बेंगलुरु, 11 सितंबर कर्नाटक उच्च न्यायालय ने राज्य पुलिस को उस महिला का पता लगाने का निर्देश दिया जिसने पिछले एक दशक में नौ अलग-अलग शिकायतें दर्ज कराई हैं। इनमें विभिन्न व्यक्तियों पर यौन उत्पीड़न, आपराधिक धमकी और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 498 ए सहित अन्य प्रावधानों के तहत आरोप शामिल हैं।
भारतीय दंड संहिता की धारा 498 ए के अंतर्गत महिला अपने पति या पति के रिश्तेदार द्वारा क्रूरता की शिकायत दर्ज करा सकती है।
न्यायमूर्ति एम. नागप्रसन्ना की एकल पीठ ने फैसले में कहा कि पुलिस थानों को महिला की शिकायतों का रिकार्ड रखना चाहिए तथा जब वह अतिरिक्त शिकायतें दर्ज कराने का प्रयास करे तो सावधानी बरतनी चाहिए।
अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि कोई भी नयी शिकायत दर्ज करने से पहले प्रारंभिक जांच अवश्य करनी चाहिए ताकि बार-बार और झूठे मामले दर्ज कराने से रोका जा सके।
न्यायाधीश ने रेखांकित किया, ‘‘यह निर्दोष लोगों के खिलाफ अपराधों के अंधाधुंध पंजीकरण को रोकने के लिए है। हमने ऐसे दस मामले देखे हैं, और यह ग्यारहवें मामले को रोकने के लिए है।’’
अदालत ने यह फैसला महिला के पति और ससुराल वालों द्वारा दायर याचिका को स्वीकार करते हुए दिया, जिसमें महिला द्वारा उनके खिलाफ आईपीसी की विभिन्न धाराओं में दर्ज कराई गई शिकायतों को रद्द करने का अनुरोध किया गया था।
धीरज अविनाश
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