूप से मतगणना संपन्न होने के बाद कहा कि सुबिआंतो को 58.6 प्रतिशत वोट मिले, जबकि जकार्ता के पूर्व गवर्नर अनीस बासवेदन को 24.9 प्रतिशत और सेंट्रल जावा के पूर्व गवर्नर गंजर प्रणोवो को 16.5 फीसदी वोट मिले. सुबिआंतो ने कहा कि वह उनका भी सम्मान करेंगे जिन्होंने उन्हें वोट नहीं दिया है. उन्होंने एक प्रेस वार्ता में कहा, “ हम सभी इंडोनेशियाई लोगों से एक साथ भविष्य की ओर देखने का आह्वान करते हैं. हमें एकजुट होना चाहिए क्योंकि एक राष्ट्र के रूप में हमारी चुनौतियां बहुत बड़ी हैं.” सुबिआंतो को दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के साथ-साथ चीन, रूस, फ्रांस, नीदरलैंड और ब्रिटिश सरकारों से भी बधाई संदेश मिले हैं और सभी ने उनके नेतृत्व में बनने वाली अगली सरकार के साथ काम करने की इच्छा जताई है.
अमेरिकी विदेश मंत्री एंटोनी जे. ब्लिंकन ने सुबिआंतो की जीत की पुष्टि होने के बाद कहा, “ हम अक्टूबर में नवनिर्वाचित राष्ट्रपति सुबिआंतो और उनके प्रशासन के कार्यभार संभालने पर उनके साथ निकटता से साझेदारी करने की उम्मीद करते हैं.” करीब 300 प्रदर्शनकारियों ने बैनर लेकर प्रदर्शन किया और सुबिआंतो का समर्थन करने और चुनाव में कथित व्यापक धांधली को लेकर निवर्तमान राष्ट्रपति जोको विडोडो की आलोचना की. उन्होंने चुनाव आयोग के परिसर के पास राष्ट्रपति की तस्वीरें जलाईं. इंडोनेशिया में, चुनावी विवादों को आधिकारिक परिणामों की घोषणा के बाद तीन दिन के दौरान न्यायालय में चुनौती दी जा सकती है. दो अन्य उम्मीदवारों ने चुनाव प्रक्रिया में धोखाधड़ी और अनियमितताओं का आरोप लगाया है. यह भी पढ़ें : इंडोनेशिया के तट पर पलट गई नौका से रोहिंग्या मुस्लिम शरणार्थियों को बचाने का अभियान शुरू
बृहस्पतिवार सुबह बासवेदन के वकील ने संवैधानिक न्यायालय में परिणामों को चुनौती दी. प्रणोवो की भी चुनावी नतीजों को अदालत में चुनौती देने की योजना है. निवर्तमान राष्ट्रपति विडोडो अपना दूसरा कार्यकाल पूरा कर रहे हैं और दोबारा चुनाव नहीं लड़ सकते. विडोडो के बेटे गिबरान राकाबुमिंग उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार थे.
बासवेदन और प्रणोवो ने विडोडो के बेटे की उपराष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी का हवाला देते हुए धोखाधड़ी का आरोप लगाया है. राकाबुमिंग 37 साल के हैं और उपराष्ट्रपति बन गए हैं, क्योंकि संवैधानिक अदालत ने उपराष्ट्रपति पद के लिए 40 साल की न्यूनतम उम्र में छूट दे दी है. अदालत के प्रधान न्यायाधीश अनवर उस्मान विडोडो के करीबी रिश्तेदार हैं और उन्हें चुनाव में उम्मीदवारी शर्तों में आखिरी मिनट में बदलाव करने और मामले से खुद को अलग नहीं करने के लिए एक जातीय समिति ने पद से हटा दिया है. विडोडो की सरकार में रक्षा मंत्री सुबिआंतो ने चुनाव के दिन जीत का दावा किया था. अपुष्ट आंकड़ों से पता चला था कि वह लगभग 60 प्रतिशत वोट हासिल कर रहे हैं. नए राष्ट्रपति 20 अक्टूबर को अपना कार्यभार संभालेंगे और उन्हें दो सप्ताह के भीतर मंत्रिमंडल नियुक्त करना होगा.