नयी दिल्ली, 25 अक्टूबर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कहा कि सरहदों पर देश की सुरक्षा में तैनात बहादुर जवानों के साथ देश पूरी तरह खड़ा है। उन्होंने देशवासियों का आह्वान किया कि पर्व और त्योहारों की खुशियां मनाते समय बहादुर सैनिकों के सम्मान में वे अपने-अपने घरों में एक दीया जरूर जलायें।
अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘‘मन की बात’’ में मोदी ने सरदार पटेल को याद करते हुए देश में एकता की पुरजोर वकालत की और साथ ही देशवासियों से त्योहारों के मौसम में बाजार से खरीदारी करते समय स्थानीय उत्पादों को प्राथमिकता देने का आह्वान किया।
मोदी ने कहा, ‘‘एकता में शक्ति है, एकता में मजबूती है, एकता में विकास है, एकता में सशक्तिकरण है। एकजुट होकर हम नयी ऊंचाइयों को हासिल कर सकते हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘वैसे, ऐसी ताकतें भी मौजूद रही हैं जो निरंतर हमारे मन में संदेह का बीज बोने की कोशिश करते रहते हैं, देश को बांटने का प्रयास करते हैं। देश ने भी हर बार, इन बद-इरादों का मुंहतोड़ जवाब दिया है।’’
उन्होंने कहा कि देश को निरंतर अपनी रचनात्मकता से, प्रेम से, हर पल प्रयासपूर्वक अपने छोटे से छोटे कामों में, ‘‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’’ के खूबसूरत रंगों को सामने लाना है, एकता के नए रंग भरने हैं और हर नागरिक को भरने हैं।
प्रधानमंत्री ने बताया कि 31 अक्तूबर को वह केवडि़या में ऐतिहासिक ‘‘स्टैच्यु ऑफ यूनिटी’’ के आसपास कई कार्यक्रमों में भाग लेंगे। इसी दिन वाल्मिकी जयंती भी मनाई जाएगी। मोदी ने महर्षि वाल्मिकी को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि उन्होंने लाखों वंचितों और दलितों के दिलों में आशा की ज्योत दिखाई। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को भी याद किया।
विजयादशमी को संकटों पर धैर्य की जीत का पर्व बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि कोरोना के संकट काल में सभी बहुत संयम के साथ जी रहे हैं और मर्यादा में रहकर पर्व व त्योहार मना रहे हैं इसलिए इस लड़ाई में जीत भी सुनिश्चित है।
उन्होंने कहा, ‘‘जब त्योहार की बात करते हैं, तैयारी करते हैं, तो सबसे पहले मन में यही आता है, कि बाजार कब जाना है? क्या-क्या खरीदारी करनी है? कोरोना के इस संकट काल में, हमें संयम से ही काम लेना है, मर्यादा में ही रहना है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘त्योहारों की ये उमंग और बाजार की चमक, एक-दूसरे से जुड़ी हुई है। लेकिन इस बार जब आप खरीदारी करने जायें तो ‘वोकल फॉर लोकल’ का अपना संकल्प अवश्य याद रखें। बाजार से सामान खरीदते समय, हमें स्थानीय उत्पादों को प्राथमिकता देनी है।’’
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज जब देश ‘‘लोकल के लिए वोकल’’ हो रहा है तो दुनिया भी भारतीय स्थानीय उत्पादों के प्रति आकर्षित हो रही है।
उन्होंने कहा कि देश के कई स्थानीय उत्पादों में वैश्विक होने की बहुत बड़ी शक्ति है और उनमें एक है खादी। कोरोना के समय में खादी के मास्क भी बहुत प्रचलित हो रहे हैं और देशभर में कई जगह स्व सहायता समूह और दूसरी संस्थाएं खादी के मास्क बना रहे हैं।
उन्होंने बताया कि राजधानी दिल्ली के कनॉट प्लेस में स्थित खादी स्टोर में इस बार गांधी जयंती पर एक ही दिन में एक करोड़ रुपये से ज्यादा की खरीदारी हुई।
उत्तर प्रदेश के बाराबंकी की महिला सुमन देवी का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि उन्होंने स्व सहायता समूह की अपनी साथी महिलाओं के साथ मिलकर खादी मास्क बनाना शुरू किया और धीरे-धीरे उनके साथ अन्य महिलाएँ भी जुड़ती चली गईं।
उन्होंने कहा, ‘‘अब वे सभी मिलकर हजारों खादी मास्क बना रही हैं’’
उन्होंने बताया कि खादी कैसे लम्बे समय तक सादगी की पहचान रही है । आज उसकी प्रसिद्धि एक ‘‘फैशन स्टेटमेंट’’ का रूप ले चुकी है। उन्होंने मेक्सिको की ‘‘ओहाका खादी’’ का जिक्र किया और बताया कि कैसे आज वह एक अंतरराष्ट्रीय ब्रांड बन गया है।
उन्होंने कहा, ‘‘हमारे स्थानीय उत्पादों की खूबी है कि उनके साथ अक्सर एक पूरा दर्शन जुड़ा होता है।’’
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में भारत के पारंपरिक खेल ‘‘मलखम्ब’’ की बढ़ती लोकप्रियता का उल्लेख करते हुए कहा कि जैसे भारत के अध्यात्म, योग, और आयुर्वेद ने पूरी दुनिया को आकर्षित किया है उसी प्रकार ‘‘मलखम्ब’’ भी अनेक देशों में प्रचलित हो रहा है।
उन्होंने कहा कि अमेरिका में आज कई स्थानों पर ‘‘मलखम्ब’’ प्रशिक्षण केंद्र चल रहे हैं और बड़ी संख्या में अमेरिका के युवा इससे जुड़ रहे हैं।
हाल ही में बनाए गए नये कृषि कानूनों का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इन कानूनों से किसानों के पक्ष में बदलाव की संभावनाएं भरी पड़ी हैं।
उन्होंने महाराष्ट्र की एक कंपनी का जिक्र किया जिसने मक्के की खेती करने वाले किसानों से उनका मक्का खरीदा और उसने किसानों को इस बार मूल्य के अतिरिक्त बोनस भी दिया।
उन्होंने कहा, ‘‘बोनस अभी भले ही छोटा हो, लेकिन ये शुरुआत बहुत बड़ी है। इससे हमें पता चलता है कि नये कृषि कानून से जमीनी स्तर पर किस तरह के बदलाव किसानों के पक्ष में आने की संभावनायें भरी पड़ी हैं।’’
प्रधानमंत्री ने अपने ‘‘मन की बात’’ कार्यक्रम में जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में पेंसिल उद्योग का उल्लेख करते हुए बताया कि कैसे यह क्षेत्र देश को आत्मनिर्भर बना रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘कश्मीर घाटी पूरे देश की करीब-करीब 90 प्रतिशत पेंसिल-स्लेट, लकड़ी की पट्टी की मांग को पूरा करती है और उसमें बहुत बड़ी हिस्सेदारी पुलवामा की है। एक समय में हम लोग विदेशों से पेंसिल के लिए लकड़ी मंगवाते थे, लेकिन अब हमारा पुलवामा, इस क्षेत्र में, देश को आत्मनिर्भर बना रहा है।’’
उन्होंने कहा कि घाटी से चिनार की लकड़ी पेंसिल बनाने के काम में इस्तेमाल की जा रही है और पुलवामा का ओखू गांव ‘‘पेंसिल विलेज’’ के रूप में पहचान स्थापित कर चुका है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि 31 अक्तूबर को सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती मनाई जाएगी। ये दिन राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि सरदार पटेल में गजब का हास्य बोध था।
उन्होंने लोगों से मौजूदा मुश्किल हालात के बावजूद हास्य की भावना को जीवित रखने का आग्रह किया और कहा कि सरदार पटेल ने अपना पूरा जीवन स्वाधीनता आंदोलन के साथ देश की एकता और अखंडता के लिए समर्पित किया।
उन्होंने कहा, ‘‘जरा उस लौह-पुरुष की छवि की कल्पना कीजिये जो राजे-रजवाड़ों से बात कर रहे थे, पूज्य बापू के जन-आंदोलन का प्रबंधन कर रहे थे, साथ ही, अंग्रेजों से लड़ाई भी लड़ रहे थे और इन सब के बीच भी उनमें हास्य की भावना पूरे रंग में होती थी। इसमें, हमारे लिए भी एक सीख है, परिस्थितियां कितनी भी विषम क्यों न हो, अपनी हास्य भावना को जिंदा रखिये, यह हमें सहज तो रखेगा ही, हम अपनी समस्या का समाधान भी निकाल पायेंगे।’’
मोदी ने कहा कि हमारे पूर्वजों ने देश की एकता की दिशा में अनेक महत्वपूर्ण कार्य किए। आदि शंकराचार्य का उदाहरण देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि शंकराचार्य केरल में जन्मे और देश के चार कोनों में महत्वपूर्ण मठ स्थापित किए।
उन्होंने कहा कि आदि शंकराचार्य ने उत्तर में बद्रिकाश्रम, पूर्व में पुरी, दक्षिण में श्रृंगेरी और पश्चिम में द्वारका मठ स्थापित किए। वे श्रीनगर भी गए जहां उनके नाम से शंकराचार्य पहाड़ी आज भी मौजूद है।
विविधता में एकता का संदेश देते हुए मोदी ने कहा कि ज्योतिर्लिंग और शक्तिपीठ जैसे धार्मिक स्थलों की कड़ी भारत को एक सूत्र में पिरोती है। त्रिपुरा से लेकर गुजरात तक और जम्मू- कश्मीर से लेकर तमिलनाडु तक स्थापित आस्था के ये केंद्र लोगों को एकजुट करते हैं।
उन्होंने कहा कि भक्ति आंदोलन पूरे देश का जन आंदोलन बन गया था और इसने लोगों को एक सूत्र में पिरोया। उन्होंने कहा कि सिख गुरूओं ने अपने जीवन और श्रेष्ठ कार्यों के जरिये एकता की भावना को समृद्ध किया। नांदेड साहिब और पटना साहिब गुरूद्वारे सिखों के पवित्र तीर्थ स्थल हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘पिछली सदी में बाबा साहिब भीमराव आम्बेडकर जैसी महान हस्तियों ने संविधान के जरिये लोगों को एकता के सूत्र में पिरोया।’’
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)