देश की खबरें | ‘डिजिटल अरेस्ट’ मामला: गुजरात पुलिस ने गिरोह के ‘गेटकीपर’ को गिरफ्तार किया

अहमदाबाद, दो जनवरी गुजरात पुलिस ने ‘‘डिजिटल अरेस्ट’’ के एक मामले में एक रूसी नागरिक को गिरफ्तार किया है जिसमें एक व्यक्ति से 17 लाख रुपये की ठगी की गई थी। यह जानकारी एक अधिकारी ने बृहस्पतिवार को दी।

अहमदाबाद साइबर अपराध प्रकोष्ठ की एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि रूस के ओरेनबर्ग शहर का निवासी अनातोली मिरोनोव एक चीनी नागरिक द्वारा संचालित गिरोह के ‘‘गेटकीपर’’ के रूप में काम करता था और वह अपराध की आय को विभिन्न खातों में स्थानांतरित करने और उसमें से कुछ को क्रिप्टोकरेंसी में परिवर्तित करने में मदद करता था।

सहायक पुलिस आयुक्त (साइबर अपराध) हार्दिक मकाडिया ने बताया कि ‘‘गेटकीपर’’ एक बिचौलिया होता है, जिसे अंतरराष्ट्रीय साइबर अपराधियों द्वारा उन बैंक खाताधारकों पर नजर रखने के लिए रखा जाता है, जिन्हें अपराध की आय दी जाती है। उन्होंने कहा कि ‘‘गेटकीपर’’ धनराशि को गिरोह के बैंक खातों में स्थानांतरित करने में भी मदद करता है।

मकाडिया ने कहा, ‘‘मिरोनोव पिछले साल पर्यटक वीजा पर भारत आया था। चूंकि वह महाराष्ट्र के पुणे में धोखाधड़ी के एक ऐसे ही मामले में जेल में था, इसलिए साइबर अपराध प्रकोष्ठ ने उसे वहां की एक जेल से पेशी वारंट के जरिये हिरासत में लिया और बृहस्पतिवार को यहां लाया गया।’’

यह जांच तब शुरू हुई जब शहर के एक व्यवसायी ने अक्टूबर में साइबर अपराध प्रकोष्ठ से संपर्क करके दावा किया कि कुछ लोगों ने खुद को सीमा शुल्क और पुलिस अधिकारी बताकर उसे ‘‘डिजिटल अरेस्ट’’ में रखा और 17 लाख रुपये की जबरन वसूली की।

विज्ञप्ति में कहा गया है कि जालसाजों ने पीड़ित को बताया कि उसके नाम से एक पार्सल आया है, जिसमें फर्जी पासपोर्ट, एटीएम कार्ड और मादक पदार्थ हैं, जिसे सीमा शुल्क विभाग ने जब्त कर लिया है।

मकाडिया ने कहा, ‘‘पीड़ित ने जिस खाते में 17 लाख रुपये भेजे, वह महेफुललाम शाह का था। गिरोह के संपर्क में रहने वाले नादिम पठान नामक एजेंट ने शाह को इस गतिविधि के लिए उसका खाता इस्तेमाल किये जाने के लिए राजी किया था। उनकी गिरफ्तारी के बाद, हमें मिरोनोव की भूमिका के बारे में पता चला।’’

उन्होंने कहा, ‘‘पीड़ित द्वारा शाह के बैंक खाते में 17 लाख रुपये भेजे जाने के बाद, मिरोनोव ने उन दोनों को मुंबई के एक होटल में बुलाया, जहां रूसी नागरिक ने अपने चीनी बॉस के आदेश के अनुसार राशि क्रिप्टोकरेंसी सहित अन्य खातों में भेज दी।’’

एसीपी ने कहा कि उस समय, कुछ अन्य बैंक खाताधारकों और उनके एजेंट को भी इसी उद्देश्य से मिरोनोव ने होटल में बुलाया था।

मकाडिया ने कहा, ‘‘मिरोनोव एक ‘गेटकीपर’ की तरह काम करता था जो एजेंटों के साथ-साथ बैंक खाताधारकों पर भी नजर रखता था। इसके बाद वह भारत के बाहर बैठे गिरोह के सरगनाओं के निर्देशानुसार लेन-देन करता था।’’

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