देश की खबरें | भोपाल गैस त्रासदी के जहरीले कचरे को पीथमपुर में नष्ट करने पर रोक के लिए चिकित्सकों ने दायर की याचिका

इंदौर, 30 दिसंबर वर्ष 1984 की भोपाल गैस त्रासदी के लिए जिम्मेदार यूनियन कार्बाइड कारखाने के 337 टन जहरीले कचरे को इंदौर के पास पीथमपुर की एक औद्योगिक अपशिष्ट निपटान इकाई में नष्ट किए जाने की कवायद पर तुरंत रोक लगाए जाने की गुहार लगाते हुए चिकित्सकों के एक समूह ने मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय में सोमवार को जनहित याचिका दायर की।

याचिका में आशंका जताई गई है कि जहरीले कचरे को पीथमपुर में एक निजी कंपनी द्वारा संचालित जा रही इकाई में नष्ट किए जाने से इस औद्योगिक कस्बे और इससे करीब 30 किलोमीटर दूर इंदौर के नागरिकों के साथ ही आबो-हवा पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है।

उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ में यह याचिका ऐसे वक्त दायर की गई है, जब जहरीले कचरे को भोपाल से पीथमपुर भेजकर इसे नष्ट किए जाने की उल्टी गिनती शुरू हो गई है।

उच्च न्यायालय की जबलपुर स्थित मुख्य पीठ ने भोपाल गैस त्रासदी के 40 साल बाद भी यूनियन कार्बाइड कारखाने के जहरीले कचरे का निपटारा नहीं होने पर नाराजगी जताते हुए तीन दिसंबर को राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि इस कचरे को तय अपशिष्ट निपटान इकाई में चार हफ्तों के भीतर भेजा जाए।

यह कचरा सूबे की राजधानी में स्थित यूनियन कार्बाइड कारखाने में पड़ा है जहां दो और तीन दिसंबर 1984 की दरमियानी रात जहरीली गैस ‘मिथाइल आइसोसाइनेट’ का रिसाव हुआ था। दुनिया की सबसे भीषण औद्योगिक त्रासदियों में गिनी जाने वाली इस घटना में 5,479 लोगों की मौत हो गई थी और पांच लाख से अधिक लोग स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं और दीर्घकालिक विकलांगताओं से पीड़ित हो गए थे।

इंदौर के शासकीय महात्मा गांधी स्मृति (एमजीएम) चिकित्सा महाविद्यालय के पूर्व विद्यार्थियों के संगठन के अध्यक्ष डॉ. संजय लोंढे और कैंसर के दो चिकित्सकों- डॉ. एसएस नैयर और डॉ. विनीता कोठारी की उच्च न्यायालय में दायर जनहित याचिका में भोपाल गैस त्रासदी के जहरीले कचरे के निपटान की योजना को लेकर प्रदेश सरकार की तैयारियों पर गंभीर सवाल उठाए गए हैं।

याचिकाकर्ताओं के वकील अभिनव पी. धनोदकर ने ‘‘पीटीआई-’’ को बताया,"इस जनहित याचिका पर सुनवाई की संभावित तारीख नौ जनवरी तय की गई है, लेकिन हमने उच्च न्यायालय से गुहार लगाई है कि वह विशेष पीठ गठित करके इस याचिका पर तुरंत सुनवाई करे।"

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